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ओह मां: कोई मासूम गोद में..तो किसी का हाथ पकड़े मीलों पैदल चलते बच्चों को देखकर क्यों नहीं रोएंगी मांएं
चंडीगढ़. पहली तस्वीर मोहाली के सेक्टर-76 की है। अपनी नवजात बच्ची के साथ यह मां घर जाने के लिए निकली है। यहां से सरकार ने बसों का इंतजाम किया था। बावजूद मां को पता है कि उसे परेशान होना पड़ेगा। दूसरी तस्वीर गुरुग्राम की है। यहां भी एक मासूम जब बैठे-बैठे थक गई, तो वो यूं सो गई। ऐसी तस्वीरें देशभर से सामने आ रही हैं। प्रवासी मजदूरों के बच्चों को भी बड़ों के साथ बराबर की पीड़ा भुगतनी पड़ रही है। न खाने के ठिकाने और न यह पता कि और कितना पैदल चलना पड़ेगा। 10-12 दिन पहले रजिस्ट्रेशन के बाद भी इन लोगों को खबर नहीं होती कि स्पेशल ट्रेन कब मिलेगी? कुछ इंतजार नहीं कर पाते..उनका सब्र जवाब दे जाता है, तो वे पैदल ही घर को निकल पड़ते हैं। देखिए ऐसी ही कुछ तस्वीरें..
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पहली तस्वीर गुरुग्राम की है। बस के इंतजार में व्याकुल बैठी महिला की गोद में सोती बच्ची। महिला के चेहरे पर तनाव साफ देखा जा सकता है। दूसरी तस्वीर मोहाली की है। ऐसे नवजात बच्चों के साथ सैकड़ों मांओं को परेशान देखा जा सकता है।
पैदल चलते-चलते जब थक गया प्रवासी मजदूर का बच्चा, तो यूं सो गया।
पैदल चलते हुए जब बच्चे को भूख-प्यास लगी, तो मां ने सड़क पर ही छतरी लगाकर उसे खिलाया-पिलाया और सुला दिया।
प्रवासी महिलाओं की जिंदगी हमेशा से कठिन रही है, लेकिन ऐसे दिन भी आएंगे, कभी नहीं सोचा था।
अपने मासूम बच्चे के चेहरे के भाव पढ़ती निराश मां। उसे नहीं मालूम कि घर कब तक पहुंच पाएंगे।
अपने बच्चे को धूप से बचाती एक प्रवासी मजदूर मां।
ऐसे सैकड़ों मां-बाप सड़क पर दिख जाएंगे..जिनकी गोद में नवजात बच्चे हैं।
भूख-प्यास से मारे ऐसे सैकड़ों बच्चे सड़क पर बेसुध से पड़े देखे जा सकते हैं।
इन बच्चों को नहीं मालूम कि यह सब क्या हो रहा है?
पीठ पर लदा एक बच्चा। ऐसे दृश्य देशभर में इन दिनों आम हो चले हैं।
इस बच्चे के लिए मानों यह सबसे कीमती चीज रही होगी।