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FACT CHECK: मंदिर में पूजा करने गई हिंदू महिला के साथ मारपीट, कपड़े फाड़े, कहां का है ये मामला?
नई दिल्ली. कोरोना आपदा की वजह से लोग घरों में बंद सोशल मीडिया पर वक्त बिता रहे हैं। इस बीच फर्जी खबरों का प्रसार-प्रचार और बढ़ गया है। लोग बिना यकीन किए फेक न्यूज शेयर कर रहे हैं। बीते कुछ दिनों से एक घायल महिला की तस्वीर अलग अलग कैप्शंस के साथ सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है। तस्वीर/तस्वीरों में महिला के शरीर पर चोट के निशान देखें जा सकते हैं। एक तस्वीर में महिला के सर से खून बह रहा है। अन्य तस्वीरों में उसके कन्धों पर निशान है जिससे प्रतीत होता है कि उसे बेरहमी से पीटा गया है। इतना ही नहीं महिला के साथ बिखरे सामान की भी फोटो शेयर की जा रही है।
लोगों का दावा है कि ये घटना केरल की है जहां ईसाई मिशनरीयो और जिहादियों काने पूजा करने वाली इस महिला की पिटाई की है। फैक्ट चेकिंग में आइए जानते हैं कि आखिर सच क्या है?
| Published : Apr 28 2020, 05:53 PM IST
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इन तस्वीरों के साथ पिछले कुछ सालों में कई तरह के साम्प्रदायिक दावे किये गए हैं जिन्हें सोशल मीडिया पर ज़ोर-शोर से वायरल किया गया। अब ये तस्वीरें कोरोना आपदा के बीच वायरल हो रही हैं।
वायरल पोस्ट क्या है?
तस्वीर को अब इस कैप्शन के साथ शेयर किया जा रहा है, लिखा है- केरल में ईसाई मिशनरीयो और जिहादियों का आतंक अब इतना बढ़ चुका है कि हिन्दुओ को पूजा अर्चना और अपने धार्मिक रीती रिवाज़ो को पूरा करने का अधिकार भी छीना जा रहा है..! इस दलित आदिवासी महिला को बुरी तरह पीटा ओर कपड़े फाड़ दिए क्यों की ये पूजा कर रही थी..!!"
क्या दावा किया जा रहा है?
तस्वीरों के साथ दावा किया जा रहा है कि, अब कोरोना आपदा के बीच केरल में ईसाई मिशनरीयो ने हिंदू महिला के साथ बदसलूकी की है। लोगों का कहना है कि केरल में हिंदुओं का पूजा अर्चना करना दुश्वार हैं।
साल 2018 के दौरान यही तस्वीरें इस दावे के साथ वायरल थी कि: केरल में एक हिन्दू महिला को पूजा करने की वजह से मारा गया और बेइज्ज़त किया गया ,मूर्ति तोड़ दिया शांतिदूतों ने ।। ज्यादा से ज्यादा शेयर करो ताकी पीड़ित महीला को इंसाफ मिल सके।
सच क्या है?
फ़ैक्ट चेक में हमने इसकी जांच-पड़ताल की। गूगल रिवर्स इमेज सर्च के ज़रिये पता लगाया की ये तस्वीरें करीब तीन साल से वायरल हैं। हमने इंटरनेट भी खंगाला पर हमें केरला से संबंद्धित ऐसे किस घटना के बारे में कोई न्यूज़ रिपोर्ट नहीं मिली। इसके बाद हमनें सर्च इंजन यांडेक्स पर इसी तस्वीर के साथ रिवर्स इमेज सर्च किया तो पाया की यह तस्वीर कन्नड़ में लिखे एक लेख में इस्तेमाल हुई थी। हमनें इस लेख में एक फ़ेसबुक पोस्ट एम्बेडेड पाई जिसमें घटना का विवरण था। फ़ेसबुक पोस्ट के हिसाब से यह घटना 8 अक्टूबर 2017 या उससे पहले कि है।
पोस्ट बांग्ला में हैं जिसका हिंदी अनुवाद है: "इनका नाम पंचबाला कर्माकर है जो स्थाई रूप से चित्तागोंग ज़िले में बंशखाली पुलिस स्टेशन के अंतर्गत उत्तरी जलदी गांव कि निवासी हैं। इस मजबूर और गरीब महिला को प्रभावशाली पड़ोसी प्रदीप घोष और उसके लड़के बिस्वजीत घोष ने पीटा। उसकी स्थिति गंभीर है, उसकी देखभाल और इलाज़ के लिए कोई नहीं है।।"
ये निकला नतीजा
साल 2018 में प्रकाशित बहुत से लेखों में इन दावों को सिरे से खारिज किया गया था। सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरें के साथ किए गए सभी दावे फर्जी हैं।