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Year Ender 2022: चीन सीमा पर सालभर रही तनातनी, विक्रांत से लेकर प्रचंड तक, इन हथियारों से बढ़ी सेना की ताकत

नई दिल्ली। मई 2020 में पूर्वी लद्दाख के गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद से सीमा पर तनाव जारी है। 2022 में भी पूरे साल एलएसी पर तनातनी जारी रही। 9 दिसंबर को तवांग में चीन और भारत के सैनिकों के बीच फिर झड़प हुई है। चीन ने एलएसी पर अतिक्रमण करने की कोशिश के साथ ही हिंद महासागर में भी अपनी मौजूदगी बढ़ाई है। चीन से मिल रही चुनौती को देखते हुए भारत की सेना को राफेल, अपाचे, विक्रांत और प्रचंड जैसे हथियारों से लैस किया गया है। इस साल विक्रांत और प्रचंड जैसे कई हथियार सेना में शामिल हुए हैं, जिससे भारत की सेनाओं की क्षमता बढ़ी है। आगे पढ़ें हथियारों के बारे में...

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Vivek Kumar
Published : Dec 19 2022, 10:06 AM IST | Updated : Dec 22 2022, 01:45 PM IST
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आईएनएस विक्रांत एयरक्राफ्ट कैरियर है। इसे सितंबर 2022 में नौसेना में शामिल किया गया था। इसके शामिल होने से भारत के पास दो एयरक्राफ्ट कैरियर हो गए हैं। इसे बनाने में 23 हजार करोड़ रुपए लगे हैं। यह भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है। विक्रांत समुद्र में तैरते 18 मंजिला घर की तरह है। इसके हल (मुख्य ढांचा) के निर्माण में 21 हजार टन स्टील का इस्तेमाल हुआ है। इतना स्टील तीन एफिल टावर बनाने के लिए पर्याप्त है। इसका फ्लाइट डेट इतना बड़ा है कि फुटबॉल के दो मैदान समा जाएं। इसका हैंगर एरिया इतना बड़ा है कि 30 विमानों और हेलिकॉप्टरों को रखा जा सकता है। इस एयरक्राफ्ट कैरियर पर राफेल या F/A-18 सुपर हॉर्नेट को तैनात किया जाएगा। नौसेना ने दोनों विमानों का टेस्ट लिया है। इनमें से किसी एक को खरीदने का फैसला होगा।

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आईएनएस मोरमुगाओ स्वदेश निर्मित गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रॉयर है। इसे रविवार को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। ब्रह्मोस मिसाइल इसका मुख्य हथियार है। हवाई खतरे से बचने के लिए इसे बराक 8 मिसाइल से लैस किया गया है। यह युद्धपोत अत्याधुनिक सेंसर, रडार और सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस है। युद्धपोत का डिस्प्लेसमेंट 7,400 टन है। यह 163 मीटर लंबा और 17 मीटर चौड़ा है। यह भारत में बने सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक है। जहाज में चार शक्तिशाली गैस टर्बाइन इंजन लगे हैं। इसकी अधिकतम रफ्तार 55.56 किलोमीटर प्रतिघंटा है। नौसेना ने कहा कि यह जहाज परमाणु, जैविक और रासायनिक युद्ध की स्थिति में भी काम करेगा। यह पानी के अंदर छिपी पनडुब्बियों को भी खोजकर उसे नष्ट कर सकता है। इसमें स्वदेशी रॉकेट लॉन्चर और टारपीडो लॉन्चर लगे हैं। 

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भारतीय वायु सेना में 3 अक्टूबर को स्वदेशी अटैक हेलिकॉप्टर प्रचंड शामिल हुआ था। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित किया गया है। यह अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती के लिए डिजाइन किया गया है। 5.8 टन का यह हेलिकॉप्टर दुनिया का एकमात्र अटैक हेलिकॉप्टर है जो अपने पूरे हथियारों के साथ 5000 मीटर की ऊंचाई पर लैंड और टेकऑफ कर सकता है। मिसाइल से लेकर रॉकेट तक, यह ऐसे घातक हथियारों से लैस है, जिसकी मदद से बंकर और टैंक से लेकर दूसरे हेलिकॉप्टर तक को तबाह कर सकता है।
 

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भारत ने अमेरिका से 24 एमएच-60 आर हेलिकॉप्टर खरीदने का सौदा किया है। भारतीय नौसेना को जुलाई 2022 में पहले दो एमएच-60 आर हेलिकॉप्टर मिले। एमएच-60 आर हेलिकॉप्टर को पनडुब्बियों के खिलाफ होने वाली लड़ाई के लिए सबसे बेहतर माना जाता है। यह हेलिकॉप्टर एंटी-सबमरीन वारफेयर (ASW), एंटी-सरफेस वारफेयर (ASuW), सर्च-एंड-रेस्क्यू (SAR), नेवल गनफायर सपोर्ट (NGFS), सर्विलांस, कम्युनिकेशन रिले, लॉजिस्टिक्स सपोर्ट सहित कई मिशनों के लिए इस्तेमाल हो सकता है। इसे दो इंजनों से ताकत मिलती है। 

पनडुब्बियों की तलाश के लिए इसे सोनोबॉय लांचर और रेथियॉन AN/AQS-22 एडवांस्ड एयरबोर्न लो-फ़्रीक्वेंसी (ALFS) डिपिंग सोनार से लैस किया गया है। पनडुब्बी का पता चलने के बाद यह उसे अपने एमके 46 और एमके 50 टॉरपीडो से नष्ट कर सकता है। यह अपने साथ तीन टॉरपीडो लेकर उड़ान भरता है। युद्धपोत और समुद्री जहाज के खिलाफ यह एजीएम-119 पेंगुइन और एजीएम-114 हेलफायर मिसाइल का इस्तेमाल करता है।

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1 दिसंबर को एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर Mk-III इंडियन कोस्टल गार्ड में शामिल हुआ था। इसका निर्माण हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा किया गया है। यह ध्रुव हेलिकॉप्टर का नेवल वर्जन है। इसे उन्नत रडार के साथ-साथ इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसर, फुल ग्लास कॉकपिट, हाई इनटेंसिटी सर्चलाइट सहित अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया गया है। दिन हो या रात यह हेलिकॉप्टर हर वक्त काम कर सकता है। इसकी मदद से राहत और बचाव अभियान भी चलाया जा सकता है। 
 

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भारत ने परमाणु हमला करने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल Agni V का सफल परीक्षण पिछले दिनों किया गया है। 5400 किलोमीटर रेंज वाले इस मिसाइल की पहुंच में पूरा चीन है। मिसाइल 24 मैक (29,401 km/h) की अधिकतम रफ्तार से टारगेट तक पहुंचता है। मिसाइल का वजन 50 हजार किलोग्राम है। यह अपने साथ 1500 किलोग्राम परमाणु हथियार ले जा सकता है। अग्नि-5 तीन स्टेज वाला बैलिस्टिक मिसाइल है। इसे ठोस इंधन से ताकत मिलती है। ठोस इंधन इस्तेमाल होने के चलते इसे कम समय में फायर करने के लिए तैयार किया जा सकता है। 
 

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भारत ने रूस से एयर डिफेंस सिस्टम एस-400 की पांच रेजिमेंट खरीदने के लिए सौदा किया था। रूस से पहली खेप पिछले साल दिसंबर में भारत पहुंची। इस साल एस-400 को चीन से लगी सीमा के करीब तैनात किया गया। एस-400 के आने से न सिर्फ हवाई हमलों से बचाव की क्षमता में इजाफा हुआ है, बल्कि इससे दुश्मन पर नजर रखने की भारत की ताकत भी बढ़ गई है। एस-400 को दुनिया का बेहद प्रभावी एयर डिफेंस सिस्टम माना जाता है। यह हर तरह के हवाई टारगेट (क्रूज मिसाइल, बैलिस्टिक मिसाइल, लड़ाकू विमान, विमान, हेलिकॉप्टर, रॉकेट्स और ड्रोन) को हवा में ही नष्ट कर देता है। 

एस-400 मोबाइल सिस्टम है। इसके मिसाइलों को ट्रक पर लोड किया गया है। ट्रक पर ही इसके राडार और अन्य उपकरण लगे रहते हैं। इसके चलते इसे तेजी से मोर्चे पर तैनात किया जा सकता है। आदेश मिलते ही यह 5-10 मिनट में तैयार हो जाता है। एस-400 सिस्टम के मिसाइलों का अधिकतम रेंज 400 किलोमीटर है। यह 30 किलोमीटर की ऊंचाई तक अपने लक्ष्य को नष्ट कर सकता है। 
 

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भारत ने फ्रांस से 36 राफेल फाइटर जेट खरीदने का सौदा किया था। 15 दिसंबर 2022 को 36वां राफेल विमान भारतीय वायु सेना को मिल गया। राफेल 4.5 जेनरेशन का लड़ाकू विमान है। यह लंबी दूरी तक हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने वाले मिसाइलों से लैस है। इस विमान के पास एडवांस्ड रडार और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर क्षमताएं हैं। फ्रांस की कंपनी डसॉल्ट एविएशन ने इसे बनाया है। 

दो इंजन वाला यह विमान ग्राउंड अटैक, सी अटैक, हवा में दूसरे विमान से लड़ाई, जासूसी और परमाणु हमला जैसे मिशन को यह अंजाम दे सकता है। राफेल लंबी दूरी तक हवा से हवा में मार करने वाले मेट्योर मिसाइल से लैस है। इसके चलते इसे चीन और पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों पर बढ़त हासिल है। यह हवा से जमीन पर मार करने वाले हैमर मिसाइल लेकर उड़ता है, जिससे भारतीय वायु सेना की बालाकोट जैसे हमले करने की क्षमता बढ़ गई है।

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भारतीय नौसेना के लिए पहला एंटी-सबमरीन वारफेयर शैलो वाटर क्राफ्ट (Anti-Submarine Warfare Shallow Water Craft-ASWSWC) तैयार किया गया है। 77.6 मीटर लंबा और 10.5 मीटर चौड़ा यह पोत पनडुब्बियों का शिकार करने के लिए बना है। नौसेना ने ऐसे 16 जहाजों का ऑर्डर दिया है। भारतीय जलक्षेत्र के करीब चीनी पनडुब्बियों की आवाजाही को देखते हुए ये जहाज बेहद अहम भूमिका निभाएंगे।
 

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एलएसी पर चीन के साथ तनातनी को देखते हुए भारत ने हल्के वजन वाले 354 टैंकों के लिए ऑर्डर दिया है। इन्हें लद्दाख समेत अन्य ऊंचे पहाड़ी इलाकों में तैनात किया जाएगा। 17,500 करोड़ रुपए की लागत वाले इस प्रोजेक्ट को 'जोरावर' नाम दिया गया है। टैंक का वजन 25 टन से अधिक नहीं होगा। हल्के वजन के चलते इन्हें ऊंचे पहाड़ी इलाके में ऑपरेट करने में आसानी होगी।

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Vivek Kumar
About the Author
Vivek Kumar
विवेक कुमार। डिजिटल मीडिया में 12 साल का अनुभव। मौजूदा समय में एशियानेट न्यूज हिंदी के साथ बतौर सीनियर सब एडिटर काम कर रहे हैं। नेशनल, वर्ल्ड, ट्रेन्डिंग टॉपिक, एक्सप्लेनर, डिफेंस, पॉलिटिक्स जैसे टॉपिक में इनका इंट्रेस्ट है। इन्होंने एमएससी किया हुआ है। मूलतः ये बिहार के रहने वाले हैं। Read More...
 
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