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खेतों में पसीना बहा किसान ने बेटे को पढ़ाया...IAS बन बेटे ने कर दिया पिता का सिर गर्व से ऊंचा
नई दिल्ली. किसान देश के अन्नदाता कहे जाते हैं लेकिन आज भी वो गरीबी झेल रहे हैं। किसानों की हालत से वाकिफ हैं। किसान जैसे-तैसे गुजारा कर अपने बच्चों को पढ़ाते हैं। ऐसे ही एक पिता ने खेतों में दिनर-रात पसीना बहाकर बेटे को पढ़ाया। बड़ी उम्मीद से सपना देखा कि वो बड़ा होकर नाम रोशन करेगा। बटे ने भी पिता को निराश नहीं किया और भारतीय प्रशासनिक सेवा में टॉप कर पिता का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया। IAS सक्सेज स्टोरी में आज हम आपको यूपीएससी टॉपर अनुभव सिंह के संघर्ष की कहानी सुना रहे हैं।
| Published : Apr 09 2020, 10:03 AM
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उत्तर प्रदेश राज्य के टॉपर अनुभव सिंह का जन्म एक बेहद साधारण परिवार में इलाहाबाद के पास के एक छोटे से गांव दसेर में हुआ है उनके पिता धनंजय सिंह किसान हैं और मां सुषमा सिंह सरकारी स्कूल में क्लर्क हैं। अनुभव की बड़ी बहन ने विज्ञान के क्षेत्र में मास्टर्स किया है।
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अनुभव ने आठवीं कक्षा तक की शिक्षा गांव से करने के बाद इलाहाबाद के बीबीसी इंटर कॉलेज, शिवपुरी से आगे की पढ़ाई की। 11वीं कक्षा से ही IIT की तैयारी में अनुभव जुट गए। जिसके बाद आईआईटी रुड़की में उन्हें दाखिला मिला।
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अनुभव की मां सुषमा सिंह लगभग 12 साल उनके साथ इलाहाबाद में रहीं। और उनकी पढ़ाई से लेकर खाने-पीने तक हर चीज का ध्यान रखा। अनुभव की मां गर्व से कहती हैं कि उनके बेटे को किताबों और पढ़ाई के अलावा कोई अन्य शौक नहीं रहा। अनुभव के पिता के शब्दों में उनकी जिंदगी का सबसे खूबसूरत दिन वह अनुभव की इस कामयाबी को मानते हैं। उनका बेटा बचपन से ही जिम्मेदार और करियर को लेकर गंभीर था।
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अनुभव अपने परिवार और मित्रों को अपनी सफलता का मुख्य स्रोत मानते हैं आईआईटी रुड़की से इंजीनियरिंग करने के बाद भारतीय राजस्व सेवा में अनुभव का चयन होने पर भी ट्रेनिंग के दौरान वह प्रशासनिक सेवा की तैयारी करते रहे। उन्हें अपनी मेहनत और लगन पर पूरा विश्वास था इसलिए अपने सपने को पूरा करने में उन्होंने कोई कसर नहीं छोड़ी।
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अनुभव स्वभाव से गंभीर और शांत है। उनका मानना है कि प्रशासनिक सेवाओं की तैयारी किसी के बहकावे या दबाव में आकर नहीं वरन अपने मन में प्रबल इच्छा के अनुरूप ही करनी चाहिए।
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साल 2017 में अनुभव ने यूपीएससी में 8 वीं रैंक हासिल करके कीर्तिमान रच दिया। उनके अफसर बनने के बाद परिवार और गांव में जश्न मनाया गय़ा था। वो अफसर बन गांव लौटे तो पिता का सीना चौड़ा हो गया।
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सफलता के मंत्र को लेकर अनुभव कहते हैं कि, दो से ढाई साल की कड़ी मेहनत और दोस्तों से लगातार पढ़ाई के विषयों के बारे में चर्चा करने से आप रणनीति बना सकते हैं। परीक्षा के विषयों की किताबें लगातार पढ़ते रहने से आप सफलता के ज्यादा करीब पहुंच सकते हैं। गांव से निकल अनुभव ने यह सफलता अर्जित की और इस बात को साबित कर दिया कि कड़ी मेहनत से सफलता कदम चूमती है।