फांसी की सजा के डर से कांप रहे हैं आरोपी, बचने के लिए बना चुके हैं ऐसे-ऐसे बहाने
नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप के अपराधियों को जल्द ही फांसी होने वाली है। दया याचिका खारिज होने के बाद फांसी का ट्रायल भी हो चुका है। साल 2012 में 16 दिसंबर की रात 12 बजे इन चार अपराधियों ने एक लड़की को किडनैप कर चलती बस में उसके साथ गैंगरेप किया। इसके बाद इन अपराधियों ने उस लड़की के शरीर को बुरी तरह नोंचा, मारपीट की और लोहे की एक रोड उसके शरीर में डालकर आंते बाहर निकाल दी थीं। इस वीभत्स कांड को करने पर जब ये पकड़े गए तो बहाने बनाने लगे थे। कोर्ट के सामने इन दरिंदों ने खुद को बचाने के लिए कुछ ऐसे झूठे बहाने बनाए जो आज हम आपको बताने जा रहे हैं......
| Updated : Dec 11 2019, 11:05 AM
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बस में हेल्पर का काम करने वाले पहले अक्षय कुमार सिंह को जब पकड़ा गया तो उसने 16 दिसंबर की रात को दिल्ली में न होने की बात कही, उसने दावा किया कि, मैं उस रात दिल्ली में ही नहीं था, मैं तो अपने गांव बिहार चला गया था।
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दूसरे आरोपी पवन गुप्ता जो कि फल बेचने का काम करता था ने खुद को निर्दोष बताया। उसने कहा कि, वो तो दोपहर को ही बस से चला गया था जबकि घटना रात को हुई।
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जिम में फिनेस ट्रेनर का काम करने वाले तीसरे विनय शर्मा ने अबज-गजब बहाना बनाया। पुलिस के सामने खुद को बचाने के लिए उसने कहा- मैं एक शादी में गया था वो भी (पवन गुप्ता दूसरे आरोपी) के साथ।
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चौथे आरोपी मुकेश सिंह ने गैंगरेप की घटना के दौरान मौजूद होने की बात तो कही लेकिन खुद को बकसूर बताया। उसने कहा कि, मैंने कुछ नहीं किया मैं तो सिर्फ बस चला रहा।
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पांचवे आरोपी जो नाबालिग था उसका नाम मोहम्मद अफराज है। नाबालिग होने के कारण इसकी पहचान और नाम उस समय नहीं बताया गया था। इसको जब पुलिस ने पकड़ लिया तो बोला कि मैं तो बच्चा हूं।
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छठा आरोपी राम सिंह बस का ड्राइवर था और एक बड़ा शराबी था। उसने पकड़े जाने पर खुद को बेकसूर बताया था। हालांकि उसे पता था कि उसने कितना बड़ा अपराध किया है पछतावे में आकर उसने कुछ दिन बाद जेल में ही सुसाइड कर लिया था।