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बच्चे की देखभाल के साथ पढ़ाई करके अफसर बनी एक मां...IAS बनने ममता से नहीं किया कोई समझौता
गुरूग्राम. पूरे देश में 10 मई रविवार को मदर्स डे (Mother's Day) मनाया जाएगा। मां के त्याग, संघर्ष और उसकी किए गए हर छोटे-बड़े काम जिससे हमारी जिंदगी आसान बनी हो उसे सलाम करने का ये दिन है। मां की ममता और जज्बे को भी सैल्यूट करने के लिए मदर्स डे मनाया जाता है। कहते हैं जब एक औरत मां बनती है तो उसकी जान उसके बच्चे में ही बस जाती है। बच्चे को कोई नाखून भी लगा दे तो मां का कलेजा जल उठता है। मां बनने के बाद औरत की दुनिया जैसे सिमट जाती है वो बच्चे के अलावा कुछ और नहीं सोच पाती। बच्चे की भूख, खेल, नींद, शरारतें वो इन सबमें सुकून पाती है।
पर हरियाणा के एक गांव में एक मां ने ममता के साथ-साथ अपने अफसर बनने के सपने को भी बराबर समय दिया। उसने अफसर की कुर्सी के लिए बच्चे को खुद से दूर नहीं किया बल्कि उसकी देखभाल और परवरिश के साथ पढ़ाई करने की ठानी। ये फैसला किसी चैलेंज से कम नहीं था। इस चैलेंज को पार कर घर, परिवार, बच्चे पति और पढ़ाई की जिम्मेदारी बखूबी निभाकर वो अफसर बनी।
मदर्स डे (Mother's Day 2020) पर हम आपको मां के रूप में योद्धा जैसी इन अफसरों की कहानी सुना रहे हैं।
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बच्चे की जिम्मेदारी निभाते हुए UPSC एग्जाम क्लियर करने वाली इस हाउस वाइफ की सक्सेज स्टोरी आपको सोचने पर मजबूर कर सकती है। मां के रूप में औरत कैसे सारी मुसिबतों को अकेले झेल लेती है। ये कहानी है पुष्पा लता की।
पुष्पा का जन्मस्थान हरियाणा के रेवाड़ी जिला है। वह गांव में ही पली बढ़ी और पढ़ाई की। उनके गांव में स्कूल अच्छे नहीं थे तो वह अकंल के घर रहकर पढ़ीं। बीसीएसी के बाद उन्होंने एमबीए किया। फिर उन्होंने बैंक ऑफ हैदराबाद में नौकरी की। 2011 में शादी के बाद वो मानेसर आ गईं यहां से उन्होंने यूपीएससी एग्जाम की सोची। उनके डॉक्टर पति ने भी उन्हें सपोर्ट किया।
साल 2017 में UPSC सिविल सर्विस एग्जाम में ऑल इंडिया 80वीं रैंक हासिल करने वाली पुष्पा लता ने हाउस वाइफ होने के बावजूद कड़ी मेहनत से ये मुकाम हासिल किया। पुष्पा का संघर्ष भी कम नहीं रहा है एक तरफ उन्हें बच्चे, ससुराल पति और परिवार संभालना था तो दूसरी तरफ अफसर बनने के अपने सपने की तैयारी भी करनी थी।
पुष्पा की शादी काफी यंग एज में हो गई थी। शादीशुदा ज़िंदगी में वो घर संभालने में लगी रहती थीं। शादी के बाद जैसा की औरतों को रिश्तेदारों से वही टिपिकल तानें सुनने को मिलते हैं कि औरतें पति के कपड़े धोने, घर संभालने के लिए होती हैं, वो घर और किचन ही संभाले, बच्चों को पालना ही उनका फर्ज होता है। गांव में ये सब पुष्पा ने भी खूब सुना था, पर उन्होंने इन सारे तानों की हवा उड़ा दी। उन्होंने ठान लिया वो एक दिन जरूर कुछ धमाका करेंगी।
शादी के बाद उनका बच्चा भी हुआ। वे मां बनी तो सारी दुनिया बच्चे के इर्द-गिर्द ही हो गई। ससुराल पति, बच्चे जैसी जिम्मेदारी में घिरी पुष्पा पहले भी नौकरी कर रही थीं। पुष्पा, स्टेट बैंक ऑफ हैदराबाद में असिस्टेंट मैनेजर थीं। पर पुष्पा के इरादे चट्टान जैसे मजबूत थे, उन्होंने बेटे की देखभाल के साथ-साथ पढ़ाई जारी रखी। यूपीएससी की तैयारी के लिए उन्होंने 2015 में नौकरी से इस्तीफा दिया और तभी से सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी शुरू की। इस तरह वो दोनों काम बेटे की देखभाल और पढ़ाई एक साथ करने लगीं।
पुष्पा का डेली रूटीन काफी मुश्किल था। सुबह उठना खाना, घर के सैकड़ों काम और छोटे बच्चे की जिज और देखभाल। ये सब वो अकेले करती रहीं और समय निकालकर किताबें हाथ में ले लेती थीं। उन्होंने UPSC सिविल सर्विस एग्जाम को क्रैक करने के अपने ख्वाब को सच कर दिखाया। उन्होंने एक बार फिर इस मिसाल को तजुर्बे में बदल दिया कि कड़ी मेहनत, समर्पण और दृढ़ता के साथ किसी भी लक्ष्य को पाया जा सकता है।
उन्होंने एग्जाम की तैयारी में कोचिंग नहीं ली। वो इसलिए क्योंकि वो बेटे को अकेले नहीं छोड़ना चाहती थीं। तैयारी के दिनों में उन्हें बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, लेकिन फिर भी उन्होंने समय निकाला और एक दिन में 10 से 12 घंटे पढ़ाई की। पुष्पा हमेशा से इस बात में विश्वास करती थी, यदि आत्मविश्वास के साथ कुछ चाहो, तो निश्चित रूप से पाया जाता है।
उनके आईएएस अफसर बनने के बाद परिवार में खुशी की लहर दौड़ गई थी। अपनी सफलता और मेहनत से पुष्पा ने औरतों को कमतर आंकने वालों को भी आइना दिखाया। साथ ही ममता से समझौता न करने की मिसाल भी पेश की।