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इस बेटे को दिल से सैल्यूट: बीमार मां की सेवा के लिए ठुकरा दी कलेक्टर की नौकरी, सरकार ने बदला आदेश

जबलपुर (मध्य प्रदेश). अक्सर आपने सुना होगा कि पैसा, पद और नौकरी की चाहत में कई बच्चे अपने बुजुर्ग मां-बाप को अकेला छोड़ देते हैं। या फिर वह उनको अनाथ आश्रम में छोड़ आते हैं। लेकिन मध्य प्रदेश के जबलपुर से दिल को छू लेने वाली ऐसी खबर सामने आई है, जो हर किसी के लिए सीख देने वाली है। यहां एक अफसर ने अपनी बीमार मां की सेवा करने के लिए जिला कलेक्टर जैसा पद ठुकरा दिया। इस दौरान उन्होंने कहा-इस वक्त मां को मेरी ज्यादा जरूरत है, अगर मुझमें काबिलियत होगी तो कलेक्टर का पद फिर भी मिल जाएगा। 
 

Asianet News Hindi | Updated : May 19 2021, 02:53 PM
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कलेक्टर कभी भी बन जाऊंगा...लेकिन मां नहीं मिलेगी
दरअसल, सही मायनों में बेटे का उदाहरण पेश करने वाले यह अफसर अनूप कुमार सिंह हैं जो कि  2013 बैच के मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। इस वक्त वह जबलपुर में अपर कलेक्टर के पद पदस्थ हैं। इन दिनों वह अपने अनोखे फैसले से सोशल मीडिया सुर्खियों में हैं। जिनके फैसले की आज हर कोई तारीफ करते नहीं थक रहा है। उनके बेहतर काम को देखते हुए उन्हें डिप्टी कलेक्टर से कलेक्टर का पद सौंपा था, लेकिन उन्होंने बीमार मां की सेवा करना ज्यादा महत्वपूर्ण समझा और इस पद को स्वीकार करने से मना कर दिया था।

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होनि को नहीं टाल सके आईएएस अफसर
बता दें कि अफसर अनूप कुमार सिंह ने मां रामदेवी को तबीयत बिगड़ने के बाद 13 अप्रैल को ग्वालियर के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया था। जहां उनकी पहले कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आई फिर पॉजिटिव आई और 35 दिन तक जिंदगी के संघर्ष करने के बाद मंगलवार को आखिरी सांस ली। पिछले करीब नौ दिनों से वेंटिलेटर पर थीं। 

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 35 दिन तक दिन-रात की मां की सेवा
दुखद बात यह है कि अफसर अनूप कुमार सिंह ने 35 दिन तक दिन-रात अपनी मां की सेवा की। डॉक्टरों ने भी अपनी पूरी कोशिश की लेकिन वह नहीं बच सकीं। बेटा अपने सारे जरूरी काम छोड़कर मां को बचाने के लिए हर संभव प्रयास करता रहा। लेकिन विधाता के विधान को नहीं टाल सका। उन्होंने सरकार को एक लेटर भी लिखकर बताया था कि वह अपनी मां की देखभाल में व्यस्त हैं। वह इस स्थिति में नहीं हैं कि यह पद ग्रहण नही कर सकें।
 

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 ईमानदार और शख्त छवि वाले अधिकारी हैं आईएएस अनूप
1987 में जन्में आईएएस अनूप कुमार सिंह मूलरुप से उत्तर प्रदेश के कानपुर के रहने वाले हैं। उनके परिवार में पिता और तीन बहनें हैं। एक बहन की शादी हो चुकी है। बताया जाता है कि अनूप बचपन से पढ़ने-लिखने में काफी अच्छे थे। वो बचपन से समाज सेवा करना चाहते थे, इसलिए उन्होंने सिविल सर्विसेज की राह चुनी। उनको शांत और सरल स्वभाव का आईएएस बताया जाता है। उनके बारे में लोग बताते हैं अनूप सिंह एक ईमानदार और शख्त छवि वाले अधिकारी हैं। 

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जानिए कौन हैं IAS अनूप कुमार सिंह
फरवरी, 2019 में अनूप कुमार सिंह ग्वालियर में बतौर अपर कलेक्टर पदस्थ हुए और 14 जून, 2020 तक रहे। इसके बाद उनको जबलपुर में डिप्टी कलेक्टर की जिम्मेंदारी सौंपी गई थी। हालांकि इससे पहले वह जबलपुर में ही नगर निगम कमिश्नर भी रहे हैं। 7 मई को अनूप कुमार सिंह को सरकार ने दमोह के कलेक्टर पद पर नियुक्त किया था। उन्होंने इस पद को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। तो राज्य सरकार को भी अपना फैसला बदलना पड़ गया।

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