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दिल्ली पुलिस ने मुस्लिम युवक को लातों से पीटा? अफवाह फैलाने से पहले जान लें वायरल फोटो की कहानी
नई दिल्ली। नागरिकता कानून के विरोध में चुनाव के बाद दिल्ली के तमाम इलाकों में सांप्रदायिक हिंसा बढ़ गई थी। हिंसा में दोनों पक्षों की ओर से करीब चार दर्जन से ज्यादा लोगों की मौतें हुई। आगजनी और लूटपाट की भी कई घटनाएं सामने आई हैं। हिंसा में विपक्ष की ओर से आरोप लगाया गया कि मुसलमानों को लेकर पुलिस की भूमिका भेदभावपूर्ण थी।
| Published : Mar 11 2020, 11:05 PM
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मुसलमानों को लेकर पुलिस की भेदभावपूर्ण भूमिका को लेकर कई वीडियो और तस्वीरों को सबूत के तौर पर पेश किया गया। एक तस्वीर सोशल मीडिया के तमाम प्लेटफॉर्म्स पर वायरल हो रही है और इसके जरिए दिल्ली में मुसलमानों के प्रति दिल्ली पुलिस के व्यवहार को दिखाने की कोशिश की जा रही है।
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वायरल दावा क्या है:- फोटो में एक मुस्लिम शख्स नजर आ रहा है। वह कुर्ता, पाजामा और टोपी में है। वर्दी में नजर आ रहे हैं तीन सुरक्षाकर्मी। इसमें से एक जवान शख्स को लातों से मारता दिख रहा है। एक फेसबुक यूजर ने इस तस्वीर को साझा कर लिखा, "दिल्ली पुलिस मुसलमानों से शांति की अपील करते हुए!" इस पोस्ट को कई और यूजर्स ने साझा किया है।
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लेकिन फोटो की सच्चाई वह नहीं है जैसा यूजर्स ने दावे के साथ बताया है। गूगल इमेज सर्च में जानकारी सामने आती है कि फोटो को सोफी अहसान नाम के एक जर्नलिस्ट/फोटोग्राफर ने क्लिक किया था। ये फोटो भी दिल्ली का नहीं बल्कि श्रीनगर (जम्मू-कश्मीर) की है। इसे 6 अक्तूबर 2014 में क्लिक किया गया था।
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क्या है फोटो की सच्चाई:- फोटो 2014 में ईद-उल-अदहा के दिन की है। आमतौर पर ईदगाह में सामूहिक अवसरों पर भारत विरोधी प्रदर्शन होते हैं। फोटो में नजर आ रहे वर्दीधारी दिल्ली पुलिस के जवान नहीं बल्कि जम्मू कश्मीर में तैनात सुरक्षाकर्मी हैं। युवक की फोटो ईदगाह की है। हालांकि युवक प्रोटेस्ट में शामिल था या नहीं, रिपोर्ट्स से ये साफ नहीं हो पाया।
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नतीजा :- फ़ैक्ट चेक वेब साइट आल्ट न्यूज ने भी अहसान से बात कर ये साफ किया है कि फोटो दिल्ली की नहीं बल्कि कश्मीर की है और उसकी कहानी वह नहीं है जो लोग साझा करते हुए बता रहे हैं। सोशल मीडिया में कई फोटो और वीडियो अलग अलग दावों के सतह साझा होते हैं। ऐसी तस्वीरों पर कोई दावा या साझा करने से पहले इनकी सच्चाई जान लेना चाहिए। ताकि अफवाहों को एक स्तर पर रोका जा सके।
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वायरल फोटो 2014 की है और इसे कश्मीर में सोफी हसन नाम के एक पत्रकार ने खींचा था। इस फोटो का दिल्ली दंगों और दिल्ली पुलिस से कोई संबंध नहीं है।
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सोफी हसन ने बाद में इस घटना से जुड़ी बाकी फोटो भी शेयर की हैं।
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सोफी हसन फिलहाल इंडियन एक्सप्रेस के लिए काम कर रहे हैं।
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फेसबुक ने भी इस फोटो से जुड़े गलत पोस्ट को रिपोर्ट कर दिया है, पर बाकी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ये फोटो अभी भी वायरल है।