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Hyderpora Encounter: LG मनोज सिन्हा ने दिए न्यायिक जांच के आदेश, कहा-बेगुनाहों के साथ नहीं होने देंगे अन्याय
श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर (Jammu kashmir) के हैदरपोरा में हुए एनकाउंटर को लेकर जारी विवाद के बीच अब उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा (Manoj Sinha) ने इस मुठभेड़ की मुठभेड़ की मजिस्ट्रियल जांच के आदेश दिए हैं। सिन्हा ने ट्विटर पर इसकी जानकारी देते हुए यह भी कहा कि वह सुनिश्चित करेंगे कि मामले में कोई अन्याय न हो। 15 नवंबर को हैदरपोरा मुठभेड़ में दो नागरिकों को मौत को लेकर केंद्र शासित प्रदेश में राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। विपक्षी पार्टियां इसकी न्यायिक जांच कराए जाने की मांग कर रही थीं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की प्रमुख महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) ने पार्टी के अन्य नेताओं के साथ हैदरपोरा मुठभेड़ में नागरिकों की कथित हत्या के खिलाफ बुधवार को जम्मू में विरोध प्रदर्शन किया था। जानें क्या है पूरा मामला और क्या है LG का आदेश...
| Published : Nov 18 2021, 02:32 PM IST
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सोमवार शाम यानी 15 नवंबर को हैदरपोरा मुठभेड़ में चार लोग मारे गए थे मारे गए तीन लोगों के परिवारों ने पुलिस के दावे का विरोध करते हुए कहा कि मारे गए लोग निर्दोष थे। कश्मीर के पुलिस प्रमुख विजय कुमार ने स्वीकार किया कि इमारत का मालिक अल्ताफ अहमद एक नागरिक था, जो क्रॉस फायर में मारा गया था, लेकिन उसने कहा कि डॉ. मुदासिर गुल एक OGW थे, जबकि तीसरे की पहचान अमीर अहमद के रूप में हुई थी।
मारे गए चौथे की पहचान विदेशी आतंकवादी हैदर के रूप में हुई है। अल्ताफ और डॉ. गुल के परिवारों ने देर रात तक प्रेस एन्क्लेव में विरोध-प्रदर्शन किया और पुलिस को प्रदर्शनकारियों को एहतियातन हिरासत में लेकर विरोध को विफल करने के लिए मजबूर किया। गिरफ्तार लोगों को बाद में छोड़ दिया गया।
परिवार अल्ताफ और डॉ. गुल के शवों की मांग कर रहे थे, जिन्हें पुलिस के अनुसार हंदवाड़ा में दफनाया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री द्वारा अल्ताफ और डॉ. गुल के शवों को उनके परिवारों को दफनाने के लिए सौंपे जाने के अलावा निष्पक्ष जांच की मांग के साथ पूरे कश्मीर में हैदरपोरा मुठभेड़ पर बड़े पैमाने पर हंगामा हुआ।
पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया। प्रशासन ने एहतियातन धारा 144 लागू कर दिया है। परिवार वालों का कहना था कि मारे गये लोग आतंकी नहीं थे और ना ही इनका समर्थन करने वाले लोग थे।
अल्ताफ भट के भाई अब्दुल मजीद ने कहा कि एक नंबरदार राजस्व अधिकारी के रूप में, वह लगातार पुलिस के संपर्क में रहता है और अगर उसका भाई आतंकवाद में शामिल होता, तो उसे जरूर पता चलता। जांच की मांग करते हुए कहा कि मामले की जांच कराएं अगर मेरा भाई दोषी है तो मैं हर सजा के लिए तैयार हूं।
जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती इसको लेकर विरोध-प्रदर्शन कर रही थीं। उनको अगले आदेश तक के लिए हाउस अरेस्ट कर दिया गया है। महबूबा मुफ्ती ने बुधवार को हैदरपोरा मुठभेड़ में नागरिकों की कथित हत्या के विरोध में प्रदर्शन किया था। उन्होंने कहा था कि सरकार क्रूर है, जिसने हत्या करने के बाद शव भी वापस नहीं दिए, इससे इस क्षेत्र में स्थिति और खराब हो जाएगी, जो पहले ही एक राज्य से एक केंद्र शासित प्रदेश में बदल चुका है।
इधर, डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने पीपुल्स अलायंस फॉर गुपकार डिक्लेरेशन (PAGD) सदस्यों की बैठक अपने घर में बुलाई है। पीएजीडी के सदस्य मोहम्मद युसूफ तारीगामी, हसनेन मसूदी सहित अन्य सदस्य इस बैठक में शामिल हुए। पीडीपी की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती इस बैठक में शामिल होने के लिए नहीं पहुंच पाई हैं। उनका कहना है कि उन्हें घर में नजरबंद किया गया है जबकि पुलिस ने इस बात से इनकार किया है।
जम्मू कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने एक ट्वीट में लिखा है कि हैदरपोरा एनकाउंर की ADM रैंक के एक अधिकारी से न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं। रिपोर्ट के समयबद्ध तरीके से जमा होते ही सरकार इस मामले में उचित कार्रवाई करेगी। जम्मू और कश्मीर प्रशासन निर्दोष लोगों की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है और यह सुनिश्चित करेगा कि किसी भी तरह का कोई अन्याय नहीं हो।