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ये कैसी मुसीबत..रुला देगी मजदूर की बेबसी, साइकिल पर बोरा..बोरे में दिव्यांग बेटी को भरकर चल पड़ा...
नई दिल्ली. लॉकडाउन लागू हुए दो महीने होने वाले हैं, लेकिन अभी भी मजदूरों का पलायन जारी है। वह घर लौटने की जद्दोजहद में लगे हुए हैं। जिसे जो मिल रहा है वो उससे सफर कर रहा है। ट्रक, ट्रेन, बैलगाड़ी और पैदल चलकर हजारों मील दूर अपने घर की ओर चले जा रहे हैं। देश की सड़कों पर आज एक ही तस्वीर दिख रही है, सिर पर भुखमरी और मजबूरियों का बोझ उठाए मजदूर शहरों से अपने गांवों की तरफ लौट रहे हैं। ना तो उनको भूख सता रही है और ना ही तीखी धूप से उनके पैर जल रहे हैं। ऐसी ही कुछ मार्मिक तस्वीरें देश की राजधानी दिल्ली से सामने आई हैं जो आपको रुला देंगी।
| Published : May 19 2020, 09:03 PM IST / Updated: May 19 2020, 09:24 PM IST
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लॉकडाउन में पलायन कर रहे मजदूरों की यह तस्वीरें 1947 में हुए देश के विभाजन की याद दिलाती है। तस्वीर में दिखाई दे रहा है यह प्रवासी मजदूर परिवार को लेकर साइकिल से दिल्ली से अपने घर यूपी के लिए निकला है। जहां उसने अपनी मासूम दिव्यांग बेटी को बोरी में भरकर साइकिल पर लटका रखा है।
आप तस्वीर में साफ तौर पर देख सकते हैं कि किस तरह वो बोरे से झांक रही है। मासूम की इन आंखें में कोरोना के खौफ, भूख, तपती गर्मी, दर्द और मजबूरियों की दिखाई दे रही हैं।
बुरे वक्त का मारा इस प्रवासी मजदूर ने अपने बेटी के साथ साइकिल पर पीछे खाने का कुछ सामान भी लाद रखा है। क्योंकि रास्ता काफी लंबा है, ऐसे में वह इस खाने को बीच रास्ते में अपने बच्चों और परिवार को खिलाएगा।
तस्वीर में आप देखते हैं कि मजदूर के कछ बच्चे नंगे परे पैदल भी चल रहे हैं। बच्ची पापा की मदद करने के लिए साइकिल को पीछे से धक्का लगा रही है।
यह तस्वीर राजस्थान की है, जहां मजदूर शिवलाल अपनी वर्षा और तीन बच्चों के साथ मध्य प्रदेश के दमोह जाने के लिए पैदल सफर कर रहा है। घर पहुंचने की जिद में उसको तपती दुपहरी में उखड़ी हुई सड़क पर बिखरे कंकरों की चुभन भी महसूस नहीं हो रही।
यह तस्वीर अहमदाबाद की है, जहां दिव्यांग प्रदीप घर जाने के लिए अपनी बैसाखियों के सहारे चला जा रहा है। उसको राजस्थान जाना है, जब ट्रक वालों ने उसे लिफ्ट नहीं तो वह पैदल ही चल पड़ा।