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मां को रिक्शे पर बैठाकर अपने लिए दवाई लेने निकला था बीमार बेटा, रास्ते में ही मर गया, कोई मदद को आगे नहीं आया
फरीदाबाद, हरियाणा. ये तस्वीरें लॉकडाउन के दौरान गरीबों और मजबूर लोगों की तकलीफ को दिखाती हैं। खाने-पीने को मोहताज प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए सही व्यवस्था न होने से वे पैदल ही अपने घरों की ओर लौटते देखे जा सकते हैं। वहीं, कई गरीब मदद के अभाव में जिंदगी गंवा बैठे। पहली तस्वीर हरियाणा के फरीदाबाद की है। सड़क पर पड़ी यह लाश उस बेटे की है, जो बुखार होने के बावजूद खुद दवाई लेने निकला था। लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। कोरोना के डर से कोई भी उसकी मदद को आगे नहीं आया। बेटा अपनी मां को रिक्शे पर बैठाकर घर से निकला था। शख्स की मौत किस वजह से हुई, यह पोस्टमार्टम के बाद ही पता चलेगा।
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यह तस्वीर फरीदाबाद है। 25 साल के युवक को तेज बुखार था। बावजूद वो खुद रिक्शा चलाकर दवाई देने निकला था। साथ में उसकी मां थी। लेकिन सेक्टर-22 में पहुंचते ही युवक बेहोश होकर सड़क पर गिर पड़ा और उसकी मौत हो गई। बेटे की मदद के लिए मां चिल्लाती रही, लेकिन कोरोना के डर से कोई आगे नहीं आया। बाद में पुलिस ने लाश को पोस्टमार्टम के लिए भेजा।
तेज आंधी के बावजूद प्रवासी मजदूर अपने घरों की ओर जाते दिखाई दिए।
बता दें कि रविवार को दिल्ली सहित कई जगहों पर धूलभरी आंधी चली थी। इस दौरान सैकड़ों मजदूर रास्ते में थे।
आंधी में पैदल घरों की ओर जा रहे मजदूर अपने बच्चों को गोद में छुपाकर बचाते दिखे।
औरंगाबाद में ट्रेन से कटकर मरे 16 मजदूरों से भी सरकार ने सबक नहीं लिया। अभी भी मजदूर पैदल घरों की ओर जाते दिखाई दे रहे हैं।
अपने बच्चे के साथ धूप से खुद से बचाव करती एक मजदूर मां।
महिला मजदूर इस तरह सिर पर बोझ उठाकर घरों की ओर जाते देखी जा सकती हैं।
प्रवासी मजदूरों के डेरे में एक कलाकार उन्हें मायूसी के दौर में हंसाने की कोशिश करता हुआ।
मासूम बच्चों को इस तरह खाने के लिए लाइन में लगा देखा जा सकता है।
लॉकडाउन में फंसे मजदूरों ने पाइपों को बनाया अपना आशियाना।
हाथ फैलाकर खाना लेकर लौटता एक बच्चा।
इन मजदूरों को बच्चों के साथ मीलों पैदल चलना पड़ रहा है।
अपने परिवार के साथ मायूस होकर घर लौटता एक शख्स।
मजदूरों के बच्चों को ठीक से खाना भी नहीं मिल पा रहा है।
रास्ते में थककर बैठा घर की ओर निकला एक मजदूर।