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किसान का लाल और आर्मी का जवान...ऐसे हैं Tokyo Olympics 2020 में इंडिया को गोल्ड दिलाने वाले नीरज चोपड़ा
स्पोर्ट्स डेस्क : टोक्यो ओलंपिक 2020 (Tokyo Olympics 2020) भारत के युवा खिलाड़ी जेवलिन थ्रोअर नीरज चोपड़ा (Neeraj Chopra) ने इतिहास रच दिया है। उन्होंने भारत को पहली बार ट्रैक एंड फील्ड में गोल्ड मेडल (gold medal) दिलाया है। अभिनव बिंद्रा के बाद वह दूसरे एथलीट बने है, जिन्होंने ओलंपिक में एकल प्रतियोगिता में गोल्ड जीता है। शनिवार को जेवलिन थ्रो के फाइनल में उन्होंने 87.58 मीटर दूर भाला फेंका और फाइनल में इतिहास रच दिया। आइए आज हम आपको बताते हैं, इस एथलीट के बारे में, कि कैसे एक किसान के बेटे ने पानीपत से टोक्यो में स्वर्ण सफर तय किया...
| Published : Aug 07 2021, 06:18 PM IST / Updated: Aug 07 2021, 06:49 PM IST
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13 साल बाद भारत के लिए ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने का सपना इस बार टोक्यो ओलंपिक 2020 नीरज चोपड़ा ने पूरा किया। बता दें कि 2008 में अभिनव बिंद्रा के बाद नीरज गोल्ड जीतने वाले दूसरे एथलीट बने हैं। इतना ही नहीं उन्होंने 121 के इतिहास में पहली बार ट्रैक एंड फील्ड में भारत को पदक दिलाया है।
शनिवार को जेवलिन थ्रो के फाइनल में अपने दूसरे प्रयास में ही नीरज ने 87.58 मीटर थ्रो करके अपना मेडल पक्का कर लिया था। कोई भी एथलीट उनके इस बेंच मार्क के आसपास भी नहीं आ पाया।
इससे पहले बुधवार को नीरज चोपड़ा ने क्वालिफिकेशन ग्रुप-ए में ओलंपिक खेलों में अपने पहले ही प्रयास में फाइनल में पहुंचने लायक भाला फेंका था। नीरज ने पहले ही प्रयास में 86.65 मीटर का थ्रो किया था और फाइनल में उन्होंने अपना ही रिकॉर्ड तोड़ते हुए 87.58 मीटर का थ्रो किया।
बता दें नीरज चोपड़ा का जन्म 24 दिसंबर 1997 को हरियाणा के पानीपत जिले के खांद्रा गांव में एक किसान के घर पर हुआ था। शुरुआत में उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा, लेकिन खिलाड़ी ने अपनी कड़ी मेहनत का लोहा मनवाया और ना सिर्फ एक शानदार एथलीट बनें, बल्कि सरकारी नौकरी भी हासिल की।
दरअसल, नीरज ने 2016 में पोलैंड में हुए IAAF वर्ल्ड U-20 चैम्पियनशिप में 86.48 मीटर दूर भाला फेंककर गोल्ड जीता था। इसके बाद उन्हें आर्मी में जूनियर कमिशन्ड ऑफिसर के तौर पर नियुक्ति मिली थी।
अगस्त 2018 में नीरज ने एशियाई खेलों में पुरुषों की भाला फेंक में गोल्ड जीतने के लिए 88.06 मीटर की दूरी फेंकी और अपने पिछले रिकॉर्ड को तोड़ते हुए नया भारतीय राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया। इस टूर्नामेंट में उन्होंने उद्घाटन समारोह में ध्वजवाहक के रूप में कार्यक्रम की शुरुआत की थी।
कहते हैं ना कोई भी सफलता की कहानी असफलताओं और संघर्षों के बिना पूरी नहीं होती है। नीरज के करियर में उस समय अफसफलता आई, जब उन्हें 2019 में कंधे में चोट लगी थी और उसी साल मई में उन्हें सर्जरी करानी पड़ी थी। इसके बाद 6 महीने के लिए वह खेलों से दूर हो गए थे। कोरोना के चलते उन्हें फॉर्म में वापस आने में काफी समय लगा।
नीरज ने हार नहीं मानी और कड़ी मेहनत-लगन से एक बार फिर वापसी की और इसी साल मार्च में हुई इंडियन ग्रांड प्रिक्स में 88.07 मीटर का थ्रो कर अपना ही नेशनल रिकॉर्ड तोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने टोक्यो के लिए टिकट भी हासिल किया था।
23 वर्षीय किसान के बेटे नीरज से देश को काफी उम्मीदें थी और उन्होंने सभी की उम्मीदों को पूरा करते हुए देश के लिए पहला गोल्ड मेडल जीता। उनकी जीत के साथ ही पूरा भारत उन्हें बधाई दे रहा है।