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  • ये हैं देश के सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे नेता, कोई हार्वर्ड से पढ़ा तो किसी की खतरनाक अंग्रेजी पर होता है जमकर बवाल

ये हैं देश के सबसे ज्यादा पढ़े-लिखे नेता, कोई हार्वर्ड से पढ़ा तो किसी की खतरनाक अंग्रेजी पर होता है जमकर बवाल

करियर डेस्क. Most Educated Politicians: भारत में नेताओं को लेकर ज्यातर अंगूठा छाप शख्स वाली इमेज रही है। पर राजनीति में ऐसे भी कई नेता रहे हैं जो हाई एडुकेटेड थे। इतने पढ़े-लिखे कि उनके पास विदेशों की भी डिग्रियां थीं। ऐसे ही इस समय राजस्थान में इन दिनों सियासी पारा हाई चल रहा है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति चरम पर है। हाल ही में अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर निशाना साधते हुए कहा था कि अच्छी अंग्रेजी बोलना, अच्छी बाइट देना और हैंडसम होना सब कुछ नहीं होता है। देश में खासकर के सोशल मीडिया पर पढ़े-लिखे और अंग्रेजी बोलने वाले नेताओं को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। आज हम कुछ ऐसे ही भारतीय राजनेताओं के बारे में बता रहे हैं, जिन्होंने विदेशों में पढ़ाई की, ऊंची डिग्री हासिल की और पॉलिटिक्स में भी नाम कमाया। 

Asianet News Hindi | Updated : Jul 21 2020, 01:27 PM
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इस लिस्ट में एक ऐसे नेता भी शामिल हैं जिनकी अंग्रेजी कई बार नेशनल लेवल का सवाल बन जाती हैं। कुछ युवा नेता विदेश में पढ़कर करियर बनाने वाले थे लेकिन किस्मत उन्हें नेतागिरी में ले आई। 

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1. सचिन पायलट : 

 

सचिन पायलट बेहद पढ़े-लिखे युवा और तेज-तर्रार नेताओं में शुमार किए जाते हैं। इन दिनों में राजस्थान में मचे सियासी घमासान के बीच वे चर्चा में हैं। हाल ही में उन्हें डिप्टी सीएम और राजस्थान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष के पद से हटा दिया गया है। वे दिवंगत नेता राजेश पायलट के पुत्र हैं। 7 सिंतबर 1977 को यूपी के सहारनपुर में जन्मे पायलट की शुरुआती पढ़ाई दिल्ली के एयर फोर्स बाल भारती स्कूल में हुई। 

 

उसके बाद उन्होंने सेंट स्टीफेंस कॉलेज (दिल्ली विश्वविद्यालय) से अंग्रेजी साहित्य में बैचलर किया। इसके बाद आईएमटी गाजियाबाद से मार्केटिंग में डिप्लोमा हासिल किया। सचिन पायलट इसके बाद अमेरिका चले गए और वहां पेन्सिल्वेनिया यूनिवर्सिटी के व्हार्टन बिजनेस स्कूल से एमबीए किया। इसके साथ ही पायलट ने दिल्ली में ही पहले बीबीसी और फिर एक अमेरिकन मल्टीनेशनल कंपनी जनरल मोटर्स में दो साल काम किया।

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सचिन पायलट एमबीए करने के बाद बैंकर बनना चाहते थे, लेकिन पिता की मौत बाद उन्होंने राजनीति में एंट्री ली और 2004 में राजस्थान के दौसा से लोकसभा का चुनाव लड़ा। तब वे सबसे कम उम्र में सांसद बनने वाले राजनेता बने थे। इसके बाद उन्होंने लगातार दूसरी बार 2009 में अजमेर लोकसभा से चुनाव जीता और पीएम मनमोहन सिंह की कैबिनेट में केंद्रीय राज्यमंत्री बने। 

 

2014 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद वे प्रदेश की राजनीति में लौट गए। 2014 में ही उन्हें राजस्थान कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। 2018 में उन्होंने टोंक से विधानसभा का चुनाव जीता और राजस्थान के डिप्टी सीएम बने। 2012 में  उन्हें सिख रेजीमेंट की 124 टेरिटोरियल आर्मी बटालियन में अधिकारी के तौर पर कमीशन दिया गया। सचिन पायलट ने 15 जनवरी 2004 को जम्मू-कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला की बेटी सारा अब्दुला से शादी की। दोनों की दोस्ती अमेरिका में पढ़ाई के दौरान हुई थी। 

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2. ज्योतिरादित्य सिंधिया : 

 

भाजपा नेता व राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया पूर्व केंद्रीय मंत्री माधवराव सिंधिया के पुत्र हैं। उनका जन्म 1 जनवरी 1971 को बॉम्बे(मुंबई) में हुआ। ज्योतिरादित्य की शुरुआती पढ़ाई कैंपियन स्कूल से हुई। उसके बाद उन्होंने दून स्कूल, देहरादून में पढ़ाई की। साल 1993 में उन्होंने हार्वर्ड कॉलेज से बैचलर किया। इसके बाद 2001 में उन्होंने स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से एमबीए किया। सिंधिया ने अलग- अलग कंपनियों में चार साल तक इंवेस्टमेंट बैंकर के रूप में काम भी किया।

 

2001 में पिता की मौत के बाद सिंधिया ने पॉलिटिक्स ज्वाइन की। उन्होंने गुना से 2002 में पहली बार कांग्रेस पार्टी से लोकसभा का उप-चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 2019 तक वे लगातार गुना से चार बार सांसद रहे। 2019 के लोकसभा चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। भाजपा के केपी यादव ने उन्हें एक लाख से ज्यादा वोटों से हराया था। 

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सिंधिया 2002 में वित्त मामलों की समिति और विदेश मामलों की समिति के सदस्य बने। 2008 में सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री, 2009 में केंद्रीय उद्योग राज्य मंत्री और 2012 केंद्रीय ऊर्जा राज्यमंत्री बने। मार्च 2020 में सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए। 

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3. शशि थरूर: 

 

पूर्व केंद्रीय मंत्री व लोकसभा सांसद शशि थरूर की गिनती सबसे तेज-तर्रार और विद्वान नेताओं में होती है। एकदम धारा प्रवाह अंग्रेजी बोलते हैं, कई बार तो उनका लिखा लोगों को समझ में भी नहीं आता है। जिसको लेकर अक्सर सोशल मीडिया पर वे ट्रोल होते हैं। एक दर्जन से ज्यादा किताबें लिख चुके थरूर का जन्म 9 मार्च 1956 को लंदन में हुआ था। इसके बाद वे अपने पिता के साथ भारत लौट आए। उनकी शुरुआती पढ़ाई मुंबई में हुई। इसके बाद वे कोलकाता चले गए। वहां सेंट जेवियर्स कॉलेजिएट स्कूल में दाखिला लिया। 

 

इसके बाद थरूर ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफेंस कॉलेज से बैचलर किया। फिर वे अमेरिका चले गए और वहां टफ्ट्स यूनिवर्सिटी के द फ्लेचर स्कूल ऑफ़ लॉ एंड डिप्लोमेसी से इंटरनेशनल रिलेशन्स में मास्टर्स डिग्री हासिल की। 1976 में थरूर ने लॉ एंड डिप्लोमेसी सब्जेक्ट में एक और मास्टर्स की डिग्री पूरी की। इसके बाद 1978 में उन्होंने इंटरनेशनल रिलेशन्स अफेयर में पीएचडी की। उस समय उनकी उम्र महज 22 साल थी। वे द फ्लेचर स्कूल से सबसे कम उम्र में पीएचडी डिग्री हासिल करने वाले बने थे। इसके लिए उन्हें रॉबर्ट बी स्टीवर्ट अवॉर्ड दिया गया। 

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इसके बाद वे संयुक्त राष्ट्र से जुड़ गए और कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। उन्होंने यूएन में अंडर सेक्रेट्री के रूप में काम किया। 2006 में संयुक्त राष्ट्र के महासचिव का चुनाव लड़ा लेकिन जीत नहीं सके। उन्होंने 2009 में पॉलिटिक्स ज्वाइन किया। कांग्रेस की सीट पर केरल के तिरुवनंतपुरम  से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। 2010 में वे केंद्र सरकार में केंद्रीय विदेश राज्यमंत्री बने, फिर मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री भी रहे। 

 

शशि थरूर ने तीन शादियां की। दो पत्नियों से तालाक हो गया, तीसरी पत्नी सुनंदा पुष्कर के साथ रिश्ता ज्यादा दिन नहीं रह सका और 2014 में सुनंदा पुष्कर की  संदिग्ध हालात में मौत हो गई थी। दिल्ली के एक होटल से उनका शव बरामद किया गया था। 

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4. जयंत सिन्हा:  

 

जयंत सिन्हा झारखंड के हजारीबाग से लोकसभा सांसद हैं। वे पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा के पुत्र हैं। उनकी शुरुआती पढ़ाई पटना के संत माइकल स्कूल से हुई। इसके बाद आईआईटी दिल्ली से ग्रेजुएशन किया। यहां से वे अमेरिका चले गए और वहां हार्वर्ड बिजनेस स्कूल से एमबीए किया। इसके अलावा जयंत सिन्हा ने यूनिवर्सिटी ऑफ पेंसिल्वेनिया से एनर्जी मैनेजमेंट एंड पॉलिसी में मास्टर ऑफ साइंस किया है।
 

 

जयंत सिन्हा ने अपने पिता से पॉलिटिक्स की एबीसीडी सीखी। वे उनके काम में हाथ बंटाते रहे और चुनाव प्रचार में भी भूमिका निभात रहे। उन्होंने 2014 में पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़ा और एनडीए सरकार में केंद्रीय राज्यमंत्री बने। 2019 के लोकसभा में भी वे जीते लेकिन इस बार उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया। जयंत सिन्हा आर्थिक और व्यापारिक मामलों को लेकर लंबे समय से द इकोनोमिस्ट, बिजनेस वीक, वॉल स्ट्रीट जनरल, न्यूयॉर्क टाइम्स, सीएनएन, ब्लूमबर्ग और सीएनबीसी जैसी पत्रिकाओं में लिखते रहे हैं। राजनीति में आने से पहले जयंत सिन्हा इन्वेस्टमेंट फंड मैनेजर और मैनेजमेंट कंसल्टेंट भी रहे चुके हैं। 

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5. दुष्यंत चौटाला: 

 

दुष्यंत चौटाला हरियाणा के डिप्टी सीएम हैं। जाट नेता के रूप में उनकी गहरी पैठ है। वे पूर्व सांसद अजय चौटाला पुत्र हैं। दुष्यंत का जन्म हरियाणा के हिसार जिले में हुआ था। उनके दादा चौधरी देवी लाल पूर्व उप प्रधानमंत्री थे। दुष्यंत की शुरुआती पढ़ाई हिसार और फिर हिमाचल प्रदेश में हुई। इसके बाद उन्होंने कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी से बीएससी डिग्री हासिल की। उसके बाद नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी दिल्ली से मास्टर इन लॉ किया। 

 

2014 में उन्होंने हिसार से मात्र 26 साल की उम्र में लोकसभा का चुनाव जीता। हालांकि 2019 में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। दुष्यंत ने 2018 में जननायक जनता पार्टी की स्थापना की। 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में 10 सीटों पर जेजेपी को जीत मिली थी। इसके बाद उन्होंने भाजपा के साथ मिलकर राज्य में सरकार बना ली। 

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