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Fact Check. लाल लाल लीची खाने से पहले देख लें ये वीडियो, कैसे आपको खिलाया जा रहा जहर
मुंबई. आपने फलों और सब्जियों को रंगने की खबरें हमेशा सुनी और देखी होंगी। बहुत बार हानिकारक रंगों के फलों में इस्तेमाल को लेकर अलर्ट भी जारी किए जाते हैं। ऐसे ही एक शख्स कच्ची लीचियों पर स्वास्थ्य के लिए हानिकारक रंग लगाकर बेचने की तैयारी कर रहा था। आर्टिफिशिअल पेंट से स्प्रे करने वाले इस फल विक्रेता का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो के साथ दावा किया जा रहा है कि यह मुंबई के पास लोनावाला की घटना है। साथ ही इस वीडियो को सांप्रदायिक रंग देकर भी शेयर किया जा रहा है। फैक्ट चेक में आइए जानते हैं कि इस वीडियो की सच्चाई क्या है?
| Updated : Mar 13 2020, 05:03 PM
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ये वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। वीडियो में एक शख्स कच्चे फलों पर बाजार के रंग लगाकर उन्हें असली और पका हुआ दिखाने की कोशिश कर रहा है। लोगों से इस वीडियो को व्यापक रुप से शेयर करने का आग्रह किया गया है ताकि फल विक्रेता की दुकान बंद की जा सके।
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मैसेज के साथ दिए गए कैप्शन में लिखा है, "लोनावला (मुंबई पुणे हाईवे पर) में आजकल लिची खूब बिकने आई हैं। खाने से पहले इस वीडिओ को देखो और आगे इतना वायरल करो के इस शख्स की दुकान दारी पूरी पुरी बंद हो जाय।
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वीडियो, फेसबुक पर कई प्रोफाइल द्वारा शेयर किया है। वीडियो में एक फल विक्रेता को अंगूर और लीची पर गहरे लाल रंग का पेंट स्प्रे करते हुए दिखाया गया है, क्योंकि लाल रंग के अंगूर की कीमत ज्यादा होती है। वीडियो में एक जगह यह कहते हुए सुना जा सकता है, "देखिए, हमें बेवकूफ बनाने के लिए कैसे इसे रंगा जा रहा है।" वह व्यक्ति फिर आगे बढ़ता है और फलों के पास रखे स्प्रे पेंट की कैन लेता है, और कहता है, "देखिए, यह कैंसर का कारण बनता है और हम इसका सेवन कर रहे हैं। क्या आप शर्मिंदा हैं? क्या आप अपने बच्चों को यही खिलाएंगे?
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अब सवाल उठता है कि, क्या ये वीडियो सच है, क्या है भारत का वीडियो है? तो हम आपको बता दें कि ये वीडियो पूरी तरह फर्जी जानकारी के साथ वायरल किया जा रहा है। फैक्ट चेकिंग में हमने, वायरल वीडियो के स्क्रीनशॉट से रिवर्स इमेज सर्च किया। हमें गूगल पर साल 2018 की कई न्यूज़ रिपोर्ट मिलीं। रिपोर्ट के अनुसार, स्थानीय फल बाजार से अंगूर का सेवन करने के बाद एक महिला बीमार हो गई थीं जिसके बाद फल बेचने वाले की हरकतों का पता चला। 9 और 10 सितंबर 2018 को पाकिस्तान की इस घटना की खबर मेट्रो, डेली मेल जैसी साइट्स ने भी छापी थीं।
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वहीं पत्रकार तनवीर मान ने 10 सितंबर, 2018 को अपनी कहानी के लिंक के साथ घटना के बारे में ट्वीट किया था। ऐसे में फैक्ट चेकिंग में मिली जानकारी के आधार पर हम कह सकते हैं कि, ये वीडियो भारत का नहीं है और इससे सांप्रदायिक रंग देना भी गलत है। ये घटना तीन साल पुरानी है और पाकिस्तान से जुड़ी है। भ्रामक जानकारी वाले इस वीडियो को शेयर करने से बचना चाहिए।