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गर्लफ्रेंड के प्यार में पागल Irrfan Khan मुस्लिम से हिंदू तक बनने को थे तैयार, फिर 1 फैसले से बदला सबकुछ
मुंबई. अपनी शानदार एक्टिंग के लिए पहचाने जाने वाले इरफान खान (Irrfan Khan) की आज यानी गुरुवार को पहली डेथ एनिवर्सरी है। उनका निधन 53 की उम्र में 29 अप्रैल, 2020 को मुंबई में हुआ था। कोलन इंफेक्शन की वजह से इरफान को मुंबई के कोकिलाबेन अस्पताल के आईसीयू में एडमिट कराया गया था। और फिर उन्होंने दुनिया को अलविद कह दिया। वैसे इरफान खान ने कई यादगार फिल्मों में काम किया। वर्सेटाइल एक्टर पर्दे पर भले ही सीरियस एक्टिंग से दर्शकों को अपना दीवाना बना लेता था, लेकिन वे काफी रूमानी किस्म के इंसान थे। इरफान और उनकी पत्नी सुतापा सिकदर (Sutapa Sikdar) की लव स्टोरी दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के दौरान शुरू हुई थी। बताया जाता है कि वे सुतापा से शादी करने के लिए वे हिंदू धर्म अपनाने के लिए तैयार थे।
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एक्टिंग की बारीकियां सीखने के दौरान कब वे असम की सुतापा सिकदर को दिल दे बैठे पता ही नहीं चला। उस दौर में लोग लिव-इन रिलेशनशिप के बारे में बात भी नहीं करते थे।
बिना शादी के साथ रहते इरफान और सुतापा की जिंदगी में जब तीसरे की आहट हुई तो उन्होंने अपने एक कमरे के घर को छोड़कर दो कमरों का घर लेने की सोची। नया घर लेने वे जहां जाते वहां पूछा जाता - आप शादीशुदा हैं? और नहीं बोलने पर घर भी नहीं मिलता था। इसके बाद दोनों ने 1996 में शादी करने का फैसला किया।
इरफान ने सुतापा से कहा था कि अगर उनके परिवार वाले चाहें तो मैं हिंदू धर्म अपनाने को तैयार हूं। लेकिन इसकी जरूरत नहीं पड़ी। सुतापा के परिवार ने उन्हें वैसे ही अपना लिया।
इरफान ने एक इंटरव्यू में कहा था कि उनकी पत्नी उनके काम पर बारीकी से नजर रखती है। अगर सुतापा नहीं होतीं तो मेरे पास न हॉलीवुड का काम होता और न ही खुद का मकान।
सुतापा ने एक इंटरव्यू में कहा था- पर्दे पर सीरियस दिखने वाले और अपने काम से काम रखने वाले इरफान, असल जिंदगी में बहुत मजाकिया थे। साथ ही वह अपने दोनों बेटों अयान और बाबिल के लिए 'दुनिया के सर्वश्रेष्ठ पिता' हैं।
सुतापा ने कहा था- वह अपने बच्चों की सोच को समझने के साथ उनकी परवरिश पर भी खास ध्यान देते हैं। इरफान ने कहा था- "जब मेरे पास काम नहीं था, तब सुतापा ने घर चलाया। मैं जो कुछ भी हूं, वो सुतापा की वजह से हूं।"
इरफान इस्लाम और और धर्म की कट्टरता को लेकर हमेशा बेबाक बयान देते थे। एक बार उन्होंने कुर्बानी से जुड़ा बयान बवाल मचा दिया था। इस्लामिक धर्मगुरुओं ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। धर्मगुरुओं ने इरफान को अपना काम पर ध्यान लगाने और धार्मिक मामलों में ना पड़ने की सलाह दी है। हालांकि इरफान का कहना था कि वह धर्मगुरुओं से डरने वाले नहीं हैं। वह ऐसे देश में नहीं रहते जिसे धर्म के ठेकेदार चलाते हैं।
उन्होंने 1988 में आई फिल्म सलाम बॉम्बे से अपने फिल्मी करियर की शुरुआत की थी। पर इस फिल्म में उनका रोल काट दिया गया था। उनकी लंबाई को लेकर ये बात कही गई। उन्होंने करियर की शुरुआत में चाणक्य, भारत की खोज, सारा जहां हमारा, बनेगी अपनी बात, चंद्रकांता, श्रीकांत जैसे टीवी सीरियल्स में छोटे-मोटे रोल किए थे।
उन्होंने एक डॉक्टर की मौत, पिता, कसूर, गुनाह, हासिल, मकबूल, चेहरा, चॉकलेट, संडे, क्रेजी 4, बिल्लू 7 खून माफ, द लंचबॉक्स, गुंडे, हैदर, पीकू, जज्बा, मदारी, अंग्रेजी मीडियम जैसी फिल्मों में काम किया था।