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अक्टूबर तक भारत में आ सकती है कोरोना की वैक्सीन, पूरी दुनिया देखेगी इस भारतीय कंपनी की ताकत

नई दिल्ली. दुनियाभर में कोरोना वायरस के अब तक 50 लाख केस सामने आ चुके हैं। वहीं, 3.4 लाख लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन अब तक कोरोना की वैक्सीन बनने की उम्मीद नजर नहीं आ रही है। लेकिन अब कुछ मीडिया रिपोर्ट में उम्मीद जताई जा रही है कि भारत को अक्टूबर तक कोरोना का वैक्सीन मिल सकती है। इतना ही नहीं यह वैक्सीन सिर्फ 1000 रुपए की कीमत में उपलब्ध होगी।

Asianet News Hindi | Published : May 24 2020, 05:48 PM
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मीडिया रिपोर्ट में भारत की वैक्सीन निर्माता कंपनी 'सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया' के हवाले से यह दावा किया जा रहा है। सीरम दुनिया की सबसे बड़ी वैक्सीन निर्माता कंपनी है। हालांकि, यह दावा कितनी सच होगा यह तो वक्त ही बताएगा। 

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दुनियाभर में 115 वैक्सीन बन रहीं 
कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने में दुनियाभर के देश जुटे हैं। 23 मई तक 115 वैक्सीन रजिस्टर्ड कराई गईं हैं। ये किसी ना किसी स्टेज में हैं। हालांकि, WHO ने इनमें से सिर्फ 7-8 को सबसे आगे माना है। 

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लेकिन भारत में वैक्सीन कब तक आएगी और इसके सफल होने का कितना चांज है, ये सब सिर्फ एक वैक्सीन पर टिका है। 

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भारत की उम्मीद जिस वैक्सीन पर टिकी है वह ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा बनाई जा रही ChAdOx1 nCoV-19 वैक्सीन है। 23 अप्रैल को इसका ट्रायल शुरू हुआ है। इस वैक्सीन को बनाने वाले वैज्ञानिकों का दावा है कि इस वैक्सीन से प्रोटीन प्रतिरोधक क्षमता सक्रिय होगी।
 

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ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में कोविड-19 के लिए वैक्सीन का परीक्षण मई तक 500 लोगों पर कर लिया जाएगा। यूनिवर्सिटी में वैक्सीनोलॉजी की प्रोफेसर सारा गिल्बर्ट ने द लैंसेट मैगजीन को यह जानकारी दी। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक, 18 से लेकर 55 साल के लोगों पर इस वैक्सीन का ट्रायल किया जा रहा है।
 

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अक्टूबर तक वैक्सीन के ट्रायल का तीसरा चरण पूरा हो जाएगा। इसके बाद इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हो सकेगा। इससे कोरोना वायरस पर काबू पाने में मदद मिलेगी। प्रोफेसर गिल्बर्ट ने 1994 में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में वैक्सीन पर रिसर्च शुरू की थी।
 

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शुरुआत में इस वैक्सीन का ट्रायल बंदरों पर हुआ था। शुरुआत में इसके नतीजे भी अच्छे देखने को मिले। लेकिन बाद में पता चला है कि यह वैक्सीन बंदरों में कोरोना संक्रमण को रोकने में ज्यादा सफल नहीं दिखी। 

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हालांकि, जिन बंदरों में संक्रमण दिखा। उनमें निमोनिया और वायरल के लक्षण नहीं दिखे। इसलिए विशेषज्ञों का मानना है कि यह वैक्सीन आंशिक तौर पर सफल है। 

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अब विशेषज्ञों ने इसके अगले चरण के ट्रायल की तैयारी कर ली है। अमेरिकी सरकार ने इस वैक्सीन को लेकर फंडिंग भी दी है। 
 

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इस वैक्सीन को बनाने के लिए भारत की कंपनी ने कमर कस ली है। कंपनी ने ऑक्सफोर्ड से साझेदारी भी कर ली है। 

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