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Labour Day: अमेरिका में लेबर डे मनाने के 37 साल बाद भारत में हुई थी शुरुआत, जानिए क्यों चुनी गई थी 1 मई
करियर डेस्क. आज 1 मई है। इस दिन को इंटरनेशनल लेबर डे (International Labour Day) के रूप में मनाया जाता है। दुनिया का हर देशों की तरह भारत में भी इस दिन को मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर मजदूर दिवस ( Workers' Day) 1 मई को ही क्यों मनाया जाता है। इसके पीछे का क्या इतिहास है। आखिर दुनिया को इस दिन को मनाने की जरूरत क्यों पड़ी। अमेरिका के लेबर डे मनाने के 37 साल बाद भारत में इसकी शुरुआत हुई।
| Published : May 01 2021, 05:18 PM IST
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कैसे हुई लेबर डे की शुरुआत
अन्तर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस की शुरुआत एक मई 1886 को अमेरिका में एक आंदोलन से हुई थी। इस आंदोलन के दौरान अमेरिका में मजदूर काम करने के लिए 8 घंटे का समय निर्धारित किए जाने को लेकर आंदोलन करने लगे थे। मजदूरों से पहले रोजाना 15-15 घंटे काम कराया जाता था उनका शोषण होता था जिसके विरोध में मजदूरों ने अमेरिका की सड़कों में प्रदर्शन शुरू कर दिया। आंदोलन के दौरान पुलिस ने गोली भी चलाई जिसमें कई मजदूर मारे गए। इसके बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया गया जिसमें यह ऐलान किया गया कि 1 मई को अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा।
भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत कब हुई
भारत में मजदूर दिवस की शुरुआत चेन्नई में 1 मई 1923 में हुई। यानी अमेरिका के लेबर डे मनाने के 37 साल बाद भारत में इसकी शुरुआत हुई। भारत में लाल रंग के झंडे को मजदूरों का निशान या चिन्ह माना गया। भारत में मजदूर आंदोलन की शुरुआत का नेतृत्व वामपंथी व सोशलिस्ट पार्टियां कर रही थीं।
क्यों मनाया जाता है मजदूर दिवस?
ये दिन दुनिया के मजदूरों और श्रमिक वर्ग को समर्पित है। इन दिन को लेबर डे और मजदूर दिवस भी कहा जाता है। आज के दिन मजदूरों की उपलब्धियों को और देश के विकास में उनके योगदान को सलाम किया जाता है। इसके साथ ही मजदूरों को उनका हक दिलाने के लिए ही चर्चाएं होती हैं। इसी लेबर डे के कारण मजदूरों को कई तरह के अधिकार मिले हैं।
आंदोलन से लेबरों को क्या मिला
8 घंटे का काम और कई जरूर सुविधाएं मजदूर को लेबर डे के ही देन हैं। आंदोलन के बाद ही अमेरिका सहित कई देशों ने भी ये घोषणा की कि 8 घंटे काम करने का समय निश्चित कर दिया गया है।
क्या आज अवकाश होता है
लेबर डे के मौके पर भारत के कई राज्यों में अवकाश रहता है।
अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर दिवस का उद्देश्य
समाज, देश, संस्था और उद्योग में मज़दूरों, कामगारों और मेहनतकशों की अहम भूमिका होती है। उद्योग में कामयाबी के लिए मालिक, सरमाया, कामगार और सरकार अहम होते हैं. कामगारों के बिना कोई भी औद्योगिक ढांचा खड़ा नहीं रह सकता। मजदूरों द्वारा उनके किए गए काम को याद करने के लिए आज का दिन मनाया जाता है।