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मां को सलाम: बोलीं-देश की रक्षा में बेटा शहीद हुआ तो क्या, दुश्मनों का मुंह तोड़ने पोते को सेना में भेजूंगी
कपूरथला : जम्मू-कश्मीर (Jammu & Kashmir) के पुंछ में आतंकी हमले में शहीद हुए नायब सूबेदार जसविंदर सिंह पंचतत्व में विलीन हो गए हैं। जसविंदर सिंह के पैतृक गांव माना तलवंडी में पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया। शहीद जसविंदर सिंह के पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर घर से श्मशान घाट तक ले जाया गया। इस दौरान पूरा गांव मौजूद रहा। सभी ने नम आंखों से अपने बेटे को अंतिम विदाई दी। सभी के चेहरे पर गर्व का भाव था। अंतिम संस्कार से पहले सिख रेजिमेंट के जवानों ने शहीद को सलामी दी। पढ़िए इस मां के वह शब्द जो आपका सीना चौड़ा कर देगी..
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पोते को भी सेना में भेजूंगी
शहीद जसविंदर सिंह का पार्थिव शरीर घर पहुंचने के बाद उनकी बीमार मां मनजीत कौर के चेहरे पर बेटे के जाने का गम साफ झलक रहा था। इसके बावजूद उन्होंने धैर्य नहीं खोया। उन्होंने कहा कि वह फौजियों की पलटन की मां हैं। मेरे बेटे ने देश का मान रखा और हलके का नाम रोशन किया है। अभी जसविंदर सिंह का बेटा और मेरा पोता विक्रमजीत सिंह छोटा है। जिस दिन वह दसवीं कर लेगा, उसे भी फौज में भेजूंगी और परिवार की परंपरा को बरकरार रखा जाएगा। मां ने बड़े ही गर्व से बेटे का मुंह देख शहादत को सैल्यूट किया।
शहादत को नमन
इससे पहले शहीद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचने के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी (charanjit singh channi) की ओर से कैबिनेट मंत्री राणा गुरजीत सिंह ने उसे श्रद्धांजलि दी। पंजाब के राज्यपाल के प्रतिनिधि के रूप में कपूरथला की DC दीप्ति उप्पल तलवंडी गांव पहुंचकर शहीद को श्रद्धासुमन अर्पित किए। भुलत्थ के विधायक सुखापाल खैहरा और अकाली नेता जागीर कौर ने भी गांव पहुंचकर शहीद के परिवार से संवेदना जताई।
आर्मी में थे जसविंदर के पिता
जसविंदर के पिता हरभजन सिंह आर्मी से बतौर कैप्टन रिटायर हुए। पिता हरभजन सिंह का 2 महीने पहले ही कोरोना से निधन हो चुका है। पिता की बीमारी के वक्त ही जसविंदर आखिरी बार गांव आए थे।
कैप्टन पिता से प्रेरित थे जसविंदर
शहीद जसविंदर के मामा गुरनरिंदर सिंह भी आर्मी से बतौर सूबेदार रिटायर्ड हैं। गुरनरिंदर सिंह ने बताया कि चूंकि जसविंदर के पिता फौज में थे इसलिए वह बचपन में ज्यादातर अपने नानके में ही रहें। जसविंदर अपने पिता कैप्टन हरभजन सिंह और मामा को देखकर ही 21 साल पहले सिख रेजीमेंट में भर्ती हुए थे। 2007 में जसविंदर को आतंकियों के साथ बहादुरी से मुकाबला करने पर सेना मेडल से सम्मानित किया गया।
11 अक्टूबर को हुए शहीद
जम्मू के पुंछ में 11 अक्टूबर को आतंकियों के घुसपैठ की जानकारी मिलने के बाद सुरक्षाबलों ने ऑपरेशन शुरू किया था। इसी दौरान घात लगाकर बैठे आतंकियों की फायरिंग में एक ऑफिसर समेत 5 जवान शहीद हो गए। इनमें नायब सूबेदार जसबिंदर सिंह, नायक मंदीप सिंह, सिपाही गज्जन सिंह, सिपाही सरज सिंह और सिपाही वैशाख सिंह शामिल रहे। शहीद जसविंदर सिंह कपूरथला जिले के माना तलवंडी गांव के रहने वाले थे। जसविंदर सिंह के परिवार में पत्नी सुखप्रीत कौर के अलावा दो बच्चे, 13 साल का बेटा विक्रमजीत, 11 साल की बेटी हरनूर कौर और मां मनजीत कौर हैं।