- Home
- National News
- 10 PHOTOS में देखें, जब प्रधानमंत्री नहीं बल्कि एक बेटा बन मां हीराबेन से मिले मोदी
10 PHOTOS में देखें, जब प्रधानमंत्री नहीं बल्कि एक बेटा बन मां हीराबेन से मिले मोदी
Hiraben Health: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां हीराबेन (Hiraben) की तबीयत मंगलवार 27 दिसंबर की रात को अचानक बिगड़ गई, जिसके बाद उन्हें अहमदाबाद के यूएन मेहता अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मां को देखने खुद पीएम मोदी अस्पताल पहुंचे, जहां उन्होंने डॉक्टरों से मां के स्वास्थ्य को लेकर बात की। अस्पताल ने बुधवार दोपहर को हेल्थ बुलेटिन जारी करते हुए बताया कि हीराबा की तबीयत फिलहाल स्थिर है। बता दें कि हीरा बेन इसी साल 18 जून, 2022 को 100 साल की हुई हैं। मां के 100वें जन्मदिन पर खुद पीएम मोदी उनसे मिलने पहुंचे थे। इस दौरान मां-बेटे की कई तस्वीरें भी सामने आई थीं, जिनमें दोनों की बॉन्डिंग देखते ही बनती है। आइए देखते हैं, पीएम मोदी के साथ उनकी मां की कुछ ऐसी ही तस्वीरें।
- FB
- TW
- Linkdin
)
PM मोदी हाल ही में गुजरात चुनाव में वोटिंग के दौरान 4 दिसंबर को गांधीनगर में अपनी मां हीराबेन से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने मां के पैर छूकर आशीर्वाद लिया था। साथ ही दोनों ने बैठकर चाय पी थी।
इससे पहले पीएम मोदी 11 और 12 मार्च, 2022 को जब गुजरात के दौरे पर थे, तब भी मां से मिलने पहुंचे थे। इस दौरान उन्होंने गांधीनगर वाले घर में मां हीराबा के साथ बैठक खिचड़ी खाई थी। इस दौरान मोदी बड़े ही स्नेह से मां को निहारते दिखे थे।
नरेन्द्र मोदी ने हीराबेन के जन्मदिन पर 'मां' शीर्षक से एक ब्लॉग लिखा था। इस ब्लॉग में उन्होंने अपने बचपन और संघर्ष के दौरान की तमाम यादों के साथ ही जीवन में मां के महत्व को भी बखूबी बताया है। बता दें कि हीराबेन गुजरात में गांधीनगर के पास रायसण गांव में मोदी के छोटे भाई पंकज के साथ रहती हैं।
मां हीराबेन के 100वें जन्मदिन पर पीएम मोदी ने गांधीनगर जाकर मां का आशीर्वाद लिया था। साथ ही उन्होंने ब्लॉग में मां का जिक्र करते हुए लिखा था- बचपन के संघर्षों ने मेरी मां को उम्र से बहुत पहले बड़ा कर दिया था। वो अपने परिवार में सबसे बड़ी थीं और जब शादी हुई तो भी सबसे बड़ी बहू बनीं।
मोदी ने ब्लॉग में आगे लिखा- मेरी मां बचपन में जिस तरह अपने घर में सभी की चिंता करती थीं, सभी का ध्यान रखती थीं, सारे कामकाज की जिम्मेदारी उठाती थीं, वैसे ही जिम्मेदारियां उन्हें ससुराल में उठानी पड़ीं। इन जिम्मेदारियों के बीच, इन परेशानियों के बीच, मां हमेशा शांत मन से, हर स्थिति में परिवार को संभाले रहीं।
मेरी मां समय की बहुत पाबंद थीं। उन्हें सुबह 4 बजे उठने की आदत थी। सुबह-सुबह ही वो बहुत सारे काम निपटा लिया करती थीं। गेहूं पीसना हो, बाजरा पीसना हो, चावल या दाल बीनना हो, सारे काम वो खुद करती थीं। काम करते हुए मां अपने कुछ पसंदीदा भजन या प्रभातियां गुनगुनाती रहती थीं।
घर चलाने के लिए दो चार पैसे ज्यादा मिल जाएं, इसके लिए मां दूसरों के घर बर्तन भी मांजा करती थीं। इसके अलावा वो वक्त निकालकर कई बार चरखा भी चलाती थीं, क्योंकि उससे भी कुछ पैसे मिल जाते थे। कपास के छिलके से रूई निकालने का काम, रुई से धागे बनाने का काम, ये सब कुछ मां खुद ही करती थीं।
पीएम मोदी ने मां को लेकर ब्लॉग में लिखा था- मां कभी हमसे अपेक्षा नहीं करती थीं कि हम भाई-बहन अपनी पढ़ाई छोड़कर उनकी मदद करें। वो कभी अपना हाथ बंटाने के लिए हमसे नहीं कहती थीं। मां को लगातार काम करते देखकर हम भाई-बहनों को खुद ही लगता था कि काम में उनका हाथ बंटाएं।
18 जून को मां हीराबेन के 100वें जन्मदिन पर जब मोदी उनसे मिले थे, तो उन्होंने पैर धोकर आशीर्वाद लिया था। साथ ही उन्होंने मां के चरण जल को अपनी आंखों से लगाया था। मां के प्रति उनके स्नेह की तस्वीरें खूब वायरल हुई थीं।
बता दें कि इससे पहले 2016 में भी पीएम मोदी की मां हीराबेन की तबीयत बिगड़ी थी। तब उन्हें गांधीनगर के सिविल अस्पताल में एडमिट कराना पड़ा था। इस दौरान उनका गांधीनगर के सरकारी अस्पताल में बिल्कुल आम लोगों की तरह जनरल वॉर्ड में इलाज हुआ था।