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ऐतिहासिक फैसला सुनाने के बाद जजों ने एकसाथ खिंचवाई तस्वीर, जानें कैसे बेंच ने सुलझाया विवाद
नई दिल्ली. अयोध्या में राम मंदिर-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाया। इस फैसले को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच जजों की बेंच ने एकमत से सुनाया। इस बेंच में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस ए नजीर शामिल थे। बेंच के सभी जजों ने ऐतिहासिक फैसला सुनाने के बाद एक सांझा तस्वीर भी खिंचवाई। बेंच ने बताया कि किस तरह से फैसला आस्था पर नहीं बल्कि तथ्यों के आधार पर किया गया।
| Published : Nov 10 2019, 08:46 AM
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चीफ जस्टिस- यह ऐसा विवाद था, जो भारत के विचार के साथ ही पनपा था। संवैधानिक मूल्य देश की आधारशिला है। इन्हीं की मदद से हम समाधान निकाल पाए।
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जस्टिस एसए बोबडे- इस केस के तथ्य, सबूत और दलीलें इतिहास, धर्म और कानून के गलियारे से गुजरे हैं। लेकिन हमें सियासी व धार्मिक दावों से अलग खड़ा होना होगा।
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जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़- हमारे देश की धरती आक्रमणों और असंतोष की गवाह रही है। फिर भी भारत के विचार ने उन सभी को स्थान मिला, जिन्होंने अपना महत्व साबित किया है।
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जस्टिस अशोक भूषण- यह विवाद अचल संपत्ति को लेकर है। अदालत स्वामित्य के मामले का फैसला आस्था या यकीन के आधार पर नहीं, बल्कि सबूतों के आधार पर करती है।
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जस्टिस एस ए नजीर- कोर्ट को ऐसे मामले में न्याय करना है, जिसमें सत्य की खोज के दो तरीके एक दूसरे की स्वाधीनता का हनन करते हैं और कानून का उल्लंघन करते हैं।