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Women's Day: ड्राइवर की बेटी बनी असिस्टेंट लोको पायलट, जल्द लोहे की पटरियों पर दौड़ाएगी ट्रेन
पालमपुर. महिलाओं के सम्मान और समाज में उनके योगदान के लिए हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (International women's day 2020) मनाया जाता है। महिलाओं ने आज हर उस क्षेत्र में अपनी पहुंच बना ली है जहां पुरुषों का दबदबा कायम था। महिलाओं का जज्बा और जुनून ही है कि वो आज लोहे की पटरियों पर रेलगाड़ी भी दौड़ा सकती हैं। ऐसे ही एक लड़की ने भारतीय रेलवे में असिस्टेंट लोको पायलट बन इतिहास रच दिया है। पालमपुर में एक रिटायर ड्राइवर की बेटी जल्द ही लोको पायलट बन रेलवे ट्रैक पर ट्रेन दौड़ाती हुई नज़र आएगी। बुलंद हौसलों से ट्रेन चालक बनी इस लड़की का नाम किरण बाला है। इस महिला दिवस 2020 हम आपको किरण के संघर्ष की कहानी सुना रहे हैं।
| Published : Mar 07 2020, 04:29 PM IST / Updated: Mar 07 2020, 04:42 PM IST
Women's Day: ड्राइवर की बेटी बनी असिस्टेंट लोको पायलट, जल्द लोहे की पटरियों पर दौड़ाएगी ट्रेन
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हिमाचल प्रदेश के पालमपुर की रहने वाली किरण बाला ने बता दिया कि सपने कितने खास होते हैं। वो प्रदेश की पहली ऐसी लड़की हैं जो जल्द ही रेलगाड़ी दौड़ाने वाली हैं। पिता पेशे से ड्राइवर हैं लेकिन बेटी कई कदम आगे निकल गई। रेलवे में किरण की तैनाती असिस्टेंट लोको पायलट के पद पर हुई। वो फिलहाल कानपुर स्थित रेलवे डिवीजन में ट्रेनिंग ले रही हैं।
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किरण की इस उपलब्धि के बाद उनके गांव मसेरना में खुशी की लहर दौड़ गई। किरण की इस उपलब्धि पर उनके पिता खुशी से गदगद हैं। महिला दिवस पर किरण की कहानी अचानक सामने आई है। वो रेलगाड़ी चलाना सीख रही हैं। सोशल मीडिया पर उनकी तस्वीरें छाई हुई हैं। सभी लोग महिला पायलट को दिल से सैल्यूट कर रहे हैं।
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गौरतलब है कि किरण के पिता राजेन्द्र कुमार भी सरकारी विभाग से चालक पद पर रिटायर हुए हैं। कानपुर में जारी किरण का प्रशिक्षण 24 मार्च तक पूरा हो जाएगा। प्रशिक्षण पूरा करने के बाद किरण प्रदेश की ऐसी पहली महिला एएलपी होंगी, जो पूर्ण रूप से ट्रेन ड्राइवर के रूप में अपनी सेवाएं देंगी।
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पिता के अनुसार किरण शुरू से ही होनहार रही हैं और वे अपने भविष्य में कुछ बड़ा करना चाहती थीं। गौरतलब है कि रेलवे में अब महिला लोको पायलट की संख्या में भी इजाफा हो रहा है, साथ ही इस पद के लिए बड़ी संख्या में लड़कियां आवेदन भी कर रही हैं। पिता कहते हैं, बेटी ने पहले डिप्लोमा किया फिर पंजाब से बीटेक कर लौटी। घर के हालात हालांकि सही नहीं थे लेकिन उनके मैंने उसे पढ़ने के लिए हमेशा प्रेरित ही किया। इसके बाद किरण ने रेलवे की नौकरी के लिए फार्म भरा। सेलेक्शन हुआ। इंटरव्यू भी क्लीयर हुआ।
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बता दें कि, पहाड़ों में ड्राइवरी को एक खतरनाक पेशा माना जाता है। आपको हो सकता है कि यहां की वादियां लुभाती हों, लेकिन गाड़ी चलाने वाले ड्राइवरों से पूछो खतरे मोड़-मोड़ पर हैं यहां। पर किरण ने पायलट ही बनने की ठानी। उनका सेलेक्शन हिमाचल की पहली असिस्टेंट लोको पायलट के तौर पर हुआ यानी वो प्रदेश की पहली ऐसी लड़की हैं जो रेलगाड़ी दौड़ाने वाली हैं। बहरहाल किरण की ट्रेनिंग 25 मार्च को खत्म हो जाएगी। इसके बाद वो पटरियों पर ट्रेन दौड़ाएंगी। देश की इस हिम्मती बेटी को लोग सलाम कर रहे हैं। (प्रतीकात्मक तस्वीर)