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तब्लीगी की बिल्डिंगा ढहा दें, पूरी तरह बैन कर दें...SC पहुंचे शख्स की मांग, गृह मंत्रालय को दें निर्देश

नई दिल्ली. देश में कोरोना संक्रमण बढ़ने की एक बड़ी वजह तब्लीगी जमात को भी माना जा रहा है। अब तब्लीगी जमात को लेकर सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका लगाई गई है, जिसमें मांग की गई है कि गृह मंत्रालय को निर्देश दिए जाएं कि तब्लीगी जमात पर पूरी तरह से बैन लगाए और निजामुद्दीन ऑफिस को भी ढहा दिया जाए। भारत में 7 अप्रैल की शाम 7 बजे तक कोरोना के 5035 केस सामने आ चुके हैं। 143 लोगों की मौत हो चुकी है। 398 ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं। महाराष्ट्र, तमिलनाडु और दिल्ली सबसे ज्यादा प्रभावित राज्य हैं।

Asianet News Hindi | Updated : Apr 07 2020, 07:40 PM
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दिल्ली के अजय गौतम ने याचिका लगाई है। उन्होंने याचिका में मांग की है कि तब्लीगी जमात पर पूरी तरह से बैन लगे। याचिकाकर्ता ने अदालत से केंद्र और दिल्‍ली सरकार को इस संबंध में निर्देश देने की गुहार लगाई है।
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यूपी में अब तक कुल 308 कोरोना के केस है, इसमें 168 केस तब्लीगी जमात से हैं। कोरोना के खिलाफ प्रदेश सरकार ने UP कोविड केयर फंड की स्थापना की है इस फंड का उपयोग प्रदेश में टेस्टिंग फैसिलिटी को बढ़ाने में किया जाएगा। प्रदेश में 10 टेस्टिंग लैब हैं।
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केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने कहा, मंगलवार को 9 व्यक्ति कोरोना से संक्रमित मिले हैं। कासरगोड से 4, कन्नूर से 3, कोल्लम और मलप्पुरम से 1-1 मामला मिला है, विदेश से लौटे 4 लोग, दिल्ली में तब्लीगी जमात कार्यक्रम में शामिल 2 लोग और 3 लोग दूसरों के संपर्क में आने से वायरस से ग्रस्त हुए हैं।
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पंजाब स्वास्थ्य विभाग ने दिल्ली निजामुद्दीन मरकज कार्यक्रम में भाग लेने वाले तब्लीगी जमात से जुड़े ऐसे लोग जो पंजाब में छिपे हैं उन्हें 24 घंटे का समय दिया है, वे निकटतम पुलिस स्टेशन में जाकर अपनी पहचान बता सकते हैं, ऐसा न करने पर उन्हें आपराधिक मुकदमे का सामना करना पड़ेगा।
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दिल्ली सरकार ने तब्लीगी जमात से जुड़े 1950 लोगों के फोन नंबर दिल्ली पुलिस को दिए हैं। इन सभी लोगों को निजामुद्दीन तब्लीगी मरकज से हाल ही में हटा दिया गया था।
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बागपत के एक अस्पताल से फरार हुए एक कोरोना पॉजिटिव नेपाल नागरिक को पकड़ा गया है। उसने दिल्ली में तब्लीगी जमात कार्यक्रम में भाग लिया था। पुलिस के मुताबिक,उसे अस्पताल से 3 किमी दूर पाया गया था और उसे फिर से अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
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मुंबई में क्वारंटाइन आदेशों का उल्लंघन करने और सरकार के आधिकारिक प्रतिबंधात्मक आदेश का उल्लंघन करने के लिए आजाद मैदान पुलिस स्टेशन में तब्लीगी जमात के 150 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
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दिल्ली में तब्लीगी जमात कार्यक्रम में भाग लेने वाले 2 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। वर्तमान में उन्हें नरेला के एक क्वारंटाइन सेंटर में रखा गया है। आरोप है कि इन्होंने एक कमरे के सामने शौच की।
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हिमाचल प्रदेश में 456 सैंपल लैब में भेजे गए थे, जिनमें से 14 सैंपल कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। तब्लीगी जमात के 329 लोगों को क्वारंटाइन किया गया है। तबलीगी जमात के एक कोरोना पॉजिटिव व्यक्ति को टांडा मेडिकल कॉलेज में आइसोलेट किया गया है।
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तमिलनाडु में आज 50 नए कोरोना पॉजिटिव केस मिले हैं, जिनमें तब्लीगी जमात से जुड़े 48 मामले हैं।
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गृह मंत्रालय ने कहा है कि हमने 25,000 तब्लीगी जमात कार्यकर्ताओं और उनके संपर्क में आने वाले लोगों को क्वारंटाइन कर दिया है, हरियाणा के 5 गांव जहां वे गए थे उन्हें भी सील कर दिया गया है।
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कब हुआ था कार्यक्रम: दरअसल, यहां 1 से 15 मार्च तक तब्लीगी जमात के मरकज में 5 हजार लोग आए। इसमें बांग्लादेश, श्रीलंका, अफगानिस्तान, मलेशिया, सऊदी अरब, इंग्लैंड और चीन के नागरिक भी शामिल थे। 22 मार्च यानी जनता कर्फ्यू के बाद भी यहां 2000 लोग ठहरे हुए थे। अब इनमें से 200 लोगों को संक्रमण की आशंका है।
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मरकज तब्लीगी जमात क्या है?: मरकज तब्लीगी जमात में तीन शब्द हैं। मरकज का अर्थ होता है मीटिंग के लिए जगह, तब्लीगी का मतलब होता है अल्लाह की कही बातों का प्रचार करने वाला और जमात का मतलब है समूह। यानी अल्लाह की कही बातों का प्रचार प्रसार करने वाला समूह। तब्लीगी जमात से जुड़े लोग पारंपरिक इस्लाम को मानते हैं।
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तब्लीगी जमात की शुरुआत इस उद्देश्य के लिए की गई थी कि मुसलमानों को धर्म में बनाए रखा जाए और इस्लाम का प्रचार-प्रसार और उसके बारे में जानकारी दी जा सके।
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मीडिया रिपोर्ट को माने तो इस जमात के करीब 15 करोड़ सदस्य दुनियाभर में हैं। 20वीं सदी में इस जमात को सबसे बड़ा और अहम आंदोलन माना गया था।
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भारत में कब हुई शुरुआत? : भारत में यह जमात 1927 में शुरू हुई। मुहम्मद इलियास अल-कांधलवी ने इसकी शुरुआत की। एशिया में इसे मानने वाले लोग सबसे ज्यादा हैं। भारत में पहली बार यह हरियाणा के नूंह जिले में इस जमात की शुरुआत हुई। दिल्ली के निजामुद्दीन में इसका मुख्यालय है।
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इस जमात की पहली मीटिंग 1941 में हुई थी। 1927 में बने इस जमात को पहली मीटिंग करने में 14 साल लगे। पहली मीटिंग में करीब 25 हजार लोग इकट्ठा हुए। धीरे धीरे इस जमात से दुनिया के कई देशों के मुस्लिम शामिल होने लगे और हर साल इसका कार्यक्रम होने लगा।
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इस जमात की सबसे बड़ी मीटिंग बांग्लादेश में होती है। इसके अलावा भारत और पाकिस्तान में भी इसका आयोजन होता है। इस जमात के सालाना कार्यक्रम में दुनिया के कई देशों के मुस्लिम शामिल होते हैं।
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क्या है निजामुद्दीन मरकज तब्लीगी जमात मामला?- निजामुद्दीन में 1 से 15 मार्च तक तब्लीगी जमात मरकज का जलसा था। यह इस्लामी शिक्षा का दुनिया का सबसे बड़ा केंद्र है। यहां हुए जलसे में देश के 11 राज्यों सहित इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड से भी लोग आए हुए थे। यहां पर आने वालों की संख्या करीब 5 हजार थी। जलसा खत्म होने के बाद कुछ लोग तो लौट गए, लेकिन लॉकडाउन की वजह से करीब 2 हजार लोग तब्लीगी जमात मरकज में ही फंसे रह गए। लॉकडाउन के बाद यह इकट्ठा एक साथ रह रहे थे। तब्लीगी मरकज का कहना है कि इस दौरान उन्होंने कई बार प्रशासन को बताया कि उनके यहां करीब 2 हजार लोग रुके हुए हैं। कई लोगों को खांसी और जुखाम की भी शिकायत सामने आई। इसी दौरान दिल्ली में एक बुजुर्ज की मौत हो गई। जांच हुई तो पता चला कि वह कोरोना संक्रमित था और वहीं निजामुद्दीन में रह रहा था। तब इस पूरे मामले का खुलासा हुआ।
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