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Corona: क्या है धारावी मॉडल, जिससे बच गईं 10 लाख जिंदगियां; अब WHO ने दुनिया के सामने की तारीफ

मुंबई. भारत में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा संक्रमित शहर मुंबई है। यहां की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती धारावी में कोरोना का सबसे ज्यादा खतरा था। अब विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने धारावी में कोरोनो वायरस ब्रेक के लिए उठाए गए कदमों की तारीफ की है। WHO ने कहा, धारावी में कोरोना वायरस को रोकने के लिए किए गए प्रयासों से आज यह इलाका कोरोना फ्री होने की कगार पर है। यह राष्ट्रीय एकता और एकजुटता ही महामारी को हराने में कारगार साबित हो सकती है। 

Asianet News Hindi | Updated : Jul 11 2020, 10:40 AM
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WHO के महानिदेशक ट्रेडोस अधनोम ने कहा, दुनिया में कई ऐसे उदाहरण हैं, जिन्होंने यह दिखाया कि भले ही कोरोना महामारी का प्रकोप कितना भी हो, लेकिन इसे नियंत्रम में लाया जा सकता है। इन उदाहरणों में इटली, स्पेन, दक्षिण कोरिया यहां तक की मुंबई का धारावी भी शामिल है। 

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टेस्टिंग, ट्रेसिंग, सोशल डिस्टेंसिंग से मिली कामयाबी
WHO की ओर से कहा गया कि धारावी में टेस्टिंग, ट्रेसिंग, सोशल डिस्टेंसिंग और संक्रमित मरीजों का तुरंत इलाज करके कोरोना से लड़ाई में सफलता मिली है। 

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शुक्रवार को 12 नए मामले आए सामने
मुंबई की धारावी में शुक्रवार को कोरोना के 12 नए मामले सामने आए। यहां अब तक 2359 लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। 1,952 लोग ठीक हो चुके हैं। अभी 166 मरीजों का इलाज चल रहा है। धारावी एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती है। यह 2.5 वर्ग किलोमीटर में फैली है। यहां लगभग 6-10 लाख लोग रहते हैं। 

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10 लाख लोगों की जान को था खतरा 
धारावी में 1 अप्रैल को पहला मामला सामने आया था। यहां काफी घनी आबादी है। यहां तक की 1 घर में 10-15 लोग रहते हैं। ऐसे में ना तो सोशल डिस्टेंसिंग संभव थी और ना ही होम क्वारंटीन। यहां आशंका थी कि स्थिति काफी बिगड़ सकती है। क्योंकि 80% लोग सार्वजनिक शौचालय का इस्तेमाल करते हैं। यहां 10 लाख लोगों की जिंदगी खतरे में थी।  

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क्या है धारावी मॉडल?
धारावी में प्रशासन ने चेस द वायरस नाम से अभियान शुरू किया। इसके तहत कॉन्ट्रेक्ट ट्रेसिंग, फीवर कैंप, आइसोलेशन, टेस्ट करना शुरू किया गया। स्कूल और कॉलेज को क्वारंटीन सेंटर बनाया गया। डॉक्टर और नर्सों की व्यवस्था की गई। जगह जगह कैंप लगाए गए। लोगों के घर घर जाकर स्क्रीनिंग हुई। जिनमें लक्षण दिखे, उन्हें क्वारंटीन किया गया। 

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यहां करीब 11 हजार लोगों को अब तक क्वारंटीन किया गया। इतना ही नहीं कई समाजिक संगठन और प्राइवेट अस्पताल भी मदद के लिए आगे आए। इन सबका नतीजा है कि यहां 77% लोग ठीक हो चुके हैं। जबकि 23% लोगों का इलाज चल रहा है। 

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 12 क्वारंटीन सेंटर बनाए गए थे 
पूरे इलाके में स्कूल-कॉलेजों को मिलाकर 12 क्वारंटीन सेंटर बनाए गए थे। अब तीन बंद हो गए हैं। अभी राजीव गांधी स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, धारावी मुनसिपिल स्कूल, स्काउट बेड हॉल को बंद किया जा चुका है। यहां 9 सेंटर अभी भी चल रहे हैं। 

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2500 कर्मचारी रहे तैनात
धारावी में कोरोना को फैलने से रोकने के लिए बड़े स्तर पर तैयारी की गई थी। यहां बीएमसी के करीब 2450 लोग दिन रात काम में लगे थे। इनमें सफाई कर्मचारी से लेकर पानी खोलने वाला तक शामिल था। वहीं, 1250 लोगों की मेडिकल टीम भी थी। इनमें 12-13 डॉक्टर शामिल थे। सभी ने दिन रात काम कर कोरोना को हराने में अहम भूमिका निभाई। 

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शौचालय की समस्या से कैसे निपटा गया?
धारावी में सार्वजनिक शौचालय ही सबसे बड़ी समस्या थे। धारावी में करीब 450 से अधिक ऐसे शौचालय हैं, इनका इस्तेमाल 80% लोग करते हैं। शुरुआत में शौचालय को दो से तीन बार सैनिटाइज किया गया। इसके बाद केस बढ़ते देख 5-6 बार सैनिटाइजेशन की व्यवस्था की गई। शौचालय से बाहर हैंडवाश रखा गया।

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डिटॉल और हिंदुस्तान यूनिलीवर ने बड़ी संख्या में साबुन और हैंडवाश उपलब्ध कराए। कई एनजीओ और संस्थाएं भी मदद के लिए आगे आएं। 

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