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दुखों का वज्रपात: कोरोना से एक परिवार के 5 सदस्यों की मौत, घर में अब बुजुर्ग दादा और मासूम बच्चे ही बचे

देवास (मध्य प्रदेश). कोरोना की दूसरी लहर का प्रकोप चरम पर पहुंच चुका है। जिसकी चपेट में आने से कई हंसते-खेलते परिवार तबाह हो रहे हैं। महामारी की वजह से दुखों का पहाड़ देवास के एक परिवार पर टूट पड़ा है। जहां अग्रवाल समाज के अध्यक्ष बालकिशन गर्ग के परिवार पांच सदस्य इस वायरस के चलते बीते 18 दिनों में इस दुनिया से विदा हो चुके हैं। रविवार को उनकी बड़ी बहू की मौत हो गई। अब इस परिवार में  बुजुर्ग दादा और 4 छोटे बच्चे ही बचे हैं।

Asianet News Hindi | Published : May 03 2021, 12:14 PM
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दरअसल, सबसे पहले परिवार के मुखिया बालकिसन गर्ग की पत्नी चंद्रकला (75) की 14 अप्रैल को कोरोना से सांसे थम गईं थीं। इसके दो दिन बाद बेटे संजय (51) और फिर छोटे बेटे स्वप्नेश (48) की मौत हो गई। वहीं अपने पति-जेठ और सास की मौत के बाद छोटी बहू रेखा गर्ग को इतना गहरा सदमा लगा कि उसने 21 अप्रैल को अपने कमरे में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। अभी बच्चे और बुजुर्ग बिलख ही रहे थे कि एक दिन पहले घर की बड़ी बहू रितु (45) का इंदौर के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया।
 

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परिवार को पांच सदस्यों की मौत के बाद अब बालकिसन गर्ग के घर में अब उनके अलावा चार छोटे बच्चे रह गए हैं। जहां वह अपने मम्मी-पापा चाचा-चाची और दादी को याद कर बिलख रहे हैं। उनकी चीखे सुनकर पड़ोसी भी बिलख रहे हैं। लेकिन महामारी के खौफ में चाहकर भी कोई उनके कंधे पर हाथ रखकर सांत्वना नहीं दे पा रहा है।

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बता दें कि  बालकिसन गर्ग का देवास शहर में किराना का थोक व्यापार है। साथ ही वह देवास अग्रवाल समाज के अध्यक्ष भी हैं। अक्सर लोगों को सुख-दुख में साथ खड़े होते हैं। लेकिन इस महामारी की वजह से जो दुखों का पहाड़ टूटा वह शायद कभी पूरा नहीं हो पाएगा। ( बालकिसन गर्ग के छोटे बेटा-बहू)

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बालकिसन गर्ग की छोटे बेटे स्वप्नेश गर्ग की शादी आज से 20 साल पहले रेखा के साथ हुई थी। दोनों पति-पत्नी अपने परिवार के साथ रहते थे और खुश थे। लेकिन एक सप्ताह में ऐसा दुखों का पहाड़ टूटा कि रेखा सहन नहीं कर सकी और अपनी जीवनलाली समाप्त कर ली।
 

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बालकिसन गर्ग  की बड़ी बहू रेखा, जिन्होंने इंदौर के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली।

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