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पत्नी की मेहंदी सूखी भी नहीं थी कि भारत माता की रक्षा में शहीद हो गया पति, ताबूत पर सिर रख रोती रही
झज्जर (हरियाणा) भारतीय नौसेना के जवान गौरव दत्त शर्मा का पार्थिव शरीर जब सोमवार को तिरंगे में लिपटा नौसेना की गाड़ी से उनके पैतृक गांव कबलाना लाया गया तो पूरा गांव में सन्नाट पसर गया। उनके अंतिम दर्शन करने वाले हर शख्स की आंख से आंसू निकल रहे थे। गांव की हर गली में लोग अपने लाडले गौरव को अंतिम विदाई देने के लिए खड़े हुए थे। बता दें कि गौरव 19 मई को समुद्र में जहाज के इंजन को चालू करते समय पाइप फटने से सोमालिया में शहीद हो गए।
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नौसेना के जवान गौरव दत्त शर्मा का पूरे सैनिक सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। गांव के लोगों ने भारत माता की जय, शहीद गौरव दत्त अमर रहे, जब तक सूरज चांद रहेगा तक गौरव का नाम रहेगा के जयकारों से आसमान गूंज रहा था। गौरव का छोटा भाई राहुल दत्त रेलवे में है, जबकि एक बहन निशा की शादी हो चुकी है। वहीं पिता नरेश उर्फ नरसी व मां निर्मला का रो-रोकर बुरा हाल है।
शहीद गौरव दत्त शर्मा की शादी तीन महीन पहले 16 फरवरी को झज्जर जिले के गांव धारौली की पूनम के साथ हुई थी। वह पत्नी से जल्द वापस आने का वादा करके 10 मार्च को ड्यूटी पर गया था। लेकिन , उसकी किस्मत में शायद इतना ही साथ लिखा था, जो पत्नी की हांथों की मेंहदी अभी ठीक से सूखी भी नहीं थी कि उसका सुहाग उड़ गया।
बता दें कि गौरव भारतीय नेवी में विशाखापट्टनम में जूनियर इंजीनियर के पद पर तैनात थे। वह समुद्री लुटेरों से समुद्री जहाजों को बचाने के लिए उनकी सुरक्षा में आईएनएस सुमेधा जहाज पर सवार होकर मालद्वीप गए थे। 19 मई को जब मालद्वीप से जहाज वापस आ रहे थे इसी दौरान वह शहीद हो गए थे।
बता दें कि गौरव 2011 में इंजीनियरिंग का कोर्स करने के बाद भारतीय नौसेना में भर्ती हो गए थे। वह गोताखोर का भी कोर्स कर चुके थे। ग्रुप में वह सबसे अच्छे तैराक भी थे। गौरव वॉलीबॉल का बेहतरीन खिलाड़ी था और अपने इसी खेल की बदौलत उसने कई पुरस्कार इंडियन नेवी के लिए जीते थे। जिस स्टेडियम में गौरव वॉलीबॉल की प्रैक्टिस करता था, अब गांववालों ने उसका नाम शहीद गौरव दत्त शर्मा के नाम पर किए जाने की प्रशासन से मांग की है।