MalayalamNewsableKannadaTeluguTamilBanglaHindiMarathimynation
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • राष्ट्रीय
  • वेब स्टोरी
  • राज्य
  • मनोरंजन
  • लाइफस्टाइल
  • बिज़नेस
  • खेल
  • फोटो
  • गेम्स
  • वीडियो
  • वायरल
  • ज्योतिष
  • Home
  • States
  • Madhya Pradesh
  • कभी कबाड़ की जुगाड़ से आप भी कुछ आविष्कार करके देखिए, इन लोगों ने बिजली का विकल्प खोज निकाला

कभी कबाड़ की जुगाड़ से आप भी कुछ आविष्कार करके देखिए, इन लोगों ने बिजली का विकल्प खोज निकाला

मंडला, मध्य प्रदेश. आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है! जब कोई परेशानी सिर पर खड़ी हो जाती है, तो आदमी उससे निपटने का उपाय खोजने लगता है। जिनके दिमाग की बत्ती जल जाती है, वे नई चीजें बना देते हैं। एक मामला मंडला से जुड़ा है। यहां बिजली संकट के कारण खेतों में पानी नहीं दे पा रहे किसानों ने ऐसी मशीन बना दी, जो पानी के फोर्स से चलती है। अब किसान इससे ही सिंचाई कर रहे हैं। इस मशीन से 30 हॉर्स पॉवर तक बिजली पैदा हुई। ऐसे आविष्कार पहले भी सामने आए हैं। देसी जुगाड़ साइंस से बनी ये मशीनें लोगों के क्रियेटिविटी और जूननू को दिखाती हैं। आगे पढ़िए कुछ ऐसे ही आविष्कारों के बारे में...

8 Min read
Asianet News Hindi
Published : Dec 05 2020, 12:14 PM IST
Share this Photo Gallery
  • FB
  • TW
  • Linkdin
  • Whatsapp
  • Google NewsFollow Us
113
Asianet Image

नीचे की तस्वीर मध्य प्रदेश के मंडला जिले के किसानों के आविष्कार को दिखाती है। इन्होंने 50-60 हजार रुपए खर्च करके कबाड़ की जुगाड़ से यह मशीन बनाई। इसे नहर के बीच में रखा, तो यह पानी के प्रेशर से चल पड़ी। यह करीब 30 हॉर्स पॉवर तक ऊर्जा पैदा करती है। इससे खेतों तक पानी पहुंच जाता है। यह इतनी हल्की है कि उठाकर कहीं भी ले जा सकते हैं। इस मशीन को देखने कलेक्टर हार्षिका सिंह भी पहुंचे। मशीन में एक व्हील(रहट) है, जिसे गीयर से जोड़ा गया है। आगे पढ़ें-जब 12वीं पास किसान ने बनाया मंगल टरबाइन...
 

213
Asianet Image

बिजली पैदा करने वाला देसी टरबाइन पांच साल पहले यूपी के ललितपुर में सामने आया था। यहां के एक गांव में रहने वाले 12वीं पास किसान मंगल सिंह एक दिन सिंचाई कर रहे थे कि उनकी 15 हॉर्स पॉवर की मोटर खराब हो गई। नई मोटर के लिए उन्होंने लोन लेने बैंकों के चक्कर काटे, लेकिन नाकाम रहे। तब उन्होंने एक टरबाइन बना दिया। इसे नाम दिया मंगल। आगे पढ़ें इसी टरबाइन के बारे में...

313
Asianet Image

मंगल टरबाइन एक रहट और गीयर बॉक्स से तैयार किया गया। यह पानी के फोर्स से घूमती है। इस मशीन से बिजली पैदा हो गई। इसका उपयोग आटा चक्की, गन्ना पिराई, कुट्टी मशीन में भी किया जा सकता है। आगे पढे़ं-जब बिजली और डीजल ने रुलाया, तो किसान ने एक आइडिया निकाला और चल पड़ा इंजन, पैसा भी बचा

413
Asianet Image

वाले किसानों की कहानी। यहां के गांवों में बिजली की बड़ी दिक्कत थी। इसलिए किसान डीजल के इंजन पर निर्भर थे। लेकिन डीजल इतना महंगा पड़ता था कि उन्हें टेंशन होने लगती थी। बस फिर क्या था...कुछ किसानों ने दिमाग लगाया और रसोई गैस से इंजन चलाने का तरीका खोज निकाला। किसानों ने बताया कि डीजल से एक घंटे इंजन चलाने पर 150 रुपए से ज्यादा का खर्चा आता था। लेकिन गैस सिलेंडर से चलाने पर एक चौथाई खर्चा। आगे पढ़ें-बिजली ने रुलाया, तब जल उठी दिमाग की बत्ती, देखिए बाइक से कैसे किए गजब के जुगाड़

513
Asianet Image

बाड़मेर/छतरपुर। ये दो तस्वीरें देसी जुगाड़ के जरिये हुए आविष्कार की गजब कहानी बयां करती हैं। कहते हैं कि जब कोई संकट या परेशानी सिर पर आती है, तब एक सजग आदमी का दिमाग और तेज चलता है। यानी उसके दिमाग की बत्ती जल उठती है। कोल्हू में बैल की जगह 'जुती' बाइक की पहली तस्वीर राजस्थान के बाड़मेर की है। जबकि दूसरी तस्वीर कुछ समय पहले मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में सामने आई थी। आइए जानते हैं आखिर इन बाइकों के जरिए क्या महत्वपूर्ण काम हुआ। पहले जानते हैं बाड़मेर की खबर। आमतौर पर फसल जैसे तिली, सरसों आदि से तेल निकालने के लिए मशीनों का इस्तेमाल होता है। गांवों में जहां बिजली संकट है, वहां परंपरागत तरीके से कोल्हू में बैल लगाए जाते हैं। लेकिन यहां एक युवक ने बाइक को कोल्हू का बैल बना दिया। उदाराम घाणी(कोल्हू) में बैल जोतने के बजाय बाइक के जरिए तिली का तेल निकाल रहे हैं। उदाराम कोल्हू का काम करते हैं। वे भीलवाड़ा में रहते हैं। लेकिन इस समय कोल्हू के काम से बाड़मेर में हैं। भीलवाड़ा से बाड़मेर तक बैल लाने में दिक्कत थी। इसलिए जिस बाइक से वे बाड़मेर आए, उसी को कोल्हू में लगा दिया। आगे पढ़िए इसी खबर के बारे में...

613
Asianet Image

उदाराम बताते हैं कि कोल्हू में बैल जोतने पर उसके लिए चारा-पानी आदि का इंतजाम करना पड़ता है। यह महंगा पड़ता था। बाइक से यह काम सस्ता पड़ रहा है। उनके कोल्हू की चर्चा आसपास के कई गांवों तक फैल गई। इससे लोग तेल निकलवाने के बहाने इस कोल्हू को देखने आ रहे हैं। उदाराम ने बाइक की स्पीड कार्बोरेट के जरिये फिक्स कर दी है। इससे बाइक पर बैठकर गीयर बदलने की जरूरत नहीं पड़ती। आगे पढ़ें-बिजली कटौती ने जला दी दिमाग की बत्ती, देसी जुगाड़ से बाइक के जरिये निकाल लिया ट्यूबवेल से पानी

713
Asianet Image

भोपाल, मध्य प्रदेश. यह आविष्कार कुछ महीने पहले मीडिया की सुर्खियों में सामने आया था। इसे दुबारा याद दिलाने का मकसद है कि अगर आपको ऐसी किसी समस्या का सामना करना पड़ा रहा है, तो आपके दिमाग की बत्ती भी जल उठे। यह आविष्कार मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के बड़ामलहरा में हुआ था। यहां एक कम पढ़े-लिखे शख्स ने जब देखा कि बिजली कटौती के चलते ट्यूबवेल बंद होने से लोग पानी को परेशान हैं, तो उसने दिमाग दौड़ाया। बस फिर क्या था, उसने अपनी बाइक के पिछले पहिये में थ्रेसर की बेल्ट को यूं बांधा कि उसके घूमने से ट्यूबवेल में लगा डीजल पंप चल पड़ा और पानी निकलने लगा। बाली मोहम्मद की यह बाइक मीडिया की सुर्खियों में आई थी। इस बाइक का इस्तेमाल बाली सामान ढोने से लेकर खेती-किसानी में करता आ रहा था। फिर उसने देखा कि बिजली कटौती से ट्यूबवेल का उपयोग नहीं हो पा रहा है। डीजल पंप का इस्तेमाल महंगा पड़ रहा था। वहीं, पंप पुराना और खराब हो चुका था। खेतों को सिंचाई और लोगों के लिए पीने के पानी की दिक्कत भी थी। तभी उसे बाइक के जरिये पंप चलाने का आइडिया आया। आगे पढ़ें इसी आविष्कार के बारे में..
 

813
Asianet Image

बाली ने बाइक के इंजन के बगल में लगे मैग्नेट बॉक्स को खोलकर उसके अंदर दो बोल्ट कस दिए। इसमें थ्रेसर की बेल्टों को काटकर यूं फंसाया कि पहिया घूमने पर बेल्ट भी घूमे। दूसरे सिरे पर उसने बेल्ट को डीजल पंप की पुल्ली(रॉड) से कस दिया। आगे पढ़ें इसी आविष्कार के बारे में...

913
Asianet Image

अब बाली ने जैसे ही बाइक स्टार्ट की..बेल्ट घूमने से डीजल पंप का चक्का भी तेजी से घूमा। इस तरह पानी ऊपर आने लगा। इस पर खर्चा भी आया सिर्फ 30 रुपए में एक घंटे पानी खींचना। यानी यह डीजल से सस्ता पड़ा। आगे पढ़ें-बिना ड्राइवर के ट्रैक्टर दौड़ते देखकर लोगों को लगा भूत होगा, लेकिन यह था जुगाड़ का कमाल

1013
Asianet Image

जयपुर, राजस्थान. राजस्थान के बारां जिले के बमोरी कलां गांव के रहने वाले 20 वर्षीय योगेश नागर ने रिमोर्ट से ट्रैक्टर चलाकर सबको चकित कर दिया था। यह मामला कुछ समय पहले मीडिया की सुर्खियों में आया था। योगेश किसान परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता बीमार रहते थे। लिहाजा योगेश को बीएससी की पढ़ाई पूरी करके अपने गांव लौट आना पड़ा। यहां उन्होंने पिता के साथ खेतीबाड़ी में हाथ बंटाना शुरू किया। इसी बीच खाली बैठे उन्हें आइडिया आया और ऐसा रिमोट बना दिया, जो ट्रैक्टर को चलाता है।  आगे पढ़ें-साइकिल की जुगाड़ से निकाला किसान ने कई समस्याओं का 'हल'..जानेंगे नहीं इसकी खासियत

1113
Asianet Image

धनबाद, झारखंड. जुगाड़ से बनी यह साइकिल धनबाद के झरिया उपर डुंगरी गांव से चर्चा का विषय बनी थी। इसे तैयार किया था मैट्रिक पास किसान पन्नालाल महतो ने। आमतौर पर किसान ट्रैक्टर या बैलों से खेतों की जुताई करते हैं। खेत सींचने के लिए बड़ी मोटर लगानी पड़ती हैं। ऐसी तमाम समस्याओं का एक मात्र 'हल' बन सामने आई यह साइकिल। इसमें दो हॉर्स पॉवर के मोटरपंप को लगाया गया है। यानी साइकिल से खेत जोइए और ट्यूबवेल या कुएं से पानी निकालकर सिंचाई भी कीजिए। पन्नालाल ने इस साइकिल का निर्माण महज 10000 रुपए में किया था। इसमें साइकिल के पिछले पहिये को हटाकर उसमें तीन फाड़(खेत जोतने लोहे का फर्सा) लगाया गया है। इस जुगाड़ की साइकिल के चलाने के लिए केरोसिन की जरूरत होती है। अगर केरोसिन खत्म हो जाए, तो साइकिल को धक्का देकर भी खेत जोता जा सकता है। साइकिल का पिछला पार्ट हटाकर उसमें मोटर फिट कर दी गई है। आगे पढ़ें-ऐसी जुगाड़ गाड़ी कभी देखी है, बच्चा है...लेकिन कर लेती है कम खर्च में बड़े ट्रैक्टरों के काम

1213
Asianet Image

पश्चिम सिंहभूम, झारखंड. कबाड़ की जुगाड़ से हाथ के सहारे चलने वाले इस मिनी ट्रैक्टर का निर्माण करने वाले देव मंजन बैठा के खेत पश्चिम सिंहभूम जिले के मनोहरपुर पोटका में हैं। देव मंजन ने इस मिन ट्रैक्टर का निर्माण पुरानी मोटरसाइकिल, पानी के पंप और स्कूटर के पार्ट्स को जोड़कर किया है। वे पिछले 9 सालों से इस मिनी ट्रैक्टर के जरिये खेती-किसानी कर रहे हैं। देव 10वीं पास हैं। घर की आर्थिक स्थिति खराब होने से वे आगे नहीं पढ़ पाए, तो खेती-किसानी करने लगे। इस मिनी ट्रैक्टर के निर्माण पर मुश्किल से 5000 रुपये खर्च हुए हैं। इससे लागत सीधे 5 गुना कम यानी 70-80 रुपए पर आ गई। आगे पढ़ें-बिजली के बिल ने मारा जो करंट, टीन-टप्पर की जुगाड़ से पैदा कर दी बिजली...

1313
Asianet Image

रांची, झारखंड. इसे कहते हैं  दिमाग की बत्ती जल जाना!  ऐसा ही कुछ रामगढ़ के 27 वर्षीय केदार प्रसाद महतो के साथ हुआ। कबाड़ की जुगाड़ (Desi Jugaad) से नई-नई चीजें बनाने के उस्ताद केदार ने मिनी हाइड्रो पॉवर प्लांट (Mini hydro power plant ) ही बना दिया। टीन-टप्पर से बनाए इस प्लांट को उन्होंने अपने सेरेंगातु गांव के सेनेगड़ा नाले में रख दिया। इससे 3 किलोवाट बिजली पैदा होने लगी। यानी इससे 25-30 बल्ब जल सकते हैं।  केदार कहते हैं कि उनका यह प्रयोग अगर पूरी तरह सफल रहा, तो वो इसे 2 मेगावाट बिजली उत्पादन तक ले जाएंगे। केदार ने 2004 में अपने इस प्रयोग पर काम शुरू किया था। 

Asianet News Hindi
About the Author
Asianet News Hindi
एशियानेट न्यूज़ हिंदी डेस्क भारतीय पत्रकारिता का एक विश्वसनीय नाम है, जो समय पर, सटीक और प्रभावशाली खबरें प्रदान करता है। हमारी टीम क्षेत्रीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय घटनाओं पर गहरी पकड़ के साथ हर विषय पर प्रामाणिक जानकारी देने के लिए समर्पित है। Read More...
 
Recommended Stories
Top Stories
Asianet
Follow us on
  • Facebook
  • Twitter
  • whatsapp
  • YT video
  • insta
  • Andriod_icon
  • IOS_icon
  • About Us
  • Terms of Use
  • Privacy Policy
  • CSAM Policy
  • Complaint Redressal - Website
  • Compliance Report Digital
  • Investors
© Copyright 2025 Asianxt Digital Technologies Private Limited (Formerly known as Asianet News Media & Entertainment Private Limited) | All Rights Reserved