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शॉकिंग स्टोरी: परिजनों को न पहुंचे सदमा..इसलिए एक लाश के लिए अलग-अलग कब्रिस्तानों में खुदवाई गईं 4 कब्रें

भिलाई, छत्तीसगढ़. लाजिमी है कि जब तक कोरोना संक्रमण की कोई दवा/वैक्सीन सामने नहीं आती, लोगों में डर बना रहेगा। हालांकि सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और साफ-सफाई का ध्यान रखकर संक्रमण से खुद को बचाया जा सकता है। खैर, कोरोना को लेकर लोग कितने डरे हुए हैं, यह मामला इसी का उदाहरण है। परिजनों को कोई दिक्कत न हो, इसलिए पुलिस ने एक शख्स की मौत के बाद अलग-अलग जगहों पर चार कब्रें खुदवा दीं। ताकि जहां परिजनों को सहूलियत हो..वो लाश को दफना सकें। अगर, परिजन लाश दफनाने को राजी न भी हों, तो पुलिस अपनी सहूलियत से उसका अंतिम संस्कार कर सके। मामला पश्चिम बंगाल से लौटे मजदूर अबू बकर शेख की कोरोना से मौत से जुड़ा हुआ है। आखिर में उसे जामुल-नंदिनी रोड स्थित कब्रिस्तान में दफनाया गया। इस मौके पर मृतक के ताऊ का बेटा और तीन दोस्त मौजूद थे। लेकिन वे इतने डरे हुए थे कि पीछे हट रहे थे। पुलिस की समझाइश पर वे मुस्लिम रीति-रिवाजों से मृतक की कब्र पर मिट्टी डालने को राजी हुए। बता दें कि पुलिस ने यहां के अलावा रामनगर डंपिंग यार्ड, जामुल और चरोदा स्थित मुक्तिधाम में कब्र खुदवाकर रखी थीं।

Asianet News Hindi | Published : May 29 2020, 11:13 AM
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सीएसपी विश्वास चंद्राकर के मुताबिक, अबू बकर की कुछ दिन पहले मौत हो गई थी। उसकी लाश जीआरपी चरोदा को मिली थी। मंगलवार शाम उसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आई। दरअसल, अलग-अलग जगहों पर 4 कब्रें इसलिए खुदवाई गई थीं, ताकि परिजनों को परेशानी न हो। वहीं, अगर परिजन अंतिम क्रिया करने से मना करें, तो पुलिस अपनी सुविधा से लाश को दफना सके। आगे देखिए अलग-अलग जगहों पर लॉकडाउन की स्थितियां..

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यह तस्वीर प्रयागराज की है। घर वापसी के लिए गाड़ी के इंतजार में बैठी मां अपने बच्चे को गर्मी से निजात दिलाने हवा करते हुए।

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यह तस्वीर नई दिल्ली की है। संक्रमण से बचने टैक्सी ड्राइवरों ने यह तरीका अपनाया है।

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यह तस्वीर मुंबई की है। प्रवासी मजदूरों की घर वापसी अभी भी जारी है।

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यह तस्वीर यूपी के प्रयागराज की है। घर वापसी के लिए गाड़ी के इंतजार में बैठी प्रवासी मां और उसके बच्चे।

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यह तस्वीर जयपुर की है। प्रवासी मजदूरों की घर वापसी से पहले उनके सैम्पल लिए गए।

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