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फरिश्ता बनी पुलिस..3 दिन से भूखे बच्चों को जब रोटी मिली तो मासूम हंसते हुए बोले-अंकल कल भी मिलेगी
अमृतसर (पंजाब). कोरोना से बचने के लिए देश को 21 दिनों तक लॉकडाउन कर दिया है। महामारी का सबसे ज्यादा असर देहाड़ी मजदूरों पर पड़ा है। ना उनके पास रहने के लिए छत है और ना ही पेट भरने के लिए खाना बचा है। कई ऐसे मजदूर परिवार हैं जिनके घर पिछले पांच दिन से घर में चूल्हा तक नहीं जला है। क्योंकि उनके काम ठप हो गए हैं। दिनभर मजदूरी करके जो कमाते थे, उससे ही परिवार का पेट पालते थे। पंजाब में तो लॉकडाउन से पहले ही कर्फ्यू लगा है। कर्फ्यू के दौरान सबसे ज्यादा कोई प्रभावित हो रहा है तो वह है दिहाड़ीदार मजदूर।
| Published : Mar 29 2020, 03:09 PM
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ऐसे हालातों में पंजाब पुलिस इन लोगों के लिए मसीह बनकर काम कर रही है। वह ऐसे लोगों के घर जाकर राशन पानी और खाना लेकर जा रही है, जिनके पास खाने का कोई इंतजाम नहीं है। कुछ एसी एक तस्वीर पंजाब के फाजिल्का में देखने को मिली। अरनीवाला पुलिस एक ऐसे परिवार के घर पहुंची जो पिछले तीन से भूखा था। छोटे-छोटे बच्चों ने जैसे ही रोटी देखी तो वह पुलिसवालों के पास आ गए। इसके बाद मासूमों के चेहरे पर बेबसी की जगह मुस्कुराहट दिखाई देने लगी। परिवार के मुखिया एक बुजुर्ग ने अपना आशीर्वाद देते हुए कहा-बेटा तुम हामारे लिए किसी फरिश्ते से कम नहीं हो।
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तस्वीर दिखाई देने वाला यह मजदूर परिवार रीवा मध्य प्रदेश के मऊगंज का रहने वाला है। वह अपने चार छोटे-छोटे बच्चों और पत्नी के साथ 6 दिन पैदल चलकर दिल्ली से अपने घर पहुंचा है। वह दिल्ली में एक बिल्डर के पास मजदूरी करता था। लेकिन काम बंद हो जाने के बाद वो अपने घर आ गया।
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तस्वीर में आप साफ तौर पर देख सकते हैं कि कैसे लॉकडाउन होने के बाद लोग अपनी जिंदगी बसर कर रहे हैं। यह तस्वीर गाजियाबाद की बताई जाती है। मजदूरों के सिर से छत छिन जाने के बाद वह कोरोना की दहशत में एक पुलिया को अपना घर बनाए हुए हैं।
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यह तस्वीर ग्रेटर नोएडा की बताई जाती है। तस्वीर में दिखाई देने वाली यह महिला अपने बेटे के साथ डरी-सहमी हुए सड़क किनारे बैठे रो रही थी। उसके साथ वाले उसको छोड़कर कहीं और जा चुके थे।
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कोरोना के खौफ के बीच की यह तस्वरी हरियाणा के रेवाड़ी की बताई जा रही है। जहां रविवार को मजदूर लोग तेल के टैंकर पर लटककर घर जाते हुए।
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तस्वीर में दिखाई देने वाला यह मजदूर परिवार मध्य प्रदेश के मुरैना का रहने वाला बताया जाता है। जो गुजरात से पैदल ही अपने घर पहुंचने के लिए निकल पड़ा है।