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गोबर से मौत को मात देने का खेल, बेसुध लोगों को खुद परिजन यूं कर देते हैं दफन..यह है इसका राज़

कोरबा, छत्तीसगढ़. से तस्वीरें अंधविश्वास की पराकाष्ठा हैं। यहां के लोग आकाशीय बिजली गिरने से घायल लोगों को गोबर में गाड़कर ठीक करने की कोशिश करते हैं। नतीजा, घायल तड़प-तड़पकर दम तोड़ देते हैं। छत्तीसगढ़ में अकसर ऐसे मामले सामने आते रहते हैं। नया मामला कोरबा के लेमरू इलाके के गढ़-उपरोड़ा गांव में सामने आया है। यहां 12 साल के एक बच्चे पर आकाशीय बिजली गिर पड़ी। उसके परिजन हॉस्पिटल ले जाने के बजाय उसका घर पर ही इलाज करते रहे। उसे गोबर में गाड़ दिया गया। फिर किसी चमत्कार की उम्मीद करते रहे। जब काफी देर तक उसे कोई फायदा नहीं हुआ, तब हॉस्पिटल लेकर भागे। तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। घटना रविवार की बताई जाती है। 12 वर्षीय अरुण कुमार घर के बाहर पेड़ के नीचे खेल रहा था। उस दौरान बारिश हो रही थी। तभी आकाशीय बिजली उसके ऊपर आ गिरी। बच्चा बेसुध होकर वहीं गिर पड़ा। आगे पढ़िए इन तीनों घटनाओं के बारे में और देखिए आकाशीय बिजली गिरने की कुछ तस्वीरें...

Asianet News Hindi | Published : Jul 21 2020, 10:29 AM
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पहली तस्वीर कोरबा के 12 वर्षीय अरुण की है। उसे परिजनों के अंधविश्वास के चलते अपनी जान गंवानी पड़ी। आकाशीय बिजली गिरने से घायल बच्चे को परिजनों ने गोबर का लेप लगाकर लिटाए रखा। लेकिन जब उसे होश नहीं आया...तब उसे हॉस्पिटल लेकर भागे थे। बच्चा 7वीं क्लास में था।

तीसरी तस्वीर(नीचे) छत्तीसगढ़ के ही जशपुर की है। जिले के फरसाबहार के एक गांव में बिजली गिरने से तीन लोग घायल हो गए थे। इनमें 20 वर्षीय चंपा राउत की हालत ज्यादा खराब थी। परिजन उसे घंटों गोबर में गाड़कर लिटाए रहे। बाद में हॉस्पिटल ले गए। यह घटना जून में सामन आई थी।

दूसरी तस्वीर छत्तीसगढ़ के ही अंबिकापुर जिले के रघुनाथपुर के एक गांव की है। यह मामला कुछ समय पहले सामने आया था। 12 वर्षीय अंजनी छुट्टियों में अपनी बुआ के घर आई थी। तभी बगीचे मे खेलते समय आकाशीय बिजली उसके ऊपर गिर पड़ी थी। परिजनों ने उसे गोबर में गाड़ दिया। लेकिन उसकी मौत हो चुकी थी। आगे देखिए आकाशीय बिजली गिरने की कुछ तस्वीरें...

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जून में पूर्वी भारत में आकाशीय बिजली की चपेट में आने से 107 लोगों की मौत हो गई थी। बता दें कि जून से सितंबर तक के महीने में बिजली गिरने की घटनाएं ज्यादा होती हैं। मौसम विभाग के अनुमान के हिसाब से आकाश में रोज 44,000 बार बिजली कड़कती है। लेकिन हर बार यह घातक नहीं होती। आकाश से यह बिजली 22,400 किमी/प्रति घंटे की रफ्तार से गिरती है। दरअसल, जब बादल आसमान में काफी ऊंचाई पर मौजूद होते हैं, तब वहां तापमान बहुत कम होता है। इसी बीच बादलों में आधे जमे पानी के कणों में धनात्मक और ऋणात्मक चार्ज पैदा हो जाता है। जब कण आपस में टकराते हैं, तो चिंगारी पैदा होती है। यह बिजली कड़कना कहलाता है। आसमान में हर सेकंड 2000 बार तक गर्जना पैदा होती है। यह तस्वीर मुंबई की है। तारीख 27 सितंबर, 2018।

आगे पढ़िए..कैसे बचें आकाशीय बिजली के खतरे से और देखें कुछ हैरान करने वाली तस्वीरें..
 

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 यह तस्वीर 6 अप्रैल, 2018 की है। जगह नई दिल्ली।

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 यह तस्वीर 17 अप्रैल, 2020 की है। जगह नई दिल्ली।

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यह तस्वीर 1 जून, 2015 की है। जगह नई दिल्ली।

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यह तस्वीर श्रीनगर की है। तारीख 15 अगस्त, 2016।

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यह तस्वीर जयपुर की है। तारीख 19 मई, 2017

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यह तस्वीर नई दिल्ली के कनॉट प्लेस की है। तारीख 6 जुलाई, 2012।

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यह तस्वीर इंग्लैंड की है। तारीख 21 जुलाई, 2013।
 

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 यह तस्वीर अमृतसर की है। स्वर्ण मंदिर के ऊपर से गरजती बिजली। 29 अप्रैल, 2012।

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