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यह कोई एडवेंचर गेम्स नहीं है, ऐसा स्टंट करके नदी पार करना यहां के लोगों की मजबूरी है
सिरमौर, हिमाचल प्रदेश. यह तस्वीर पर्यटन स्थल रेणुकाजी के एक गांव सींऊ की है। यहां के लोगों को इस तरह का स्टंट करने का कोई शौक नहीं है। यह उनकी मजबूरी है। गिरी नदी के किनारे बसा सींऊ यहां का सबसे बड़ा गांव है। इस गांव को यही एक मात्र जरिया जोड़ता है। यहां कोई पुल नहीं है। लोग इसी ट्रॉली के जरिये गिरी और पालर नदी पार करते हैं। कुछ समय पहले यह ट्रॉली खराब हो गई है। पिछले साल उसे दुरुस्त करने 2 लाख 80 हजार रुपए खर्च हो चुके हैं। लेकिन यह ट्रॉली फिर खराब हो गई है। अब लोगों को यूं लटककर नदी पार करनी पड़ती है। बारिश में इस ट्रॉली के अलावा आने-जाने का दूसरा कोई जरिया भी नहीं है। गांववालों का कहना है कि ट्रॉली की बैरिंग खराब होने से वो बीच में कभी भी रुक जाती है। बताते हैं कि यह गांव डेम के डूब क्षेत्र में है। यहां के लोगों की जमीनें अधिग्रहीत करने सरकार ने 80 लाख रुपए का भुगतान किया है। चूंकि अब यहां पुल का निर्माण संभव नहीं है, इसलिए लोग उम्मीद कर रहे हैं कि जब तक वे गांव में है, इस ट्रॉली को दुरुस्त करा दिया जाए। आगे जानें रेणुकाजी के बारे में..
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ट्रॉली की समस्या को लेकर खंड विकास अधिकारी कृष्ण दत्त कश्यप कहते हैं कि जल्द इसे ठीक करा दिया जाएगा।
रेणुका एक पर्यटन स्थल है। यह समुद्र तल से 672 मीटर ऊपर है। यहां एक झील है, जो नाहन से 37 किमी दूर और पांवटा साहिब से 60 किलोमीटर दूर है।
यहां हिमाचल प्रदेश के लोकप्रिय मंदिरों में एक है। इसे रेणुकाजी के नाम से जाना जाता है। यह झील के किनारे स्थित है।
हिमालय के हरे-भरे वनों से सुशोभित यह जगह साहसिक खेलों में रुचि रखने वालों को पसंद है।
इस क्षेत्र में वन्यजीवों का आश्रय है। यहां हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं।