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14 जुलाई से सावन शुरू: देवघर ज्योर्तिलिंग के साथ झारखंड में 100 साल पुराना शिव मंदिर, 1 करोड़ लोग करेंगे दर्शन

देवघर (झराखंड). 14 जुलाई यानि कल से सावन शुरू होने जा रहा है। देवघर में विश्वप्रसिद्ध श्रावणी मेले की शुरूआत भी हो चकी है। महीने के चारों सामवार के दिन राज्य सहित देशभर के सभी शिवालयों में लोगों का हुजुम बाबा को जल चढ़ाने को जुटेंगे। राज्य के लोगों में दिन-प्रतिदिन आस्था और भक्ति में वृद्धि हुई है। भगवान भोलेनाथ को पूजने वाले श्रद्धालुओं के लिए सावन माह का महत्व बहुत अधिक है। इस बार सावन माह में आने वाले चारों सोमवार विशेष योग के साथ आ रहे हैं। इस कारण पूरे सावन का महत्व और अधिक बढ़ गया है। सावन माह में भगवान भोलेनाथ के विशेष पूजन, अभिषेक व अनुष्ठानों को लेकर लोग अपने-अपने घरों एवं नजदीकी शिवालयों में तैयारी शुरू कर चुके हैं।  आइए जानते हैं झारखंड के इन पुराने शिव मंदिरों के बारे में...

Asianet News Hindi | Published : Jul 13 2022, 04:47 PM
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मनोवांछित फल पाने को श्रद्धालु सावन महीने के सामवार को उपवास रखते है। कुछ शिवभक्त बाबा का रुद्राभिषेक भी करते हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार इस बार सावन के हर सोमवार को शुभ संयोग बन रहे हैं। ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में सृष्टि के संचालनकर्ता भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं ऐसे में सृष्टि के संचालन का उत्तरदायित्व भगवान भोलेनाथ ग्रहण करते हैं इसलिए सावन माह के देवता भगवान शिव बन जाते हैं और पूरे माह भक्त शिवजी की पूजा करते हैं चौथे सोमवार को एकादशी के दिन शिव की पूजा करने से भगवान विष्णु की भी कृपा प्राप्त होती है।

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सावन माह में आने वाले चारों सोमवार विशेष योग

पहला सोमवार : 18 जुलाई, इस दिन श्रावण मास की पंचमी तिथि का योग बन रहा है।
दूसरा सोमवार : 25 जुलाई, इस दिन प्रदोष व्रत है सावन के दूसरे सोमवार को सर्वार्थ सिद्ध योग, अमृत योग और ध्रुव योग है।
तीसरा सोमवार : 1 अगस्त, इस दिन वरद चतुर्थी का शुभ संयोग बन रहा है।
चौथा सोमवार : 8 अगस्त, इस दिन एकादशी व्रत रखा जाएगा। यह भगवान विष्णु को समर्पित मानी गई है।
 

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देवघर के वैद्यनाथ मंदिर में जुटेंगे करीब एक करोड़ श्रद्धालु
भगवान शंकर के कुल 24 ज्योर्तिलिंगों में से एक बाबा वैद्यनाथ का धाम देवघर है। यहां हर साल करीब दो से ढाई करोड़ श्रद्धालु पहुंचते हैं। आज से शुरू श्रावणी मेले में इस बार 80 लाख से एक करोड़ शिवभक्तों के पहुंवने की संभावना है। शिवभक्त बिहार के सुल्तानगंज से गंगा का पानी कांवर में रख करीब 120 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर बाबा मंदिर पहुंचते है और लाखों की भीड़ में बोल-बम के नारों के साथ बाबा का जलाभिषेक करते हैं।

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सावन के महीने में कांवड़ का महत्व 
हिंदू धर्म में सावन का महीना भगवान भोलेनाथ को समर्पित माना गया है। सावन के पूरे महीने में भक्तजन भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए कई उपाय करते हैं। सावन में निकली जाने वाली कांवड़ यात्रा का बहुत महत्व बताया गया है। मान्यता है कि जो भक्त संपूर्ण नियमों का पालन करते हुए कांवड़ यात्रा करता है भगवान शिव उससे प्रसन्न होकर हर इच्छा पूरी करते हैं। इस साल कांवड़ यात्रा 26 जुलाई को सावन शिवरात्रि तक चलेगी। कांवड़ यात्रा करने वाले भक्तजनों को कांवड़िया कहते हैं। यात्रा के दौरान भक्तजन गंगा नदी के पवित्र जल को कांवड़ में भरकर लाते हैं और फिर लंबी यात्रा करते हुए इस जल से भगवान शिव का अभिषेक करते हैं। मान्यता है कि इससे भगवान भोलेनाथ प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाते हैं। 
 

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रामगढ़ : रजरप्पा से बुढ़वा महादेव तक पैदल यात्रा कर सैकड़ों श्रद्धालु करेंगे जलाभिषेक
बड़कागांव के बहुचर्चित पर्यटन स्थल 500 मीटर ऊंचे महुदी पहाड़ स्थित बुढ़वा महादेव मंदिर में सावन के अंतिम सोमवारी को मां छिन्नमस्तिके मंदिर रजरप्पा से जल उठाकर किया जाएगा। इस बार शिव भक्तों के द्वारा बड़े ही हर्षोल्लास के साथ पैदल जल यात्रा करने का निर्णय लिया गया। प्रत्येक वर्ष सैकड़ों महिला-पुरुष श्रद्धालु भक्तों द्वारा रजरप्पा के भैरवी नदी से जल उठा कर कठिन परिश्रम करते हुए 3 दिन की पैदल यात्रा करके बहुचर्चित बुढ़वा महादेव मंदिर में जलाभिषेक करते हैं पिछले 2 वर्ष कोरोना काल के चलते यात्रा को स्थगित कर दिया गया था। इस बार सामान्य स्थिति को देखते हुए पुनः यात्रा करने का निर्णय लिया गया।

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जमशेदपुर : सावन को लेकर महादेवशाल में उमड़ती है कांवरियों की भीड़, सावन में स्टेशन पर ठहरेंगे 8 ट्रेन 
चक्रधरपुर रेल मंडल में महादेवशाल स्टेशन स्थित है। सावन में महादेवशाल में जलाभिषेक करने वाले कांवरियों की भीड़ उमड़ पड़ती है। जो लोग बाबा धाम जाने से संकोच करते हैं वे महादेवशाल जरूर जाना चाहते हैं। इस स्टेशन पर रेलवे की ओर से पिछले कई सालों से यात्री ट्रेनों का दो मिनट के लिये ठहराव देने का काम किया जा रहा है। इस बार उम्मीद हैं कावंरियों की भीड़ अपेक्षा से ज्यादा उमड़ेगी। कोरोनाकाल के दौरान दो साल तक महादेवशाल स्टेशन पर यात्री ट्रेनों का ठहराव नहीं दिया गया था, लेकिन इस साल 13 जुलाई से ही 8 यात्री ट्रेनों का ठहराव रेलवे की ओर से देने की घोषणा कर दी गयी हैञ सीनियर डीसीएम मनीष पाठक की ओर से जारी किये गये रीलिज में कहा गया है कि 13 जुलाई से लेकर 12 अगस्त 2022 तक 8 यात्री ट्रेनों का ठहराव महादेवशाल स्टेशन पर दो मिनट के लिये किया जायेगा।


 

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गालूडीह : सिद्धेश्वर मंदिर में झारखंड के अलावा बंगाल और ओडिशा से भी आते हैं श्रद्धालु
गालूडीह से करीब पांच किलोमीटर दूर दो हजार फिट ऊंची पहाड़ी में स्थित सिद्धेश्वर बाबा का शिव मंदिर अटूट आस्था का केंद्र है। इस शिवालय का इतिहास कई साल पुराना है। ऐसा माना जाता है कि यहां जलाभिषेक करने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती है। इस मंदिर में सावन के महीने में व महाशिवरात्रि के दौरान बंगाल, झारखंड व ओडिशा से भक्त सुवर्णरेखा नदी से जल उठा कर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने आते हैं। मंदिर पहाड़ी में होने के कारण काफी मनमोहक है व पर्यटकों के लिए काफी दर्शनीय है। 

1987 में किया गया था मंदिर का निर्माण : इस मंदिर का निर्माण सन् 1987 में गालूडीह प्राचीन रंकणी के संस्थापक सह मुख्य पूजा प्रसिद्ध बाबा विनय दास द्वारा किया गया था। धीरे-धीरे लोग भक्ति भावना से यहां पूजा अर्चना करने लगे। 

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घाटशिला : विभिन्न शिवालयों में तैयारी पूरी, सोमवार को होगी विशेष पूजा अर्चना एवं महाप्रसाद का वितरण
घाटशिला के विभिन्न शिवालयों की पूजा कमेटियों ने तैयारी पूरी कर ली है। घाटशिला के मुख्य शिवालय में मऊभंडार शिव मंदिर, पावड़ा गोपालपुर शिव मंदिर, ऋण मुक्तेश्वर महादेव मंदिर राज्यस्टेट, प्रखंड मुख्यालय परिसर शिव मंदिर सहित आसपास के दुर्गम पहाड़ियों के बीच काशीडांगा शिव मंदिर एवं मुसाबनी प्रखंड क्षेत्र के सीधेश्वर पहाड़ी मंदिर में भक्तों का जलाभिषेक को लेकर तांता लगा रहता है। लगभग 2000 फीट ऊंचाई पर बना मुसाबनी का पहाड़ी मंदिर मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है। 

मऊभंडार शिव मंदिर में अंतिम सोमवार को सार्वजनिक भंडारा 
मऊभंडार शिव मंदिर में प्रत्येक सोमवार को संध्या आरती के बाद महाप्रसाद का वितरण किया जाएगा एवं अंतिम सोमवार को सार्वजनिक भंडारे का आयोजन किया गया है। मंदिर में सोमवारी को श्रद्धालुओं की काफी भीड़ भाड़ को देखते हुए महिला पुरुष के लिए अलग अलग पंक्ति बनाने की व्यवस्था की गई है। 

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