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सर्दी-खांसी समझ कर रहे थे इलाज, अचानक कांपने लगा बच्चा, तब डॉक्टर ने बताया उसे 'साइलेंट किलर' बीमारी है
इंग्लैंड. सर्दी, खांसी और बुखार...ये किसी भी बच्चे के लिए बहुत ही सामान्य बीमारी हैं। लेकिन 5 हफ्ते के बच्चे ओलिवर के लिए ये बीमारियां खतरा साबित हो गईं। ओलिवर के माता-पिता को लगा कि बच्चे को साधारण सर्दी खांसी है। लेकिन जब डॉक्टर ने ओलिवर की बीमारी की खुलासा किया तो उनके पैर के नीचे से जमीन खिसक गई। बच्चे को एक ऐसी बीमारी थी, जिसे साइलेंट किलर तक कहा जाता है। ओलिवर के माता-पिता ने कभी नहीं सोचा था कि वो जिसे सर्दी मान रहे थे, उसकी वजह से कुछ देर में मासूम को हॉस्पिटल में भर्ती कराना पड़ेगा। वह साइलेंट किलर बीमारी, जिसके बारे में जानना है जरूरी...?
| Published : Sep 13 2021, 02:55 PM IST / Updated: Sep 13 2021, 03:20 PM IST
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ओलिवर के माता-पिता का नाम साइ और क्रिस्टीना ग्रेगरी है। वे बच्चे को लेकर एक डॉक्टर ने पास गए। डॉक्टर ने भी सर्दी मानकर दवा दे दी। नोजल स्प्रे देकर वापस घर भेज दिया। लेकिन आधी रात को ओलिवर की तबीयत खराब होने लगी। वह बेचौन होने लगा। पिता ने बताया कि मैं घबरा गया। मैंने डॉक्टर का दिया हुआ नोजल स्प्रे का इस्तेमाल किया।
करीब 1 बजे तक बच्चा बिस्तर पर कराह रहा था। मैं उसके पास ही बैठा रहा। कुछ देर और इंतजार करने के बाद तबीयत ठीक नहीं हुई तो एम्बुलेंस बुलाना पड़ा और उसे लेकर हॉस्पिटल गया। वहां पता चला कि बच्चा सेप्सिस की चपेट में है।
इसके बाद ओलिवर का प्रॉपर इलाज किया गया। कई दिनों तक हॉस्पिटल में रखा गया। सेप्सिस की दवाइयां दी गईं। अब ओलिवर दो साल का दो हो गया है। स्वस्थ है। लेकिन पिता को आज भी याद है कि कैसे उसे ठीक करने के लिए संघर्ष किया। बच्चे के शरीर से जुड़े दर्जनों ट्यूब और मॉनिटर को याद कर आज भी वो घबरा जाते हैं।
सेप्सिस को साइलेंट किलर माना जाता है। यह तेजी से आता है और हर घंटे और भी ज्यादा घातक होता जाता है। सेप्सिस एक घातक कंडीशन है, जिसमें संक्रमण की वजह से शरीर के सेल्स तेजी से डैमेज होने लगते हैं। सेप्सिस सेप्टिक शॉक में बदल सकता है।
सेप्सिस के लक्षणों की बात करें तो सांस लेने में दिक्कत, हार्ट रेट बढ़ जाना, बुखार, कंपकंपी, बहुत ठंड लगना, ज्यादा दर्द, बेचैनी और तेज पसीना आना शामिल है।
विश्व सेप्सिस डे पर पिता साइ ने कहा कि लोगों को इसके लक्षणों के बारे में जानना चाहिए। सेप्सिस रिसर्च एफईएटी का कहना है कि ब्रिटेन में हर साल सेप्सिस के 25,000 मामले सामने आते हैं। इससे लगभग 220,000 बड़े लोग भी प्रभावित होते हैं।
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