- Home
- Sports
- Other Sports
- नक्सलियों ने की पिता की हत्या, अब 19 साल की बेटी ने खेलो इंडिया में कर दिखाया कमाल
नक्सलियों ने की पिता की हत्या, अब 19 साल की बेटी ने खेलो इंडिया में कर दिखाया कमाल
स्पोर्ट्स डेस्क : एक मशहूर बॉलीवुड गाने की लाइन है- 'राह पर कांटे बिखरे अगर उस पर तो फिर भी चलना ही है.. यह हौसला कैसे टूटे...' कुछ इसी तरह से 19 साल की लड़की ने कांटों भरी राह पर चलकर अपने हौसले को टूटने नहीं दिया और नक्सलियों द्वारा पिता की हत्या कर देने के बाद भी सुप्रीति कच्छप (Supriti Kachhap) नाम की इस लड़की ने अपने हौसले को इतना मजबूत किया कि आज खेलो इंडिया (Khelo India Games) में उसने गोल्ड मेडल हासिल किया है। इतना ही नहीं अंडर-18 3000 मीटर दौड़ में 9.46.14 मिनट में पूरा कर उसने नेशनल रिकॉर्ड भी बनाया। आइए आपको बताते हैं इस लड़की की कहानी...
| Published : Jun 10 2022, 09:11 AM IST
- FB
- TW
- Linkdin
झारखंड ने देश को कई बड़े महान खिलाड़ी दिए हैं। जिसमें क्रिकेटर एमएस धोनी एक बड़ा नाम है। इसके अलावा राज्य की महिलाएं भी अब खेलो में आगे बढ़ रही हैं। जिसमें हाल ही में खेलो इंडिया में गोल्ड मेडल जीतने वाली सुप्रीति कच्छप एक और सफल एथलीट हैं। वह झारखंड के बुरहु गांव की रहने वाली है, जो धुर नक्सली क्षेत्र है।
नक्सलवाद भारत की एक गंभीर समस्या है, जिसका शिकार सुप्रीति और उनके परिवार को होना पड़ा। दरअसल, 2003 में जब सुप्रीति की मां अपने पांच बच्चों के साथ पति रामसेवक उरांव का घर लौटने का इंतजार कर रहे थे। तब उनके पिता को नक्सली हमले में गोलियों से छलनी कर दिया गया था और उनके शव को पेड़ से बांध दिया था।
सुप्रीति की मां बताती है कि सुप्रीति चल भी नहीं सकती थी, जब उसके पिता को नक्सलियों ने मार दिया था। 5 बच्चों के अकेले पालना बालमति के लिए कड़ें संघर्षों से भरा था। लेकिन पति की मौत के बाद भी उन्होंने अपने बच्चों की परवरिश में कभी कमी नहीं आने दी।
अपने पति की मृत्यु के बाद बालमति को गुमला के घाघरा ब्लॉक में प्रखंड विकास अधिकारी (बीडीओ) कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी के रूप में नौकरी मिल गई, और परिवार वहां के सरकारी क्वार्टर में शिफ्ट हो गया।
इसके बाद सुप्रीति का दाखिला पहले नुक्रुडिप्पा चैनपुर स्कूल में हुआ था, जहां वह मिट्टी के छोटे से ट्रैक पर दौड़ती थी। बाद में उन्हें छात्रवृत्ति पर गुमला के सेंट पैट्रिक स्कूल में भर्ती कराया गया। जहां उनके खेल को देखकर कोच प्रभात रंजन तिवारी ने 2015 में झारखंड स्पोर्ट्स ट्रेनिंग सेंटर में उन्हें ट्रेनिंग देना शुरू किया।
सुप्रीति बचपन से ही एथलीट बनाना चाहती थी और आज उसने अपने इस सपने को साकार कर दिया है। उन्होंने गुरुवार को पंचकूला में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में लड़कियों की 3000 मीटर दौड़ में 9 मिनट और 50.54 सेकंड के समय के साथ,एक नया एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया राष्ट्रीय युवा रिकॉर्ड बनाया और गोल्ड मेडल जीता।
इससे पहले 2020 में भी सुप्रीति ने खेलो इंडिया में गोल्ड मेडल हासिल किया था। उन्होंने 2020 में गुवाहाटी में खेलो इंडिया यूथ एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 3000 मीटर दौड़ में मीट रिकॉर्ड के साथ स्वर्ण पदक हासिल किया था। इसके बाद 2021 में, उन्होंने 36 वीं जूनियर महिला राष्ट्रीय एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में रजत पदक जीता था।
इस साल कोलंबिया में सुप्रीति ने कोझीकोड में फेडरेशन कप सीनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में महिलाओं की 5,000 मीटर दौड़ में भाग लिया, जहां उन्होंने अंडर -20 विश्व एथलेटिक्स चैंपियनशिप के लिए 16.40 मिनट के क्वालीफाइंग मार्क के मुकाबले 16 मिनट और 33 सेकंड का समय पूरा किया।