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300 साल बाद मंदिर की खुदाई में जिंदा निकला समाधि में बैठा संन्यासी, दिलचस्प है चमत्कार का सच

नई दिल्ली. भारत में कदम-कदम पर पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिर और तीर्थ स्थल पाए जाते हैं। मंदिरों में साधू और सन्यासी भी रहते हैं। ये सन्यासी और साधू बाबा अपनी तपस्या और साधना से लोगों को हैरान कर देते हैं। ऐसे ही सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप वायरल हो रहा है जिसके साथ दावा किया जा रहा है कि, 300 साल से समाधी में बैठा एक सन्यासी मंदिर की खुदाई में जीवित निकला है। वीडियो को देख लोग दंग रह गए हैं और धड़ाधड़ इसे शेयर कर रहे हैं। वीडियो में दिख रहा शख्स कीचड़ में लिपटा है और उसके चेहरे और शरीर पर हल्के घाव भी नजर आ रहे हैं। आइए जानते हैं कि ये वीडियो किसका है और इसकी सच्चाई क्या है?

Asianet News Hindi | Updated : Feb 20 2020, 01:05 PM
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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे इस वीडियो ने कोहराम मचाया हुआ है। वीडियो में एक शख्स है जो मिट्टी और कीचड़ में सना नजर आ रहा है। शख्स के शरीर पर काफी हाव और खून के धब्बे भी हैं। वीडियो को एक लंबे मैसेज के साथ शेयर किया जा रहा है।
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फेसबुक यूजर ने वीडियो क्लिप शेयर करते हुए लिखा: "सिद्धार (योगी) के वर्तमान जीवन को देखना एक बहुत बड़ा सौभाग्य है, जो 300 साल पहले तमिलनाडु के वल्लियुर में जीव समाधि में चले गए थे। वल्लियूर मंदिर की मिट्टी खोदते समय साधू को जीवित पाया गया। खुदाई के दौरान लोगों ने सिद्धार बाबा को योगासन में बैठे पाया। ओम नमः शिवाय।"
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वीडियो भारत में तेजी से वायरल है। व्हाट्सएप फेसबुक,ट्विटर सभी सोशल मीडिया पर योगी के जिंदा निकले के दावे के साथ शेयर किया जा रहा है। लोगों का कहना है ये शख्स मंदिर के आसपास खुदाई करने के दौरान जीवित पाया गया था, वो 300 साल से जमीन में समाधी लेकर बैठा हुआ था। वीडियो को देखते ही लोग अभिभूत होकर शेयर कर रहे हैं। हालांकि वीडियो की सच्चाई कुछ और ही है।
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दरअसल सन्यासी के जीवित निकलने के दावे से वायरल हो रहा ये वीडियो भारत का नहीं है। इस वीडियो को तमिलनाडू के किसी मंदिर से कोई संबध नहीं है। और वीडियो में मौजूद शख्स कोई साधू-सन्यासी नहीं है ये कजाकिस्तान का नागरिक है और अकोतोब का निवासी है।" वीडियो में मौजूद शख्स का नाम अलेक्जेंडर है और वह पसोरिसिस नाम की एक बीमारी से पीड़ित था। सोशल मीडिया पर ये वीडियो क्लिप पहले भी काफी वायरल हो चुका है। तब दावा किया गया था कि, इस शख्स को भालू ने हमला करके घायल कर दिया था।
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हालांकि एएफपी न्यूज साइट ने जुलाई 2019 में अपनी एक रिपोर्ट में बताया कि, एक्टोबे मेडिकल सेंटर के निदेशक रुस्तम इसायेव ने शख्स की पुष्टि की थी। इसायेव ने कहा, अलेक्जेंडर उनका मरीज था और उस पर भालू ने हमला नहीं किया था। वह पसोरिसिस से पीड़ित था, वह 15 दिन पहले हमारे पास आया और हमने उसका इलाज किया। जब उसकी हालत में सुधार हुआ तो हमने उसे छुट्टी दे दी।"
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