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कौन है यह नई दंगल गर्ल, जिसने ओलिंपिक विनर साक्षी मालिक को हराया..लकवे वाले हाथ से लगाया ऐसा दांव
पानीपत, हरियाणा की पहचान यहां के बॉक्सिंग, रेसलिंग और कई दूसरे खेलों से जुड़े खिलाड़ियों के चलते होती है। क्योंकि यहां अक्सर नए-नए प्लेयर सामने आते रहते हैं। अब प्रदेश में एक नई दंगल गर्ल सामने आई है, जिसकी हर तरफ चर्चा हो रही है। महज 18 साल की उम्र में सोनम मलिक ने 2016 ओलिंपिक की ब्रॉन्ज मेडलिस्ट साक्षी मलिक को हराकर नेशनल रेसलिंग चैम्पियनशिप जीत ली।
| Published : Jan 31 2021, 06:47 PM IST / Updated: Jan 31 2021, 06:55 PM IST
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दरअसल, शनिवार को महिला राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप हुई थी। 62 किलोग्राम वर्ग के फाइनल में सोनम मलिक ने ऐसा दांव लगाया कि साक्षी मलिक को 7-5 से हराकर गोल्ड मेडल अपने नाम कर लिया। बता दें कि सोनम की यह साक्षी पर लगातार तीसरी जीत है। सोनम ने पिछले साल फरवरी में एशियाई ओलिंपिक क्वॉलिफायर और पिछले साल जनवरी में एशियाई चैंपियनशिप के लिए ट्रायल में साक्षी को हराया था।
बता दें कि सोनम मलिक ने जिस हाथ से साक्षी को पटखनी दी है वह हाथ कभी उनका लकवाग्रस्त था। 2018 में स्टेट चैम्पियनशिप के दौरान उन्हें हाथ में लकवा मार गया और फिर टूर्नामेंट बीच में ही छोड़ना पड़ा। दांए हाथ जब नहीं चला तो उनको लगा कि अब वह कभी पहलवानी नहीं कर सकती हैं। लेकिन उन्होंने बाएं हाथ से अभ्यास जारी रखा और अपने हौसले को बनाए रखा। जिसके चलते आज वो पहलवानी का नई सितारा बन गई हैं।
सोनम मलिक रोहतक के मदीना गांव के राजेंद्र मलिक की बेटी है। उनके पिता भी कभी पहलवानी किया करते थे। लेकिन पारिवारिक हालात के चलते वह पहलवानी को ज्यादा समय नहीं दे सके। जिससे वह इस फील्ड में नाम नहीं कमा सके। बाद में राजेंद्र मलिक एक चीनी मिल में नौकरी करने लगे। उन्होंने बताया कि उनकी बेटी सोनम जब 12 साल की थी तभी से वह एक दिन अचानक अखाड़े में पहुंच गई। वहां के कोच सूबेदार अजमेर मलिक ने बेटी की कुश्ती देखी और कहा यह एक दिन पूरे देश का नाम रौशन करेगी। कोच ने हर कदम पर साथ दिया और सोनम ने पहलवानी को अपना करियर बना लिया।
वहीं उनके कोच ने बताया कि सोनम करीब छह महीनों तक बेड रेस्ट पर रही हैं। उनकी हालत इतनी खराब थी कि वो अपना हाथ उठा तक नहीं पाती थीं। उनका इलाज करने वालों तक ने कह दिया था कि सोनम कभी अब पहलवानी नहीं कर सकती हैं। लेकिन सोनम और उनके पिता ने कभी हार नहीं मानी और आयुर्वेद में इलाज कराया। जिसका असर देर से लगा पर उनको आराम लग या। फिर वह कुश्ती के मैदान में दिखने लगीं, जहां उन्होंने 2019 में दूसरी बार वर्ल्ड कैडेट रेसलिंग चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीता।
वहीं सोनम मलिक का कहना है कि मेरे पूरे परिवार में शूरू से ही पहलवानी का माहौल रहा है। मेरे पापा खुद एक अच्छे रेसलर रहे हैं। मेरे गांव में कई पहलवान हैं। इतना ही नहीं मेरा चचेरा भाई दंगल लड़ता था, तो मैं उसके साथ दंगल देखने जाया करती थी। वह जब दूसरों को पटखनी देता था तो मुझे बहुत खुशी होती थी। यहीं से मैंने भी ठान लिया कि मैं भी एक दिन पहलवान बनकर रहूंगी। इसके बाद जब साक्षी मलिक को ओलिंपिक में मेडल जीतते देखा तो मेरा हौसला और बढ़ गया। फिर मैंने सोच लिया कि अब तो मैं भी देश के लिए गोल्ड जिताकर रहूंगी।