- Home
- National News
- बीटिंग रिट्रीट की कहानी: युद्ध के दौरान सूर्यास्त होने पर जब सैनिक हथियार रखकर कैंप में लौटते थे
बीटिंग रिट्रीट की कहानी: युद्ध के दौरान सूर्यास्त होने पर जब सैनिक हथियार रखकर कैंप में लौटते थे
नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस के तीसरे दिन यानी 29 जनवरी को विजय चौक पर बीटिंग रिट्रीट का कार्यक्रम होता है। हर बार इस आयोजन में कुछ नई धुनें सुनने को मिलती हैं। इस बार बीटिंग रिट्रीट सेरेमनी में 1971 के युद्ध में पाकिस्तान पर विजय की धुन को जगह मिली है। इस धुन को ‘स्वर्णिम विजय’ थीम नाम दिया गया। बीटिंग रिट्रीट गणतंत्र दिवस समारोह की समाप्ति का प्रतीक है। इस आयोजन में थल, वायु और नौसेना के बैंड पारंपरिक धुनों पर मार्च करते हैं। युद्धकाल में सूर्यास्त होने पर सैनिक हथियार रखकर जब अपने-अपने कैंपों में लौटते थे, तब ऐसा ही दृश्य होता था। यह परंपरा तब से चली आ रही है। बता दें कि दो बार बीटिंग रिट्रीट कैंसल किया गया। 27 जनवरी 2009 को राष्ट्रपति वेंकटरमन का लंबी बीमारी के बाद आर्मी रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में निधन हो गया था। वे आठवें राष्ट्रपति थे। उनका कार्यकाल 1987-1992 तक रहा। इससे पहले 26 जनवरी 2001 को गुजरात में आए भूकंप के कारण यह आयोजन नहीं हुआ था। (सभी फाइल फोटोज)
| Published : Jan 29 2021, 12:29 PM IST / Updated: Jan 29 2021, 12:33 PM IST
- FB
- TW
- Linkdin
1971 में हुए भारत पाकिस्तान युद्ध को 50 साल पूरे हो गए हैं। इस बार की बीटिंग रिट्रीट में इसी विजयी धुन को जगह मिली। इस बार 15 सैन्य बैंड और रेजिमेंटल सेंटरों और बटालियनों के इतनी ही संख्या में ड्रम बैंड को जगह दी गई है।
बता दें कि बीटिंग रिट्रीट की समापन सारे जहां से अच्छा हिंदोस्तां हमारा की धुन से होता है। कोरोना के चलते इस बार दर्शक संख्या को सीमित रखा गया है। बीटिंग रिट्रीट पर राष्ट्रपति भवन, विजय चौक, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक आदि पर रोशनी देखने लायक होती है।
'बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी' की परंपरा 1950 से चली आ रही है। यह युद्ध के दौरान सेना की बैरक में वापसी को दर्शाता है। 1950 के दशक में भारतीय सेना के मेजर रॉबर्ट ने इस सेरेमनी को सेनाओं के बैंड्स के साथ शुरु कराया था। समारोह में राष्ट्रपति चीफ गेस्ट होते हैं।
बीटिंग रिट्रीट में बैंड की धुनों के बाद बिगुल बजाया जाता है। बिगुल अकसर युद्ध की शुरुआत और सूर्यास्त के दौरान रोकने पर होता था।
बिगुल वादन के बाद बैंड मास्टर राष्ट्रपति के पास जाकर अपना बैंड वापस लेते हैं। इसका मतलब होता है कि गणतंत्र दिवस समारोह पूरा हो गया है।
राष्ट्रपति से बैंड लेने के बाद तीनों सेनाओं के बैंड मार्च करते हुए सारे जहां से अच्छा की धुन बजाते हुए रवाना होते हैं। इस दौरान परेड देखने लायक होती है।