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एक इस नवजात की मां, जिसने इसे मरने के लिए छाेड़ा, दूसरी वो मांंएं, जिनको लोग सैल्यूट कर रहे हैं
रोहतक, हरियाणा. लॉक डाउन के बीच सड़क पर सन्नाटा पसरा हुआ था। धूप भी अपने तेवर दिखा रही थी। ऐसे में सूनी सड़क पर एक नवजात रोये जा रही थी। लेकिन उसकी तकलीफ सुनने वाला कोई नहीं था। काफी देर बाद संयोग से वहां रहने वाले किसी शख्स के कानों तक बच्ची की आवाज पहुंची। उसने जाकर देखा, तो होश उड़ गए। रेहड़ी पर कपड़ों में लिपटी एक बच्ची पड़ी थी। उसने तुरंत पुलिस को फोन किया। पुलिस ने बच्ची को पीजीआई हॉस्पिटल पहुंचाया है। बच्ची की उम्र 7 दिन बताई जाती है। अगर समय रहते बच्ची को वहां से नहीं उठाया जाता, तो कोई भी अनहोनी हो सकती थी। आवारा जानवर उस पर हमला कर सकते थे। घटना बुधवार शाम करीब 5 बजे की है।
| Published : Apr 16 2020, 10:20 AM
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एक युवक विशाल ने पुलिस कंट्रोल में बच्ची के रेहड़ी में पड़े होने का सूचना दी थी। जनता कॉलोनी पुलिस चौकी प्रभारी राजेश जाखड़ ने बताया कि आसपास के CCTV फुटेज के आधार पर बच्ची के परिजनों को तलाशा जा रहा है।
(इस बच्ची को मरने के लिए छोड़ने वाली मां कैसी होगी, यह अलग बात, लेकिन आगे पढ़िए ऐसी मांओं और महिलाओं की कहानी..जो लॉक डाउन में एक मिसाल बनकर सामने आई हैं)
(इस बच्ची को मरने के लिए छोड़ने वाली मां कैसी होगी, यह अलग बात, लेकिन आगे पढ़िए ऐसी मांओं और महिलाओं की कहानी..जो लॉक डाउन में एक मिसाल बनकर सामने आई हैं)
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यह तस्वीर छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले की है। यहां एक ही परिवार को 5 सदस्य कोरोना पॉजिटिव मिले हैं। इनमें दो महिलाएं भी हैं। इन महिलाओं की दो दुधमुंह बच्चियां भी हैं। समस्या इन बच्चियों की देखरेख की थी। मां का दूध पीने से कहीं बच्चियां संक्रमित न हो जाएं, लिहाजा एम्स हॉस्पिटल की नर्सों ने मानवता का परिचय देते हुए बच्चियों को दूध पिलाने की जिम्मेदारी निभाई।
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यह कहानी गुजरात के सूरत की है। यह हैं मयूरी बेन। ये वालोड तहसील के कणजोड़ स्थित प्राथमिक स्वास्य केंद्र में नर्स हैं। इनके 8 महीने के जुड़वां बच्चे हैं। ये जब ड्यूटी जाती हैं, तो बच्चों को सास की गोद में छोड़ जाती हैं। जब वे घर लौटती हैं, तो बच्चे गोद में आने मचलते हैं। लेकिन एक मां पहले खुद को सैनिटाइज करती है, फिर बच्चों को दुलार करती हैं।
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यह तस्वीर नई दिल्ली की है। उत्तराखंड की रहने वाली इस महिला महक ने लॉक डाउन के बीच एक बेटी को जन्म दिया। इस संकट में उसके लिए खाने के लाले पड़े, तो दूध उतरना बंद हो गया। बच्ची भूख से बिलबिलाने लगी, तो मां का दिल भर आया। जब उसे कुछ समझ नहीं आया, तो उसने मीडिया के जरिये हेल्प मांगी। महक और उसका पति गोपाल मजदूरी करते हैं। इस तस्वीर के बाद कई लोग उसकी मदद को आगे आए।
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यह कहानी मध्य प्रदेश के दतिया जिले की है। ये हैं सब इंस्पेक्टर भूमिका दुबे। ये जिले की बड़ौनी थाना की प्रभारी हैं। इनका तीन साल का बेटा है। पिछले दो हफ्ते से ये कोरोना वॉरियर्स की भूमिका में हैं। लिहाजा, एक मां ने अपनी ममता को काबू में करके बच्चे को गोद तक में नहीं उठाया है।