50 साल के अंदर मर जाते हैं यहां के लोग, इस तरह आड़े टेढ़े हो जाते हैं हाथ-पैर
रांची. झारखंड के पलामू में एक गांव के लोग अपनी जिंदगी को मौत से भी बदतर जी रहे हैं। वे कमर सीधी करके खड़े भी नहीं हो पाते। वहीं 50 की उम्र तक आते-आते मर जाते हैं। इस गांव में सबसे बुजुर्ग व्यक्ति 69 साल के हैं। यह गांव है चुकरू पंचायत का नेवाटीकर। यहां के पानी में फ्लोराइड की मात्रा काफी अधिक है। इससे लोगों की हड्डियां कमजोर हो रही हैं। इस गांव के ज्यादातर लोग विकलांग हैं। उनके पास खेती-किसानी के अलावा कोई दूसरा रोजगार नहीं है। लिहाजा उन्हें इसी गांव में मरते-मरते जीना पड़ा रहा है। यहां रहने वाले दशरथ उरांव, जय गोपाल आदि ने बताया कि फ्लोराइड युक्त पानी पीने से लोगों की हड्डियां टेढ़ी-मेढ़ी हो गई हैं। यानी बगैर लाठी के कोई खड़ा भी नहीं हो सकता है। वहीं कइयों ने तो खटिया पकड़ ली है।
| Updated : Nov 27 2019, 11:44 AM
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फ्लोराइड युक्त पानी पीने के कारण यहां के कई युवा असमय मौत के मुंह में चले गए हैं। गांववाले बताते हैं कि वे अफसरों से अपनी समस्या को लेकर मिले, तो उनसे गांव छोड़ने को कहा गया। सवाल यह है कि लोग जाएं कहां? ज्यादातर लोग विकलांग हैं, ऐसे में वे बाहर रहकर क्या खाएंगे-पीएंगे?
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गांववाले इस बात से ज्यादा दुखी हैं कि नई पीढ़ी भी फ्लोराइड युक्त पानी पीने को मजबूर है। उन्हें कहीं भेज भी नहीं सकते। बताते हैं कि सरकार ने यहां पेयजलापूर्ति योजना शुरू की थी, लेकिन वो ज्यादा दिन तक नहीं चल पाई। सिर्फ 1-2 सालों तक ही लोगों को शुद्ध पानी नसीब हुआ। यह योजना 11 फरवरी 2019 से बंद पड़ी है। अफसर तर्क देते हैं कि चुकरू में कोयल नदी पर बने पंप हाउस में रेत भर चुकी है। इससे पानी की सप्लाई नहीं हो पा रही है।
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बताते हैं कि सिर्फ नेवाटीकर अकेला गांव नहीं है, जहां फ्लोराइड युक्त पानी मिलता है। मेदिनीनगर सदर प्रखंड के चार पंचायत कौड़िया, सुआ, चियांकी व सरजा गांव के पानी में भी फ्लोराइड की अधिकता पाई गई है।
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स्वच्छता विभाग ने यहां एंटी फ्लोराइड फिल्टर का इस्तेमाल किया था। लेकिन 6 माह से एंटी फ्लोराइड फिल्टर मशीन खराब पड़ी है। यहां शुद्ध पेयजल मुहैया कराने तीन करोड़ रुपए की लागत से योजना शुरू की गई थी। लेकिन यह अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ गई। मेदिनीनगर में सदर प्रखंड 20 सूत्रीय समिति के सदस्य राजेश विश्वकर्मा ने कहा कि उन्होंने बैठक में यह मुद्दा उठाया था। लेकिन अभी तक कुछ नहीं हो सका है।