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दिल्ली से आई गुड न्यूज; जुलाई में कोरोना से होने वाली मौतों में 44% की कमी, इसके पीछे ये हैं 5 वजह

नई दिल्ली. देश में बढ़ते कोरोना मामलों के बीच दिल्ली में संक्रमण दर में गिरावट आई है। इसके अलावा दिल्ली में जून की तुलना जुलाई में मौतों के मामले में भी कमी आई है। जून के शुरुआती 12 दिन और जुलाई के 12 दिन की तुलना की जाए तो मौत के मामले में 44% तक गिरावट आई है। स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में विश्लेषण भी किया है। दिल्ली में कोरोना वायरस के अब तक 1.3 लाख मामले सामने आए हैं। वहीं, 1.14 लाख लोग ठीक हो चुके हैं। अब सिर्फ 11904 लोगों का इलाज चल रहा है। 3827 लोगों की मौत हुई है।  

Asianet News Hindi | Published : Jul 27 2020, 08:40 AM
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इस विश्लेषण से पता चला है कि जून में भर्ती होने वाले अधिकतर मरीज ज्यादा गंभीर हालत में थे। इनमें से कई की मौत 4 दिन में हो गई। वहीं, कुछ का निधन 24 घंटे में हो गया। 1 से 12 जून तक भर्ती हुए कुल मरीजों में 67% ने चार दिन में दम तोड़ दिया था।

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किस अस्पताल में सबसे कम हुईं मौतें?
दिल्ली में 1 से 12 जून के बीच में 1089 मौतें हुई थीं। वहीं, जुलाई की बात करें तो 1 से 12 तक 605 मौतें हुईं। दिल्ली सरकार के कोविड अस्पतालों में जून में मौतों में 58% की कमी देखी गई। वहीं, केंद्र के अस्पतालों में 55% की कमी देखी गई। निजी अस्पतालों की बात करें तो मौत के मामले में  25% की कमी हुई है। 

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मुख्यमंत्री केजरीवाल कर रहे निगरानी
मौत के मामले में सुधार लाने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मोर्चा संभाल रखा है। वे हर दिन गंभीर मरीजों के स्टेटस की निगरानी करते हैं। स्वास्थ्य मंत्री सत्येन्द्र जैन ने बताया कि मुख्यमंत्री केजरीवाल व्यक्तिगत तौर पर कोविड के गंभीर मरीजों और उसके कारण मौतों के स्टेटस की हर रोज निगरानी करते हैं। इतना ही नहीं केजरीवाल ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को ICU की बजाय वार्डों में होने वाली मृत्यु दर और सरकार अस्पताल में ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया है। (इन 5 पहलों से सुधरी दिल्ली की स्थिति, नीचे देखें)

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1- केंद्र और राज्य आए साथ
जून में कोरोना से दिल्ली की स्थिति काफी बिगड़ गई थी। मुंबई से भी ज्यादा मामले दिल्ली में सामने आ रहे थे। ऐसी स्थिति में खुद गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाला। केंद्र और राज्य सरकार में मिलकर काम करने पर सहमति बनी। अमित शाह ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर मैराथन बैठकें कीं। इसका परिणाम हुआ है कि दिल्ली में आज स्थिति में सुधार देखने को मिल रहा है। 
 

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2- टेस्ट की संख्या बढ़ाई गई
दिल्ली सरकार कम टेस्ट के मामले में निशाने पर आ रही थी। हर रोज सिर्फ औसतन 5,500 लोगों की जांच हो रही थी। ऐसे में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक हफ्ते के भीतर हर दिन तीन गुने टेस्ट करने का आदेश दिया। दिल्ली में जुलाई की शुरुआत से  21,000 लोगों की हर रोज जांच हो रही है। अब दिल्ली में हर 10 लाख लोगों पर 50 हजार लोगों के टेस्ट हो रहे हैं, जो देश में लबसे अधिक है। इसके अलावा दिल्ली में सभी के लिए जांच उपलब्ध हो सके, इसके लिए टेस्ट की कीमत को भी कम किया गया।

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3- ऑक्सीमीटर
दिल्ली सरकार ने होम आइसोलेशन शुरू किया है। इसके मुताबिक, कम लक्षण वाले मरीज को घर पर होम आइसोलेट किया जा रहा है। इसके अलावा उन्हें ऑक्सीमीटर दिया जा रहा है, जिससे वे अपनी निगरानी कर सकें। हालात गंभीर होने पर बिना देर किए अस्पतालों में शिफ्ट किया जा सके। अब तक दिल्ली सरकार ने  59,600 ऑक्सीमीटर खरीदकर बांटे हैं। 

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4- बढ़ाई एंबुलेंस सुविधा
केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में एंबुलेंस की संख्या बढ़ाने का भी आदेश दिया। दिल्ली में अब 602 एंबुलेंस हो गई हैं। लॉकडाउन के शुरुआत में यह संख्या 134 थी। इतना ही नहीं अब दिल्ली में एंबुलेंस रिस्पांस टाइम 20-30 मिनट हो गया, पहले यह 55 मिनट था। 
 

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5- बेड की उपलब्धता
दिल्ली सरकार ने पहले अन्य राज्यों से आने वाले मरीजों के इलाज पर रोक लगा दी थी। सरकार का कहना था कि बाहर से आने वाले मरीजों के चलते अस्पताल में उपलब्ध बेड  और अन्य सुविधाएं कम हो जाएंगी। लेकिन दिल्ली में केंद्र और राज्य सरकार ने कई कोविड सेंटर्स की शुरुआत की। इनमें एक की क्षमता 10 हजार मरीजों की है। इसके अलावा रेल कोच की तैनाती कर भी बेड बढ़ाए गए हैं। 
 

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