MalayalamEnglishKannadaTeluguTamilBanglaHindiMarathi
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • खेल
  • फोटो
  • गेम्स
  • वीडियो
  • वायरल
  • KEA 2025
  • Home
  • National News
  • महिलाओं से हो रहे थे रेप, मस्जिद से हो रहे थे ऐलान काफिरों को मारो... ऐसे हुआ था कश्मीरी पंडितों से अत्याचार

महिलाओं से हो रहे थे रेप, मस्जिद से हो रहे थे ऐलान काफिरों को मारो... ऐसे हुआ था कश्मीरी पंडितों से अत्याचार

श्रीनगर. जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों ने कश्मीरी पंडित सरंपच की गोली मारकर हत्या कर दी है। सरपंच और कांग्रेस पार्टी के नेता अजय पंडिता की हत्या घर से सिर्फ 50 मीटर की दूरी पर ही सीने में गोली मारकर कर दी गई। इस घटना ने एक बार फिर भारत के इतिहास के सबसे काले दिन 19 जनवरी 1990 की याद ताजा कर दी है। इस दिन ही कश्मीरी पंडितों को अपने ही घर यानी जम्मू-कश्मीर से बेदखल कर दिया गया था। इस जख्म के 30 साल बीत चुके हैं। बावजूद इसके कश्मीरी पंडितों पर जुल्म कम होने का नाम नहीं ले रहा है। इस बीच कितनी ही सरकारें बदलीं, कितने मौसम आए और चले भी गए। यही नहीं पीढ़ियां तक बदल चुकी हैं। लेकिन कश्मीरी पंडितों पर जारी जुल्म की ये दास्तां अभी तक कम नहीं हुई है। आइए जानते है क्या हुआ था कश्मीरी पंडितों के साथ 

Asianet News Hindi | Published : Jun 10 2020, 03:16 PM
4 Min read
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • Google NewsFollow Us
17
Asianet Image

ये तीन विकल्प थे सामने 
19 जनवरी 1990 को जिहादी इस्लामिक ताकतों ने कश्मीरी पंडितों पर ऐसा कहर ढाया कि उनके लिए सिर्फ तीन ही विकल्प थे- या तो धर्म बदलो, मरो या पलायन करो। ऐसे में कश्मीरी पंडितों ने पहले दो विकल्पों को दरकिनार कर तीसरा विकल्प चुना। जिसके बाद उन्हें अपनी ही घर से बेदखल होना पड़ा। मौजूदा समय में वे घरवापसी के लिए दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं। (फाइल फोटोः बेदखल किए जाने के बाद कश्मीरी पंडित)
 

27
Asianet Image

महिलाओं से हुए गैंगरेप
जम्मू-कश्मीर में जिहादी इस्लामिक ताकतों ने सैकड़ों कश्मीरी पंडितों को मौत के घाट उतार दिया था। महिलाएं खुद को बचाने के लिए चीख रही थीं। लेकिन जिहादियों ने बर्बरता जारी रखी और सामूहिक दुष्कर्म कर उनकी हत्या कर दी। उन दिनों कितने ही लोगों की आए दिन अपहरण कर मार-पीट की जाती थी। पंडितों के घरों पर पत्थरबाजी, मंदिरों पर हमले लगातार हो रहे थे। (फाइल फोटो- जुल्म के बाद पंडितों के खाली घर)

37
Asianet Image

कदम-कदम पर हो रहे थे प्रताड़ित
घाटी में उस समय कश्मीरी पंडितों की मदद के लिए कोई नहीं था, ना तो पुलिस, ना प्रशासन, ना कोई नेता और ना ही कोई मानवाधिकार के लोग। उस समय हालात इतने खराब थे कि अस्पतालों में भी समुदाय के लोगों के साथ भेदभाव हो रहा था। सड़कों पर चलना तक मुश्किल हो गया था। कश्मीरी पंडितों के साथ सड़क से लेकर स्कूल-कॉलेज, दफ्तरों में प्रताड़ना हो रही थी- मानसिक, शारीरिक और सांस्कृतिक। (फाइल फोटो)

47
Asianet Image

मस्जिदों से हो रहा था ऐलान
19 जनवरी, 1990 की रात को अगर उस समय के नवनियुक्त राज्यपाल जगमोहन ने घाटी में सेना नहीं बुलाई होती, तो कश्मीरी पंडितों का कत्लेआम व महिलाओं के साथ सामूहिक दुष्कर्म और ज्यादा होता। उस रात पूरी घाटी में मस्जिदों से लाउडस्पीकरों से ऐलान हो रहा था कि 'काफिरो को मारो, हमें कश्मीर चाहिए पंडित महिलाओं के साथ ना कि पंडित पुरुषों के साथ, यहां सिर्फ निजाम-ए-मुस्तफा चलेगा...।' (फाइल फोटो- जुल्म के बाद न्याय की मांग करते पंडित)

57
Asianet Image

भगवान के रूप में आई सेना
लाखों की तादाद में कश्मीरी मुसलमान सड़कों पर मौत का तांडव कर रहे थे। जो भी कश्मीरी पंडित मिलता उस पर अपना कहर बरपा रहे थे। अंत में तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन ने सेना बुलाई। जिसके बाद सेना कश्मीरी पंडितों के बचाव में आई। ना कोई पुलिसवाला, ना नेता और ना ही सिविल सोसाइटी के लोग। लाखों की तादाद में पीड़ित कश्मीरी हिंदू समुदाय के लोग जम्मू, दिल्ली और देश के अन्य शहरों में काफी दयनीय स्थिति में जीने लगे, लेकिन किसी सिविल सोसाइटी ने उनकी पीड़ा पर कुछ नहीं किया। उस समय की केंद्र सरकार ने भी कश्मीरी पंडितों के पलायन या उनके साथ हुई बर्बरता पर कुछ नहीं किया। (फाइल फोटो- न्याय की आस में कश्मीरी पंडित)

67
Asianet Image

नहीं थम रहा था नरसंहार का दौर
कश्मीरी पंडितों के मुताबिक, 300 से ज्यादा लोगों को 1989-1990 में मारा गया। इसके बाद भी पंडितों का नरसंहार जारी रहा। 26 जनवरी 1998 में वंदहामा में 24, 2003 में नदिमर्ग गांव में 23 कश्मीरी पंडितों का कत्ल किया गया। पलायन के बाद, कश्मीरी पंडितों के घरों में लूटापट की गई, कई मकान जला दिए गए। कितने ही पंडितों के मकानों, बाग-बगीचों पर कब्जे किए गए। कई मंदिरों को तोड़ा गया और जमीन भी हड़पी गई।  (फाइल फोटो- कश्मीरी पंडित आज भी घर वापसी की ताक में हैं।)

77
Asianet Image

इनको उतार दिया मौत के घाट
कश्मीरी पंडितों के मुताबिक, भय, उत्पीड़न, प्रताड़ना से ग्रस्त कश्मीरी पंडितों के समुदाय के लिए किसी ने आज तक कोई आवाज नहीं उठाई है। न्यायाधीश नीलकंठ गंजू, टेलिकॉम इंजिनियर बालकृष्ण गंजू, दूरदर्शन निदेशक लसाकोल, नेता टिकालाल टपलू जैसे इस समुदाय के कई प्रतिष्ठित नाम थे जिनको मौत के घाट उतार दिया गया था और आज तक इन सब के केस में कुछ नहीं हुआ। इनके अलावा कई ऐसे नाम हैं, जिनके खिलाफ बर्बरता की गई, लेकिन आज तक कार्रवाई क्या केस तक दर्ज नहीं हुआ। गिरजा गंजू या फिर सरला भट्ट जिनका अपहरण कर सामूहिक दुष्कर्म किया गया और फिर लकड़ी चीरने की मशीन से जिंदा चीर दिया गया। ऐसे सैकड़ों हत्याएं की गईं, जिनमें न्याय आज तक नहीं हुआ।

Asianet News Hindi
About the Author
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है। Read More...
 
Recommended Stories
Top Stories