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पुण्यतिथि: Vinod Khanna ने इस वजह सिनेमा को अलविदा कह लिया था संन्यास, जानें उनके बारे में कुछ अनकही कहानियां
मुंबई. बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता विनोद खन्ना (vinod khanna) की आज पुण्यतिथी है। 27 अप्रैल 2017 को एक्टर ने अंतिम सांसें ली थी। 6 अक्टूबर 1946 को पाकिस्तान के पेशावर में जन्में एक्टर की आखिरी ख्वाहिश अधूरी रह गई थी। वो पाकिस्तान स्थित अपना पुश्तैनी मकान देखना चाहते थे। लेकिन वो पूरी नहीं हो पाई। आइए उनके पुण्यतिथी पर जानते हैं उनके बारे में कुछ अनकही कहानियां..
| Published : Apr 27 2022, 07:33 AM IST
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विनोद खन्ना बॉलीवुड को ढरों सुपरहिट मूवी देकर खुद को अमर कर गए। बेहतरीन पर्सनालिटी के मालिक विनोद खन्ना को आखिरी वक्त में देखकर कोई पहचान नहीं सकता था कि वो वहीं हैं। ब्लड कैंसर से पीड़ित एक्टर अपने परिवार के खातिर इसे लाइलाज बीमारी को छुपाकर रखा।
एक्टर को छह साल पहले ही पता चल गया था कि उन्हें कैंसर हैं। सफल एक्टर और पॉलिटिशन रहने के बाद भी वो इसे ठीक करने के लिए शुरुआत में कुछ नहीं कर पाए। इसके पीछे वजह उनकी बेटी रहीं। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो उस वक्त उनकी बेटी का महत्वपूर्ण परीक्षा चल रही थी जिसकी वजह से उन्होंने अपने खतरनाक बीमारी के बारे में किसी को नहीं बताया।
इसके बाद उनकी बीमारी का इलाज छह साल जर्मनी में चला। वहां उनकी सर्जरी भी हुई, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सकात। कहा जाता है कि वो आखिरी वक्त में पाकिस्तान के पेशावर स्थित अपने पुश्तैनी घर को देखना चाहते थे। लेकिन ये इच्छा पूरी नहीं हो पाई।
विनोद खन्ना जब अपने सफल करियर को छोड़कर संन्यासी बनने का फैसला किए तो हर कोई हैरान रह गया था। हैंडसम हीरो के पास दौलत, शोहरत और परिवार सबकुछ था। लेकिन मन में बेचैनी थी खुद को जानने की, पढ़ने की।
इस दौरान उनकी मुलाकात साल 1975 में ओशो यानी आचार्य रजनीश से मुलाकात की। ओशो से विनोद खन्ना इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने 1982 में फिल्मी सफर छोड़ने का ऐलान किया। वो रजनीश के आश्रम में संन्यासी बन गए।
बताया जाता है कि वो ओशो के साथ अमेरिका चले गए। वहां आश्रम में वो माली से लेकर टॉयलेट साफ करने का काम किया करते थे।
अपने सफल करियर में उन्होंने कई बेहतरीन मूवी दी।1968 में आई सुनील दत्त की फिल्म 'मन का मीत' में पहली बार उन्हें अभिनय करने का मौका मिला। इस फिल्म में वो खलनायक की भूमिका में दिखाई दीं। इसके बाद वो'आन मिलो सजना', 'पूरब और पश्चिम', 'सच्चा झूठा',,मेरा गांव मेरा देश' और 'मस्ताना' जैसी फिल्मों में विलेन का किरदार निभाया।
1971 में आई फिल्म 'हम तुम और वो' में विनोद को बतौर मुख्य अभिनेता अभिनय करने का मौका मिला। मैं तुलसी तेरे आँगन की, जेल यात्रा, ताकत, दौलत, हेरा-फेरी,अमर अकबर अन्थोनी ,द बर्निंग ट्रैन,खून-पसीना मूवी में वो नायक की भूमिका में नजर आए।
1971 में विनोद खन्ना ने गीतांजलि से शादी कर ली। इनके दो बच्चे अक्षय खन्ना और राहुल खन्ना हुए। अक्षय खन्ना बतौर एक्टर इंडस्ट्री में कदम रखे। वहीं राहुल खन्ना वीजे के रूप में पहचान बनाई। हालांकि एक्टिंग में उन्होंने भी अपना हुनर दिखाने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हो पाए।
इसके बाद विनोद खन्ना का दिल 16 साल छोटी कविता के लिए धड़का। उन्होंने उनसे भी शादी कर ली।इस शादी से उनकी एक बेटी श्रद्धा खन्ना और एक बेटा हुआ। कहा जाता है कि आखिरी वक्त में इनके साथ कविता ही रहीं।