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इस क्रिकेटर ने पाकिस्तान को हराया, वर्ल्ड कप जीता, अब कर रहा मजदूरी, जानिए बेबसी की पूरी कहानी
अहमदाबाद (गुजरात). खिलाड़ी दिन रात मेहनत कर खेलों में देश का नाम रोशन कर रहे हैं। जब वह कोई मेडल जीतता है तो हर भारतीय को उसपर गर्व होता है। उसकी खूब पूछ-परख होने लगती है। लेकिन कुछ समय बाद लोग कुछ प्लेयर को भुला देते हैं, एक वक्त ऐसा आता है कि उन्हें आर्थिक हालातों से परेशान होकर अपना खेल तक छोड़ना पड़ता है। ऐसी एक बेबसी कहानी गुजरात से सामने आई है, जहां ब्लाइंड वर्ल्ड कप क्रिकेट का खिताब जिताने वाला क्रिकेटर नरेश तुमदा दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज है। आलम यह है कि उसे पेट पालने के लिए 250 रुपए में दिहाड़ी करनी पड़ रही है। आइए जानते हैं इस खिलाड़ी की बेबसी की कहानी...
| Published : Aug 09 2021, 11:44 AM IST / Updated: Aug 09 2021, 11:47 AM IST
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दरअसल, नेत्रहीन क्रिकेटर नरेश तुमदा नवसारी जिले के खतांबा गांव में मिट्टी के घर में अपने परिवार के साथ रहते हैं। वर्ल्ड कप क्रिकेट का खिताब जिताने के तीन साल बाद आज यह खिलाड़ी पाई-पाई के लिए मोहताज है। रोजाना सुबह मजदूरी करने के लिए निकल जाता है और रात को महज 250 रुपए कमाकर अपने घर लौटता है। इस मुश्किल दौर में कोई उसका हाल नहीं ले रहा है।
नरेश की क्रिकेट के प्रति दीवानगी ऐसी थी कि उसने 5 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू कर दिया था। छोटी सी उम्र ही नरेश की आंखों की रोशनी चली गई थी। लेकिन इसके बाद भी उन्होंने क्रिकेट खेलना नहीं छोड़ा। कड़ी मेहनत की दम पर नरेश का चयन साल 2014 में उनका चयन गुजरात की टीम में हुआ, इसके बाद वह नेशलन टीम के लिए चयनित हुए।
बता दें कि नरेश ने क्रिकेटर ने भारत के लिए चार राष्ट्रीय और तीन अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट खेले हैं। नरेश ने अपने करियर के दौरान 30 ट्राफियां, 30 प्रमाणपत्र और 10 पदक देश के नाम जीते हैं। नरेश ने अपनी टीम के साथ जब 2018 के ब्लाइंड क्रिकेट वर्ल्ड कप के फाइनल में पाकिस्तान को हराकर देश के लिए कप जीता था। हर खिलाड़ी के इस शानदार कामयाबी पर राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री हर किसी ने शाबासी दी थी। लेकिन बुरे वक्त में कोई उनकी खबर नही ले रहा है।
नरेश का कहना है कि उसने अपनी परिवार की माली हालत के बारे में गुजरात के सीएम से लेकर सांसद-विधायक तक से कई बार मदद की गुहार लगाई। लेकिन किसी ने उसकी नहीं सुनी। जब कहीं से कोई सहारा नहीं मिला तो मुझे क्रिकेट बल्ला छोड़ मजदूरी का रास्ता अपनाना पड़ा। मैं अभी केंद्र और राज्य सरकार से विनती करता हूं कि मेरी मदद कीजिए,ताकि अपने परिवार का पेट पाल सकूं।
नरेश ने बताया कि जब मेरी हालत के बारे में गुजरात कांग्रेस के सीनियर नेता अर्जुन मोढवाडिया को पता चला तो उन्होंने नौकीर दिलाने और मदद करने का बात कही थी। लेकिन अभी तक उन्होंने कोई सुध नहीं ली है। क्षेत्र के विधायक अनंत पटेल ने भी सिर्फ घोषणा करके ही रह गए। अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।