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Makar Sankranti: कोरोना पर भारी आस्था, श्रद्धालुओं ने गंगा सागर में लगाई डुबकी, देखें फोटो
नई दिल्ली. देशभर में आज (शुक्रवार, 14 जनवरी) को मकर संक्रांति ( Makar Sankranti 2022) का त्योहार मनाया जा रहा है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी खाने और दान करने का महत्व बताया गया है। मकर संक्रांति के दिन लोग गंगा में डुबकी लगाकर सूर्य की पूजा करते हैं। कोरोना के बढ़ते मामलो के बीच देशभर में श्रद्धालु इस त्योहार को बडे़ ही धूमधाम के साथ मना रहे हैं। मकर संक्रांति को पूरे भारत में अलग अलग नामों से जाना जाता है। इस पर्व से जुड़ी कई कथाएं हैं। वहीं लगभग हर राज्य में मकर संक्रांति को मनाने के अलग अलग तरीके हैं। कई राज्यों में मकर संक्रांति को मनाने के अनोखे रीति रिवाज हैं। आइए तस्वीरों के जरिए देखते हैं कहां किस तरह से मनाई जा रही है मकर संक्रांति।
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गंगा सागर में डुबकी
मकर संक्रांति के मौके पर पश्चिम बंगाल में श्रद्धालु सुबह से ही गंगा सागर में डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं। यहां लोगों ने गंगा सागर में डुबकी लगाकर इस त्यौहार को मनाया। दक्षिण 24 परगना(पश्चिम बंगाल) मकर संक्रांति के अवसर पर गंगा सागर मेले में पहुंचे श्रद्धालुओं ने पवित्र स्नान किया।
कोविड के बीच मकर संक्रांति
उत्तराखंड में भी धूमधाम से त्योहार मनाया जा रहा है। हरिद्वार के CO सिटी शेखर सुयाल ने बताया कि सरकार ने कोविड दिशा-निर्देश जारी किए थे जिसको हम लागू करा रहे हैं। हम लोगों को उन घाटों पर भेज रहे हैं जहां भीड़ को कोविड दिशा-निर्देशों के साथ अच्छे से संभाला जा सकता है। जो लोग दूसरे राज्यों से स्नान करने आ रहे हैं उनको मना कर वापस भेज रहे हैं।
प्रयागराज में मकर संक्रांति के अवसर पर सुबह से ही स्नान शुरू हो गया है। प्रेम प्रकाश, एडीजी प्रयागराज जोन ने कहा- कि सभी श्रद्धालुओं से अनुरोध है कि कोविड टेस्ट करा कर आएं। कोविड दिशानिर्देशों का अनुपालन सुनिश्चित किया जाएगा। मेडिकल टीमें भी लगाई गई हैं। पुलिसकर्मियों की तैनाती बढ़ाई गई है।
असम में मकर संक्रांति को माघ बिहू या भोगली बिहू कहते हैं। इस दिन फसल उत्सव होता है, जिसे माघ में कटाई के मौसम के अंत का प्रतीक माना जाता है। असम उत्सव में बांस, पत्तियों और छप्पर से मेजी नाम की झोपड़ियां बनाई जाती है, इसमें दावत का आयोजन होता है और बाद में उन झोपड़ियों को जला दिया जाता है। केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने डिब्रूगढ़ में अपने पैतृक आवास पर पारंपरिक तरीके से बिहू पर्व मनाया।
तमिलनाडु के मदुरै के अवनियापुर में जल्लीकट्टू शुरू हुआ। तमिलनाडु में मकर संक्रांति को पोंगल कहते हैं। ये चार दिन का पर्व होता है।
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