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सैफ अली खान को बीजेपी नेता ने लगाई लताड़, बोली जिसे लोग क्रूर मानते है उसी पर रखा बेटे का नाम

मुंबई. सैफ अली खान ने अपनी फिल्म 'तान्हाजी: द अनसंग वॉरियर' के लिए कहा कि इसमें इतिहास के तथ्यों को लेकर की गई छेड़छाड़ खतरनाक है। सैफ ने कहा- मेरा मानना है कि इंडिया की अवधारणा अंग्रेजों ने दी और शायद इससे पहले नहीं थी। सैफ अपने इस बयान के बाद लगातार ट्रोल हो रहे हैं। तारिक फतेह के बाद अब बीजेपी नेता मीनाक्षी लेखी ने सैफ पर निशाना सादा है और सैफ को जमकर लताड़  लगाई।

Asianet News Hindi | Updated : Jan 25 2020, 09:09 AM
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मीनाक्षी लेखी ने ट्वीट करते हुए लिखा- 'तुर्क भी तैमूर को क्रूर मानते थे लेकिन कुछ लोग अपने बच्चों का नाम तैमूर के नाम पर रखते हैं।' बता दें तैमूर के नाम को लेकर विवाद पहली बार नहीं है। इससे पहले भी उनके नाम को लेकर सवाल उठ चुके हैं।
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बता दें कि तैमूर लंग एक तुर्क शासक था। तैमूर ने 14वीं सदी में दिल्ली और कश्मीर में जमकर लूटपाट की थी। तैमूर के लिए लूट और कत्लेआम मामूली बात थीं। लेकिन करीना ने नाम को लेकर उठे विरोध के बाद कहा था- मुझे इस नाम का मतलब पंसद आया इसलिए मैंने अपने बेटे का नाम तैमूर रखा।
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मीनाक्षी लेखी से पहले तारिक फतेह ने सैफ को ट्रोल करते हुए कहा था- बॉलीवुड में इतिहास के जानकार #SaifAliKhan का दावा है कि "अंग्रेजों के आने तक" भारत की कोई अवधारणा नहीं थी। बिल्कुल सही। फ्रैंच ईस्ट इंडिया कंपनी चीन के बारे में थी और वास्को डी गामा इंडिया नहीं फिजी गए थे। आखिरी बार इतिहास से प्रेरित होकर उन्होंने बेटे का नाम तैमूर रखा था।
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सैफ ने इंटरव्यू में कहा था कि 'तान्हाजी : द अनसंग वॉरियर' जैसी फिल्मों में ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ करना खतरनाक है। एक्टर के मुताबिक, वे यह जानते थे कि फिल्म में राजनीतिक नजरिए से तथ्यात्मक बदलाव किए गए हैं, जो कि सही नहीं है, लेकिन बावजूद इसके सैफ ने ये फिल्म की, क्योंकि उन्हें उदयभान राठौड़ का किरदार काफी आकर्षक लगा था। सैफ कहते हैं कि वो किसी वजह से इस छेड़छाड़ के खिलाफ नहीं जा सके और शायद आगे ऐसा कर सकेंगे। फिल्म को देखने के बाद लोगों को लग रहा है कि ये इतिहास है। लेकिन हकीकत में सच ये नहीं है। क्योंकि उनका कहना था कि वो इतिहास के बारे में वो बखूबी जानते हैं।
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इंटरव्यू में सैफ से पूछा गया कि क्या फिल्म इंडस्ट्री में ध्रुवीकरण बढ़ा है? इस पर उन्होंने कहा कि हां ये हुआ है। उन्हें लगता है कि ये 1947 में पाकिस्तान के निर्माण के साथ ही शुरू हो गया था। विभाजन के बाद उनके कुछ रिश्तेदार पाकिस्तान ये सोचकर चले गए थे कि शायद यह देश आगे धर्म निरपेक्ष नहीं रहेगा। कुछ ये सोचकर भारत में ही रुक गए कि देश धर्मनिरपेक्ष रहेगा, लेकिन आज चीजें जिस दिशा में आगे बढ़ रही हैं, वह देख लगता है देश शायद धर्मनिरपेक्ष न रहे।
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