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पंजाब में पंचायतों का अजीबो-गरीब फरमान:आंदोलन में परिवार के 1 सदस्य जाएगा, नहीं तो 2 हजार जुर्माना दो
पटियाला (पंजाब). देशभर के किसान पिछले 68 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग आंदोलन कर रहे हैं। इसी बीच गणतंत्र दिवस पर इस आंदोलन में नया मोड़ देखने को मिला है। जहां ट्रैक्टर परेड निकाल रहे किसानों में से कुछ ने अपना रास्ता बदल लिया और वह हिंसक हो गए। जिसके बाद अराजक तत्व लाल किले पर पहुंच गए और वहां पर जमकर तोड़फोड़ की गई। इस सबके बाद कई किसान गठनों ने आंदोलन से खुद को अलग कर लिया है जिसके चलते कई किसान घर जा चुके हैं। वहीं अब पंजाब के की पंचायतों कमर कस ली है और अजीबो-गरीब फरमान सुनाया है। उनका कहना है कि हर घर से एक सदस्य को इस आंदोलन में जाना है, अगर वह नहीं गया तो दो हजार रुपए का जुर्माना भरने के लिए तैयार रहे।
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दरअसल, रविवार को दिन पटियाला, फिरोजपुर और फरीदकोट की दर्जनों पंचायतों ने एक अजीब-गरीबो प्रस्ताव पारित किया है। जिसमें कहा गया है कि अब आंदोलन नहीं, बल्कि आरपार की लड़ाई है। इसलिए हर घर से एक व्यक्ति के दिल्ली आंदोलन में जाएगा। जो आंदोलन में नहीं जाएगा उसे जुर्माना देना होगा। जुर्माना न देने की सूरत में सामाजिक बहिष्कार किया जाएगा।
वहीं मोगा जिले में हुई पंचायतों ने ऐलान किया है कि गांव के हर घर से एक सदस्य दिल्ली बॉर्डर तो जाएगा ही। इसके अलावा हर ग्रामीण से 100 रूपए प्रति एकड़ के हिसाब से वहां खर्चे पानी के लिए रुपए लिए जाएंगे। आंदोलन के दौरान वहां कोई किसी भी प्रकार का नुकसान होता है तो इसकी भरपाई भी हमारे समूह करेंगे।
बठिंडा में विर्क खुर्द ग्राम पंचायत ने भी किसानों ने आंदोलन को लेकर बैठक की। जिसमें फैसला लिया गया कि हर परिवार से एक-एक सदस्य को किसान आंदोलन में जाएगा और वो वहां पर एक सप्ताह तक रहेगा। इसके बाद उसके लौटने के बाद परिवार का दूसरा सदस्य तैयार रहे, पहले के आने के बाद उसको दिल्ली जाना होगा। अगर उसने ऐसा नही किया तो वह 1500 रुपए फाइन भरने के लिए तैयार रहे।
वहीं कुछ सामाजिक संगठन और वकीलों ने पंचायत के इन अजीबो-गरीब फरमान को तानाशाही बताया है। उनका कहना है कि पंचायती राज एक्ट के तहत पंचायतों के पास ऐसा कोई अधिकार नहीं है कि वह पब्लिक को किसी धरने में शिरकत करने के आदेश जारी करें। आदेश न मानने पर किसी प्रकार का जुर्माना भी नहीं वसूला जा सकता है।