MalayalamEnglishKannadaTeluguTamilBanglaHindiMarathi
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • खेल
  • फोटो
  • गेम्स
  • वीडियो
  • वायरल
  • KEA 2025
  • Home
  • National News
  • मनहूस मॉनसून : बाढ़ के तांडव में कैसे बचा केदारनाथ का मंदिर, पढ़ें 16 जून की रात का वो दिलचस्प वाकया

मनहूस मॉनसून : बाढ़ के तांडव में कैसे बचा केदारनाथ का मंदिर, पढ़ें 16 जून की रात का वो दिलचस्प वाकया

Kedarnath Disaster: 9 साल पहले 16-17 जून, 2013 को उत्तराखंड में हुई तेज बारिश के बाद अचानक आए सैलाब ने पूरे राज्य में भारी तबाही मचाई थी। कहते हैं कि केदारनाथ धाम में मंदिर को छोड़कर सबकुछ तबाह हो गया था। पहाड़ से पानी के साथ बहकर आए मलबे में हर चीज जमींदोज हो गई थी, लेकिन बावजूद इसके केदारनाथ मंदिर आखिर कैसे सुरक्षित बचा रहा। भगवान भोलेनाथ के भक्त इसे उन्हीं का चमत्कार मानते हैं। वहीं कुछ जानकारों का कहना है कि हजारों साल पुराने इस मंदिर की मजबूत बनावट और डिजाइन ने इसे बचा लिया। मनहूस मॉनसून सीरिज के तहत हम आज बता रहे हैं आखिर चौतरफा तबाही के बीच कौन बन गया था मंदिर की ढाल? 

Asianet News Hindi | Updated : Jul 11 2022, 10:47 AM
3 Min read
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • Google NewsFollow Us
19
Asianet Image

केदारनाथ के उपरी इलाके में भयानक बारिश और ग्लेशियर टूटने की वजह से जब पानी तेजी से मलबे के साथ नीचे की और उतरा तो रास्ते में आने वाली हर एक चीज जमींदोज हो गई। लेकिन भगवान भोलेनाथ के मंदिर को कोई छू भी न सका। लोग इसके पीछे भगवान का चमत्कार ही मानते हैं। 

29
Asianet Image

केदारनाथ के दो साधुओं के मुताबिक, 16 जून को जब बारिश के चलते तबाही मची तो इन दोनों साधुओं ने मंदिर के पास स्थित एक खंभे पर चढ़कर अपनी जान बचाई। खंभे पर चढ़े साधुओं ने देखा कि मंदिर के पीछे वाले पहाड़ से बाढ़ के साथ बहकर आई एक विशालकाय चट्टान मंदिर के नजदीक आने के बाद रुक गई। 

39
Asianet Image

साधुओं के मुताबिक, ऐसा लगा जैसे किसी ने वहां पर लाकर उस चट्टान को रोक दिया हो। उस चट्टान की वजह से बाढ़ का पानी दो भागों में बंट गया और मंदिर के दोनों ओर से बहकर निकल गया। साधुओं के मुताबिक, उस समय मंदिर के भीतर 400-500 लोग शरण लिए हुए थे। 

49
Asianet Image

साधुओं के मुताबिक, उस चट्टान को मंदिर की ओर आता हुआ देख एक पल के लिए तो हमारी रुह कांप गई थी। इसके बाद हमने केदारनाथ का नाम जपना शुरू कर दिया। लेकिन भगवान भोलेनाथ के चमत्कार की वजह से उस चट्टान ने मंदिर के साथ ही हम सब लोगों के प्राण की रक्षा की।

59
Asianet Image

बता दें कि इस घटना को 9 साल हो चुके हैं और आज भी वो शिला केदारनाथ मंदिर के पीछे आदि गुरु शंकराचार्च की समाधि के पास मजबूती से खड़ी है। अब इस शिला को भीमशिला नाम से जाना जाता है। श्रद्धालु इसकी पूजा करते हैं। 

69
Asianet Image

आज भी इस शिला का रहस्य बना हुआ है कि मंदिर की चौड़ाई के बराबर की यह शिला आखिर आई कहां से और कैसे वह मंदिर के पीछे कुछ दूरी पर आकर रुक गई। आखिर ये चमत्कार हुआ कैसे? जरूर भगवान भोलेनाथ ने ही सबकी रक्षा की है। 

79
Asianet Image

वहीं कुछ लोगों का मानना है कि मंदिर के अंदर जब 400-5000 श्रद्धालुओं ने शरण ली तब एक चमत्कार ने उन्हें बचाया। मौत को सामने देख लोग भगवान को याद करने लगे। ऐसा लग रहा था कि सैलाब अपने रास्ते में आने वाला सब कुछ निगल जाएगा। लेकिन मंदिर की बनावट और मजबूती ने इसे बचा लिया।

89
Asianet Image

केदारनाथ मंदिर के पुजारियों के मुताबिक, यह मंदिर 85 फीट ऊंचा, 187 फीट लंबा और 80 फीट चौड़ा है। इसकी दीवारें 12 फीट मोटी हैं। केदारनाथ मंदिर को खास तौर पर बनाए गए 6 फीट ऊंचे चबूतरे पर खड़ा किया गया है। केदारनाथ मंदिर बेहद मजबूत चट्टानों से बनाया गया है। ये पत्थर खासे बड़े थे और इन्हें एक ही आकार में तराशा गया है। 

99
Asianet Image

केदारनाथ मंदिर को लेकर कहा जाता है कि इसे 1076 से लेकर 1099 तक तक राज करने वाले मालवा के राजा भोज ने बनवाया था। वहीं कुछ लोगों का मानन है कि इसे आठवीं शताब्दी में आदिशंकराचार्य ने बनवाया था। 

ये भी देखें : 

मनहूस मानसून : केदारनाथ में तबाही से पहले और बाद की 7 तस्वीरें, खौफनाक मंजर देख कांप उठेगा कलेजा

PHOTOS: केदारनाथ में 9 साल पहले आखिर क्यों आया था जल प्रलय, फोटो देख कांप जाएगा कलेजा

Asianet News Hindi
About the Author
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है। Read More...
 
Recommended Stories
Top Stories