- Home
- States
- Maharastra
- सक्सेस स्टोरी: 37 साल आर्मी का गौरव बढ़ाया, 58 की उम्र में वो पद हासिल किया, जो चांद पर पहुंचने जैसा है
सक्सेस स्टोरी: 37 साल आर्मी का गौरव बढ़ाया, 58 की उम्र में वो पद हासिल किया, जो चांद पर पहुंचने जैसा है
पुणे, महाराष्ट्र. यह हैं माधुरी कानिटकर। जिन्होंने करीब 3 महीने पहले मेजर जनरल से लेफ्टिनेंट जनरल के पद पर प्रमोशन पाया है। ये सेना मे ऐसी तीसरी महिला हैं, जो इस पोस्ट पर पहुंची हैं। ये इस समय नई दिल्ली में डिप्टी चीफ, इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (डीसीआईडीएस) और मेडिकल (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के तहत) की जिम्मेदारी संभाल रही हैं। इससे पहले इस पोस्ट पर सबसे पहले नौसेना की वाइस एडमिरल डॉ. पुनीता अरोड़ा और उसके बाद वायुसेना की ही एयर मार्शल पद्मावती बंदोपाध्याय पहुंची थीं। माधुरी सशस्त्र बलों की पहली बाल रोग विशेषज्ञ हैं, जिन्होंने इतनी अहम जिम्मेदारी संभाली है। बता दें कि फोर्स में यह दूसरा सबसे बड़ा पद होता है। माधुरी ने 37 साल भारतीय सेना का गौरव बढ़ाया है।
- FB
- TW
- Linkdin
)
यह भी दिलचस्प है कि भारत के इतिहास में यह पहला मौका है, जब कोई दम्पती इस पद तक पहुंचा है। माधुरी के पति राजीव कानिटकर(राइट में) भी लेफ्टिनेंट जनरल रहे हैं। वे हाल में सेवानिवृत्त हुए हैं।
माधुरी कानिटकर को पिछले साल लेफ्टिनेंट जनरल के पद के लिए चुना गया था। हालांकि तब यह पद खाली नहीं था, लिहाजा उन्हें इंतजार करना पड़ा।
माधुरी इन दिनों नई दिल्ली स्थित सेना के मुख्यालय में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ(CDS) के तहत कार्यरत हैं। CDS एक ऐसा पद है, जो तीनों सेवाओं- थल, नौसेना और वायु सेना से संबंधित मामलों पर अपनी सलाह दे सकता है। यानी यह पद तीनों सेनाओं का एक सेतु है।
उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने महिला अधिकारियों को सशस्त्र बलों में स्थायी कमीशन देने का निर्देश दिया है। अपने पति राजीव के साथ माधुरी।
माधुरी इससे पहले मेजर जनरल के पद पर पुणे के आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज (AFMC) की डीन थीं। राष्ट्रपति से सम्मान लेतीं माधुरी।
पेडियाट्रिक एंड ट्रेनिंग इन पेडियाट्रिक नेफ्रोलॉजी में पोस्ट ग्रेजुएट माधुरी ने ग्रेजुएशन AIIMS किया है। पहले शुरू से ही मेधावी रही हैं। वे हमेशा गोल्ड मेडल हासिल करती रहीं।
माधुरी कानिटकर ने पुणे और दिल्ली में बच्चों की किडनी से जुड़ी बीमारियों की जांच की यूनिट स्थापित की थी।
माधुरी 2017 में पुणे के आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज (AFMC) की पहली महिला डीन बनी थीं।