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CDS Helicopter Crash:3 महीने पहले पीतांबरा पीठ आए थे Bipin Rawat, 7 घंटे अनुष्ठान किया, दर्शन से हुए थे अभिभूत
दतिया। तमिलनाडु (Tamil Nadu) के कुन्नूर (Coonoor) में बुधवार को हेलिकॉप्टर हादसे ( Helicopter Crash) में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat), उनकी पत्नी मधुलिका (Madhulika) समेत 13 लोगों की मौत हो गई है। इस घटना के बाद देश गमजदा है। लोग दिवंगत आत्माओं को नमन कर रहे हैं और उनके कार्यों को याद कर रहे हैं। जनरल रावत तीन महीने पहले मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के दतिया (Datia) में स्थित प्रसिद्ध मां पीतांबरा पीठ (Pitambara Peeth temple) पर दर्शन और पूजन करने आए थे। यहां उन्होंने पीतांबरा पीठ में विशेष अनुष्ठान करवाया था। साथ ही शिवजी का जलाभिषेक भी किया था। उनके साथ उनकी पत्नी मधुलिका रावत भी थीं। रावत दंपति करीब 7 घंटे तक मंदिर में रहे थे। उनका ये दौरा पूरी तरह से गोपनीय रखा गया था। आईए जानते हैं रावत के पीतांबरा पीठ में दर्शन और पूजन के बारे में...
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दतिया में मां पीतांबरा पीठ लोगों की आस्था का केंद्र है। ये मंदिर देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी प्रसिद्ध है। देवी मां के स्वरूप में मां पीतांबरा का ये शक्तिपीठ बहुत ही चमत्कारी माना जाता है। सीडीएस रावत 14 सितंबर को पत्नी मधुलिका के साथ झांसी से सटे मध्य प्रदेश के दतिया आए थे। हवाई जहाज से उतरने के बाद वे सीधे पीतांबरा पीठ पहुंचे थे।
मंदिर के भीतर मौजूद लोग एक बार में उन्हें पहचान भी नहीं पाए थे, क्योंकि हमेशा सेना की वर्दी में नजर आने वाले सीडीएस मंदिर के भीतर पूरी तरह से धार्मिक रंग में रंगे हुए थे। उन्होंने पारंपरिक वस्त्र धोती-कुर्ता पहन रखा था और माथे पर तिलक लगा था। सिर पर पहाड़ी टोपी पहने थे। जनरल रावत करीब 7 घंटे तक पारंपरिक वेशभूषा में रहे थे।
रावत की पत्नी मधुलिका साड़ी में थीं। मंदिर में पहुंचते ही पहले पति-पत्नी ने मां पीतांबरा के दर्शन किए थे। मां को हार-फूल और प्रसाद अर्पित किया था। इसके बाद उन्होंने वनखंडेश्वर महादेव का जलाभिषेक किया था।
इसी बीच उन्होंने मंदिर परिसर में आयोजित एक विशेष अनुष्ठान में भी हिस्सा लिया था। ये अनुष्ठान 5 घंटे से ज्यादा समय तक चला था। अनुष्ठान के दौरान पुरोहित जब मंत्रोच्चारण करते थे, तब जनरल रावत आंख बंद कर हाथ जोड़कर ध्यान की मुद्रा में आ जाते थे।
बीच-बीच में पुरोहितों के कहने पर जलार्चन और अन्य क्रिया करते थे। इस दौरान उन्होंने पूरे मंदिर परिसर का भ्रमण किया था। वो स्थान भी देखा था, जहां 1962 में भारत-चीन युद्ध को रोकने के लिए यज्ञ किया गया था।
बता दें कि जनरल रावत को ग्वालियर से विमान बदलकर दतिया के पीतांबरा माई पहुंचना था। लेकिन खराब मौसम के कारण कई घंटे उन्हें ग्वालियर एयरबेस पर ही गुजारने पड़े। इस दौरान की यादें यहां सेना के अफसरों के पास है। CDS बिपिन रावत ने यहां अफसरों से चर्चा की थी। वे एक सैनिक के हौसले पर बात करते रहे। साथ ही बॉर्डर से लेकर अंदर सेना के बेस कैंप तक के हालातों पर बात की थी। इसके बाद 14 सितंबर की सुबह साढ़े 7 बजे दतिया पहुंचे थे।
पीतांबरा पीठ पर सुरक्षा व्यवस्था के चलते किसी को भी मंदिर परिसर में जाने की इजाजत नहीं थी। पूरी व्यवस्था फौज ने अपने हाथों में ले रखी है। पहले से ही चयनित पुजारियों के दल ने उनको पूजा पाठ कराया है। यहां उन्होंने नवचंडी यज्ञ में भाग लिया था। इसके बाद दोपहर करीब 2.30 बजे वह ग्वालियर पहुंचे और यहां से सेना के विशेष विमान से दिल्ली के लिए रवाना हो गए।
जनरल रावत 13 सितंबर को ग्वालियर से मौसम साफ होने के बाद झांसी स्थित सैनिक छावनी पहुंचे थे और वहां व्हाइट टाइगर डिवीजन का निरीक्षण किया था। इसके साथ ही सैनिकों की दक्षता को परखा। यहां उन्होंने सेना के आला अफसरों के साथ तात्कालिक घटनाक्रम पर चर्चा की थी। जनरल रावत की दो बेटियां हैं। बड़ी बेटी का नाम कृतिका रावत है। उनकी शादी मुंबई में हुई है। जबकि छोटी बेटी का नाम तारिणी रावत है और वो अभी पढ़ाई कर रही हैं।