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10 PHOTOS: भारत के अलग-अलग शहरों में कुछ इस तरह दिखा ग्रहण, एक जगह तो कुछ यूं नजर आए सूर्य
Solar Eclipse from different Cities: साल का आखिरी सूर्य ग्रहण (25 अक्टूबर) को देश के अलग-अलग शहरों में दिखाई दिया। भारत में करीब 2 घंटे तक सूर्यग्रहण को देखा गया। भारत में सबसे पहले सूर्यग्रहण अमृतसर में दिखाई पड़ा, जहां इसे 4 बजकर 19 मिनट से देखा गया। वहीं मुंबई में शाम 6 बजकर 9 मिनट तक इसे देखा गया। भारत में सूर्यास्त के साथ ही ग्रहण समाप्त हो गया। दुनिया की बात करें तो सूर्य ग्रहण सबसे पहले आइसलैंड में भारतीय समयानुसार दोपहर 2 बजकर 29 मिनट से शुरू हुआ। शाम 4 बजकर 30 मिनट पर यह अपने चरम पर था। देश के अलग-अलग शहरों में ग्रहण के दौरान सूर्य किस तरह नजर आए। आइए देखते हैं।
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लखनऊ में यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सूर्यग्रहण को दूरबीन के माध्यम से देखा। बता दें कि रुस में सबसे ज्यादा सूर्यग्रहण दिखा। यहां 80 प्रतिशत तक सूर्यग्रहण नजर आया। वहीं चीन में 70 प्रतिशत तक सूर्यग्रहण दिखा।
भारत से पहले दुनिया के अलग-अलग देशों में सूर्य ग्रहण देखा गया। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के मुताबिक 25 अक्टूबर के सूर्य ग्रहण को यूरोप, नॉर्थ-ईस्ट अफ्रीका, मिडिल ईस्ट और वेस्ट एशिया में भी देखा गया।
साल का आखिरी आंशिक सूर्य ग्रहण दिल्ली में शाम 4 बजकर 29 मिनट से शुरू हुआ। वहीं इसका समापन 5 बजकर 42 मिनट पर हुआ। ग्रहण के चलते दुनिया भर के सभी मंदिरों के कपाट बंद रखे गए।
पूर्वोत्तर के कुछ हिस्सों को छोड़कर भारत के ज्यादातर शहरों में आंशिक सूर्य ग्रहण देखा गया। सूर्यग्रहण के दौरान श्रद्धालुओं ने पवित्र नदियों में डुबकी भी लगाई।
सूर्यग्रहण के दौरान हरिद्वार में हजारों की संख्या में लोग गंगा स्नान करने के लिए पहुंच चुके हैं। दरअसल, सूर्यग्रहण के बाद गंगा स्नान करने का विशेष महत्व है।
सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से देखना हानिकारक माना जाता है। इसकी वजह से आपकी आंख में कई परेशानियां हो सकती हैं। अगर आप सूर्य ग्रहण को नग्न आंखों से देखते हैं तो इसकी रोशनी के कारण आपको देखने में परेशानी, आंख में खुजली की समस्या भी हो सकती है।
जब ग्रहण का सूतक रहता है, तब पूजा-पाठ जैसे शुभ काम नहीं किए जाते हैं। इस वजह से सभी मंदिर बंद रहते हैं। ग्रहण खत्म होने के बाद ही पूजा-पाठ की जाती है। ग्रहण के समय में बिना आवाज किए मंत्र जप किए जा सकते हैं। इस समय में जरूरतमंद लोगों को दान भी करना चाहिए।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण के मुताबिक, पृथ्वी चंद्र के साथ सूर्य की परिक्रमा करती है और चंद्र पृथ्वी की परिक्रमा करता है। जब चंद्र परिक्रमा करते हुए पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है और ये तीनों ग्रह एक सीधी लाइन में होते हैं, तब चंद्र की छाया पृथ्वी पर पड़ती है। इससे सूर्य का हिस्सा
छुप जाता है, जिसे ग्रहण कहते हैं।
वहीं, धार्मिक दृष्टिकोण के मुताबिक, देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया जिससे अमृत निकला। विष्णु जी मोहिनी अवतार लेकर जब देवताओं को अमृत पान करा रहे थे, तभी एक असुर राहु देवताओं का वेश बनाकर उनके बीच बैठ गया और उसने भी अमृत पी लिया। सूर्य और चंद्र ने राहु को पहचान लिया और ये बात विष्णु जी को बात बता दी। विष्णु जी ने राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया, लेकिन तब तक राहु अमृत पी चुका था। इसलिए वो अमर हो गया। राहु के दो हिस्से हो गए। एक हिस्से को राहु और दूसरे हिस्से को केतु कहा जाता है।
बता दें कि इस सूर्य ग्रहण के बाद 8 नवंबर को पूर्ण चंद्र ग्रहण भी होगा, जो एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका में दिखेगा।
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