- Home
- Career
- Education
- पटरियों की मरम्मत करने वाला मजदूर बना IPS अफसर, गरीब मां-बाप ने दूसरों के खेतों में काम कर बेटे को पढ़ाया था
पटरियों की मरम्मत करने वाला मजदूर बना IPS अफसर, गरीब मां-बाप ने दूसरों के खेतों में काम कर बेटे को पढ़ाया था
करियर डेस्क. गांवों में गरीब बच्चे सुविधाओं के अभाव में भी बड़े कारनामे कर जाते हैं। पैसों की कमी से गांव के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बहुत से बच्चे आगे की पढ़ाई नहीं कर पाते। उनकी पढ़ाई छूट जाती है। लड़कियों के लिए हालात और बदतर हैं। ऐसे ही राजस्थान में एक किसान का बेटा गरीबी में पला-बढ़ा, उनके पास शहर में पढ़ाने को पैसे नहीं थे। पर आप यकीन नहीं करेंगे आज वहीं गरीब लड़का पुलिस अधिकारी है। अपनी मेहनत के बलबूते उसने ये पद और सम्मान हासिल किया है। IAS-IPS की सक्सेज में आज हम बात करेंगे राजस्थान प्रहलाद मीणा की कहानी सुना रहे हैं। एक समय में मीणा रेलवे में गैंगमैन की छोटी सी नौकरी करते थे। लेकिन उन्होंने एक सराकारी नौकरी पाने पर तसल्ली नहीं की। उन्होंने बड़े सपने देखे और IPS अफसर बने लेकिन यहां तक पहुंचने उन्हें बहुत संघर्ष करना पड़ा। इतना ही नहीं अफसर बनने के सपने को पूरा करने उन्होंने कई सरकारी नौकरी छोड़ दी थीं-
| Published : Dec 30 2020, 08:15 PM IST / Updated: Dec 31 2020, 11:58 AM IST
- FB
- TW
- Linkdin
प्रहलाद सहाय मीना मेहनत और कामयाबी की मिसाल हैं। इन्होंने वो कमाल कर दिखाया जो इनके आस-पास के गांवों में कोई नहीं कर सका। 6 बार सरकारी नौकरी लगे। 5 बार सिर्फ इसलिए छोड़ दी कि भारतीय पुलिस सेवा का अफसर बनने का लक्ष्य था।
प्रहलाद राजस्थान के दौसा ज़िले के एक गांव में पैदा हुए। वो काफी ग़रीबी में पले-बढ़े हैं। लेकिन पढ़ाई को लेकर बहुत जागरुक थे। अपने संघर्, की कहानी वो खुद सुनाते हैं। वो बताते हैं- मैं एक छोटे से गांव आभानेरी (रामगढ़ पचवारा) से हूं। ग्रामीण किसान परिवार से ताल्लुक रखता हूं। हमारे पास दो बीघा जमीन थी, जिसमें घर चला पाना मुश्किल था तो मां-पिताजी दूसरों के खेतों में बंटाई (हिस्सेदारी) में खेती करके परिवार को चलाते थे।
हमारे क्षेत्र में शिक्षा के प्रति जागरूकता का अभाव था। मैं पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहा फिर भी यह मुकाम तय करने का सपने में भी नहीं सोचा था। मैंने अपनी 12वीं तक की पढ़ाई सरकारी स्कूल से ही की है। 10वीं में मैं स्कूल में टॉपर था। मेरा भी मन था और कई लोगों ने कहा कि मुझे साइंस विषय लेना चाहिए। मैं भी इंजीनियर बनने का सपना देखता था लेकिन, परिवार वालों की स्थिति ऐसी नहीं थी कि वह मुझे बाहर पढ़ा सके और खर्चा उठा सके।
प्रहलाद कहते हैं मेरी सफलता का कारण मेरे माता पिता का त्याग है। उन्होंने जयपुर के राजस्थान कॉलेज में मुझे खर्चों में कटौती करके एडमिशन दिलावाया था। वहां मेरी ऐसे अच्छे अच्छे दोस्तों से जानकारी हुई और मुझे विश्वास हो गया कि शायद सिविल सेवा में नहीं तो, पर मैं एक अच्छी नौकरी जरूर पा लूंगा। मिडिल क्लास भी नहीं गरीब परिवार से वास्ता रखते हुए, मेरे लिए एक अच्छी नौकरी खोजना बहुत जरूरी था।
हमारे गांव से एक लड़के का चयन भारतीय रेलवे में ग्रुप डी (गैंगमैन) में हुआ था। उस समय मैंने भी इसी नौकरी को पाने की ठान ली और तैयारी करने लग गया। बीए सेकंड ईयर 2008 में मेरा भारतीय रेलवे में भुवनेश्वर बोर्ड से गैंगमैन के पद पर चयन हो गया था।
सरकारी नौकरी के बाद भी मैंने अपनी पढ़ाई जारी रखी। उसी साल मेरा चयन भारतीय स्टेट बैंक में सहायक (LDC) के पद पर हुआ। वहां नौकरी के साथ मेंने बी. ए. किया तथा आगे की पढ़ाई जारी रखी, 2010 में मेरा चयन भारतीय स्टेट बैंक में परीवीक्षाधीन अधिकारी के पद पर हो गया था।
मैंने SSC द्वारा आयोजित होने वाली संयुक्त स्नातक स्तरीय परीक्षा दी तथा उसमें मुझे रेलवे मंत्रालय में सहायक अनुभाग अधिकारी के पद पर पदस्थापन मिला। अब दिल्ली से मैं घर की सभी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रहा था और उस के साथ ही मेंने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी भी शुरू कर दी थी। हालांकि यूपीएससी में उन्हें तीन बार असफलता भी मिली, मगर मेहनत करना नहीं छोड़ा।
वो कहते हैं कि मेरी इच्छा थी कि बस, एक बार सिविल सेवा परीक्षा पास ही करनी है और दुनिया को दिखाना है कि मैं भी यह कर सकता हूं। मेरे जैसे जो ग्रामीण क्षेत्र से आने वाले बच्चों को मेरी सफलता से आत्मविशवास मिलेगा कि वो भी सिविल सर्विस में जाकर अधिकारी बन सकते हैं।
नतीजा हम सबके सामने है। प्रहलाद बताते हैं कि वे अपने परिवार और गांव से पहले आईपीएस (IPS) हैं। खास बात है कि गैंगमैन के रूप में ये ओडिशा में पटरियों की देखभाल व मरम्मत करते थे।